17.7 परसेंट वोट में हिस्सेदारी के लिए मारामारी! नीतीश के बाद लालू और चिराग की इफ्तार पार्टी में जमावड़ा
बिहार की करीब 17.7 फीसदी मुस्लिम आबादी को साधने के लिए इफ्तार पॉलिटिक्स जारी है। राजद चीफ लालू यादव ने पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी के आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। वहीं लोजपा (आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान के पार्टी कार्यालय में भी इफ्तार पार्टी की। जिसमें सीएम नीतीश भी शामिल हुए

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उल्टी गिनती के साथ ही चुनावी साल में बिहार में इफ्तार की राजनीति जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद सोमवार को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी के आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। सोमवार को केंद्रीय मंत्री और लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के पार्टी कार्यालय में भी इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत एनडीए के सभी नेता शामिल हुए।
रमजान के महीने में राजनीतिक दलों द्वारा इफ्तार पार्टी आयोजित करने की परंपरा है। पिछले कुछ सालों में, मुस्लिम वोट सत्ता के लिए एक ज़रिया बन गए हैं। इसलिए राजनीतिक हलकों में इफ़्तार पार्टियां एक अनिवार्य चीज बन गई हैं। 2023 में बिहार जाति सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य की आबादी में मुसलमानों की संख्या 17.7 प्रतिशत है। मुस्लिम समुदाय को अक्सर भाजपा के खिलाफ़ झुका हुआ माना जाता है, नीतीश कुमार ने कल्याणकारी योजनाओं के ज़रिए उस विरोध को कम करने की कोशिश की है। मुसलमानों के बीच ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) वर्गों को आरक्षण और छात्रवृत्ति जैसे सरकारी लाभ प्रदान करके, उन्होंने एक अखंड मुस्लिम पहचान की धारणा को बदलने का प्रयास किया है।
वहीं सात मुस्लिम संगठनों द्वारा सीएम नीतीश की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किए जाने से जेडीयू नाराज है। राज्यसभा सांसद और जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा, कि इबादत के नाम पर राजनीति ठीक नहीं है। सीएम लंबे समय से इफ्तार पार्टियों का आयोजन करते आ रहे हैं। कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं और इसका विरोध करने वालों को याद रखना चाहिए कि उन्होंने अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए बहुत काम किया है। वहीं केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा, कि इसका विरोध करने वाले राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस से जुड़े लोग हैं। वे अपनी राजनीति कर रहे हैं, इफ्तार पार्टी एक इबादत है, इसमें राजनीति नहीं हो सकती। लेकिन वो सिर्फ राजनीति करना चाहते थे, मुसलमानों के हित से उनका कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, मुस्लिम संगठनों के बहिष्कार के बावजूद बड़ी संख्या में मुसलमान इफ्तार में शामिल हुए।
संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि रविवार को मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित इफ्तार दावत में सभी वर्गों और समुदायों से इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आने का मतलब साफ है कि मुस्लिम समुदाय में नीतीश कुमार की लोकप्रियता बढ़ी है। जिस शिद्दत के साथ लोगों ने वहां नमाज अदा की और आम लोगों के लिए दुआ मांगी, वह काबिले तारीफ है। उनकी भारी मौजूदगी का संदेश यह था कि वे किसी राजनीतिक दल के गुलाम नहीं हैं। उन्हें सिर्फ वही पसंद हैं जो उनके लिए काम करते हैं।
वहीं राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा, कि लालू प्रसाद द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल होने के लिए महागठबंधन के सभी घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा बुद्धिजीवियों, समाज के सभी वर्गों के लोगों और रोजेदारों से भी इफ्तार पार्टी में शामिल होने का अनुरोध किया गया है। 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही लालू प्रसाद हर साल इफ्तार पार्टी का आयोजन करते आ रहे हैं।
अल्पसंख्यक मतदाता लालू प्रसाद के कोर वोटरों में गिने जाते हैं। 1990 से लेकर अब तक राजद का वोट बैंक मुस्लिम यादव यानी एमवाई समीकरण रहा है। हर साल इफ्तार पार्टी के बहाने लालू प्रसाद मुस्लिम मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश करते हैं, कि वे उनके सच्चे हमदर्द हैं। और इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी उनके लिए और भी मायने रखती है। आरजेडी की गठबंधन सहयोगी कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व सांसद अली अनवर अंसारी के जरिए अल्पसंख्यकों तक पहुंचने की कोशिश की है। अली अनवर अंसारी पसमांदा मुसलमानों के बीच जमीनी स्तर पर जुड़े हुए नेता हैं। पसमांदा मुस्लिम बिहार के मुस्लिम समुदाय का 80 प्रतिशत हिस्सा हैं।
आरजेडी ने बिहार के सीमांचल क्षेत्र में अपनी मुस्लिम राजनीति को भी तेज कर दिया है। तेजस्वी यादव शनिवार को सीमांचल में एक इफ्तार पार्टी में शामिल हुए। सीमांचल में अब कई जिलों में मुसलमानों की आबादी 40-70 प्रतिशत है, जिसमें किशनगंज में सबसे ज्यादा आबादी है। इस बदलाव ने आरजेडी, कांग्रेस और एआईएमआईएम को इस क्षेत्र में प्रभुत्व के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया है। वे मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।