भारतीय लोकतंत्र की जड़ें हमारी परंपराओं में हैं : राज्यपाल
टीएस कॉलेज, हिसुआ में भारतीय राजनीति पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भारतीय लोकतंत्र और शासन व्यवस्था की व्याख्या की। उन्होंने संविधान और...

फोटो गया, कार्यालय संवाददाता। टीएस कॉलेज, हिसुआ (नवादा) में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय राजनीति : एक समालोचनात्मक दृष्टिकोण का शुभारंभ हुआ। इस संगोष्ठी का आयोजन राजनीति शास्त्र विभाग एवं आईक्यूएसी, टीएस कॉलेज हिसुआ द्वारा स्नातकोत्तर राजनीति शास्त्र विभाग, मगध विश्वविद्यालय के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल सह कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान शामिल हुए। राज्यपाल ने भारतीय शासन व्यवस्था की व्याख्या करते हुए कहा कि भारत में कोई भी शासन प्रणाली हमारी प्राचीन परंपराओं से अछूती नहीं है। हमारी सांस्कृतिक विरासत ही जनता की सोच और लोकतांत्रिक समझ का मूल आधार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र भारत के लिए कोई नया विचार नहीं है।
बिहार और दक्षिण भारत के कई हिस्सों में ऐतिहासिक रूप से ऐसे उदाहरण मिलते हैं जहां जनता अपने शासक को चुनती थी। हमारी सभ्यता में सत्ता परिवर्तन पहले हिंसा के माध्यम से होता था, लेकिन समय के साथ लोकतंत्र ने शांति और स्थायित्व का मार्ग प्रशस्त किया। विदेशी शासन के समय में भी भारत के गांवों में पंचायतें सक्रिय थीं। यह भारत के लोकतांत्रिक चरित्र का प्रमाण है। उन्होंने ''धर्म'' की भारतीय अवधारणा को ''सभ्य आचरण और शोषणविहीन समाज'' की स्थापना से जोड़ा। व्याख्यान के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि नेतृत्व को समावेशी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और सभी वर्गों के कल्याण की भावना से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा हमारे संविधान में जो मूल्य प्रतिबिंबित हैं, वे हमारी परंपराओं और संस्कृति से ही उत्पन्न हुए हैं। यदि हम इन परंपराओं को नहीं समझते, तो संविधान की आत्मा भी अधूरी रह जाएगी। शासक का कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों की समान रूप से रक्षा करे, चाहे उनका विश्वास या मत कुछ भी हो। उन्होंने कहा कि भारत की शासन प्रणाली केवल एक कानूनी ढांचा नहीं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों की समस्याओं का निष्पक्ष समाधान करना है। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी शाही ने स्वागत भाषण में भारतीय राजनीति की समकालीन चुनौतियों – जातीय राजनीति, सशक्त विपक्ष की कमी, और मूल्यों के क्षरण पर चिंता व्यक्त की तथा युवाओं को नीति निर्माण में भागीदारी के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर आयोजन सचिव डॉ अंजनी कुमार की पुस्तक "ओबीसी रिजर्वेशन: कांस्टीट्यूशन एंड पॉलिसी" का विमोचन हुआ।
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