मलेरिया दिवस : मलेरिया विभाग में 25 की जगह एक भी लैब टेक्निशियन नहीं
मलेरिया दिवस : मलेरिया विभाग में 25 की जगह एक भी लैब टेक्निशियन नहींमलेरिया दिवस : मलेरिया विभाग में 25 की जगह एक भी लैब टेक्निशियन नहींमलेरिया दिवस :

शहर के जयप्रकाश नारायण अस्पताल परिसर के कोने में एक खंडरनुमा जर्जर भवन में मलेरिया विभाग का कार्यालय चल रहा है। यहां जितने कर्मी होने चाहिए। उसका महज 10 प्रतिशत कर्मी कार्यरत हैं। 25 लैब टेक्निशियन की जगह एक भी नहीं है। ऐसे में जांच प्रभावित होती है। मलेरिया विभाग में नही है एक भी लैब टेक्निशियन
यहां 25 लैब टेक्निशियन में एक भी लैब टेक्निशियन यहां कार्यरत नहीं है। इसके कारण मलेरिया की जांच जो स्लाइड से होनी चाहिए वह नहीं हो पा रही है और किट से लोगों की मलेरिया जांच की जा रही है। इतना ही नहीं यहां बेसिक हेल्थ इंस्पेक्टर का 25 पद है। वहीं एक भी बेसिक हेल्थ इंस्पेक्टर कार्यरत नहीं है। इसके अलावा वेसिक हेल्थ वर्कर का 90 पद हैं। जिसमें मात्र यहां एक कार्यरत हैं। इस तरह 89 पद खाली हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय कार्यकत्र्ता, चालक, आदेशपाल, लिपिक सभी कर्मियों की कमी है। इस तरह यहां 168 पद हैं जिसमें मात्र 12 कर्मी कार्यरत हैं।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. एम ई हक ने बताया कि इस वर्ष 2025 में जनवरी से लेकर मार्च तक कुल 2573 लोगों की मलेरिया जांच की गयी। जिसमें मात्र तीन संक्रमित मिले हैं। इसमें एक फतेहपुर, बेलागंज व गया टाउन ब्लॉक के मरीज शामिल हैं। वर्ष 2024 में 11 हजार 10 लोगों की जांच की गयी। इसमें 35 संक्रमित मिले, जबकि वर्ष 2023 में कुल 15 हजार 691 लोगों की जांच करने के बाद 57 मलेरिया के मरीज मिले थे। वर्ष 2022 में 13 हजार 276 लोगों की जांच में 26 संक्रमित मिले थें।
जागरूकता के कारण आयी है कमी
उन्होनें कहा कि इसके उन्मूलन का लक्ष्य 2027 तक रखा गया है। गांवों में खास कर जंगली इलाकों में जहां ज्यादा मलेरिया के मामले मिलते है वहां लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है। उन्हे रात में बिना मच्छड़दानी के ना सोने, आसपास पानी नहीं जमने देना, साफ-सफाई की जानकारी दी जाती है। यही कारण है कि इसके मामले अब कम दिखते है।
कोट
जो भी संसाधन है। उसी में बेहतर करने का प्रयास जारी है। यह सच है कि लैब टेक्निशियन की कमी के कारण स्लाइड जांच बहुत कम ही हो पाती है। ज्यादातर रैपीड किट से मरीजों की जांच की जा रही है।
-डॉ. एमई हक, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी, गया।
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