शेरघाटी की दो दर्जन जलापूर्ति योजनाएं मरम्मत के अभाव में बेकार
शेरघाटी प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में जलापूर्ति की दो दर्जन योजनाएं मरम्मत के अभाव में नाकाम हो गई हैं। कई जगह मोटर जल गई है, स्टार्टर फेल है, और पाइप लिकेज की समस्या है। पीएचईडी ने इन योजनाओं की...

शेरघाटी प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में जलापूर्ति की करीब दो दर्जन योजनाएं मरम्मत के अभाव में नाकाम पड़ी हैं। कहीं मोटर जली हुई है, तो कहीं स्टार्टर फेल है। कहीं पाइप लिकेज और बोरिंग की समस्या के कारण ग्रामीणों को पानी नहीं मिल रहा है तो कहीं रखरखाव की कमी से दिक्कत बनी हुई है। नल-जल योजना के तहत ग्राम पंचायतों से चंद वर्ष पूर्व इन योजनाओं का कार्यान्वयन किया गया था। इन योजनाओं के कार्यान्वयन पर दो करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि खर्च हुई थी, इसके बावजूद लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार ने पहले ही ऐसी तमाम योजनाओं की देख-रेख और मरम्मत का भार पीएचईडी को दे दिया है। क्या है दिक्कत
समदा गांव के टोला हुड़ाही टांड़ के अमूल कुमार, गुड्डू साव, फेकू मांझी और बच्चू मांझी आदि बताते हैं कि पिछले वर्ष नवम्बर में पीएचईडी से आए कर्मी गांव की जलापूर्ति योजना की मोटर निकाल ले गए थे, मगर आजतक मरम्मत नहीं करायी गई। शेरपुर गांव की वार्ड सदस्य सविता देवी का कहना है कि स्टार्टर की खराबी के कारण डेढ़ साल से नल-जल योजना बंद है। चांपी गांव के दिनेश यादव और लालो देवी की मानें तो साल भर से भी ज्यादा समय से चांपी गांव के महादलित टोले की पानी वाली योजना बंद है। इसी तरह श्रीरामपुर, चांपी, ढाब चिरैयां, चेरकी, चिताब और चिलिम गांव की डेढ़ दर्जन से अधिक योजनाएं नाकारा बनी हुई हैं।
दस दिनों में शुरु होगा मरम्मत का काम
शेरघाटी स्थित पीएचईडी के सहायक अभियंता सुभाष कुमार रंजन बताते हैं कि पूर्व में जेई की कमी से परेशानी थी, अब शेरघाटी प्रखंड में जलापूर्ति योजनाओं को दुरूस्त करने के लिए टेंडर की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। दस दिनों के भीतर मरम्मत का काम शुरु हो जाएगा।
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