ग्लोबल वार्मिंग का भारत की नदियों पर कहर, गंगा से मिलन द्वार पर नाला बन रही कोसी
पहली बार वैशाख की तपिश में कोसी प्यासी दिख रही है। कुरसेला के पास नदी के वेग (फ्लो) में कमी आ गई है। इस वजह से यहां नदी नाला का रूप लेती दिख रही है।

ग्लोबल वार्मिंग का कहर इस बार कोसी नदी पर पड़ना तय है। नेपाल के उत्तर गोसाईं थान चोटी से जन्मी कोसी का अंत भागलपुर से सटे कटिहार के कुरसेला में होता है। यहां गंगा में मिलकर झारखंड-बंगाल के रास्ते समुद्र में समा जाती है। पहली बार वैशाख की तपिश में कोसी प्यासी दिख रही है। कुरसेला के पास नदी के वेग (फ्लो) में कमी आ गई है। इस वजह से यहां नदी नाला का रूप लेती दिख रही है।
कोसी में भारी मात्रा में गाद होने से नवगछिया के मदरौनी से पानी के फ्लो में कमी आ गई है। इससे कुरसेला सड़क पुल के नीचे मुख्य धार के बीच डेल्टा (टापू) बनता दिख रहा है। यहां के मछुआरे बताते हैं, वैशाख में यह हाल है। अभी जेठ-आषाढ़ की गर्मी बाकी है। मछुआरे पवन सहनी, महेश मंडल आदि बताते हैं, कोसी में कम बहाव से गंगा नदी भी झारखंड के साहिबगंज में छिछली दिखने लगेगी। इस बार पानी कम होगा तो गंगा में क्रूज व कार्गो परिचालन पर संकट आना तय है। मछुआरों की चिंता पानी की कमी से मछली उत्पादन प्रभावित होने की है। कुरसेला से सटी बस्तियाें के जीवन-यापन का मुख्य जरिया मछली पर ही निर्भर है।
क्या कहते हैं अधिकारी
कुरसेला में कोसी डाउन स्ट्रीम में है। नदियों में गाद जमा होने से बहाव में दिक्कत आती है। संभवत: यही वजह है कि कोसी में अभी पानी कम दिख रहा है। जल संसाधन विभाग को वर्तमान स्थिति से अवगत कराया जायेगा। जुलाई-अगस्त में कोसी पुन: जलमग्न हो जाएगी। -मुकेश कुमार, कार्यपालक अभियंता
वैशाख में ही प्यासी है कोसी नदी
पहली बार वैशाख की तपिश में कोसी प्यासी दिख रही है। जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड मुख्य अभियंता चारू मजूमदार बताते हैं, कोसी नेपाल और तब्बित की सीमा रेखा से निकलती है। कोसी की कुल लंबाई 730 किलोमीटर है। बिहार में इसकी लंबाई 260 किलोमीटर है। यह नेपाल में हनुमान नगर के पास भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करती है।
विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट और कंचनजंगा कोसी जलग्रहण क्षेत्र में हैं। नेपाल में इसे 'सप्तकोसी' के नाम से जाना जाता है। कोसी बिहार सीमा में सुपौल के भीमनगर के निकट प्रवेश करती है। यह कटिहार में कुरसेला के पास गंगा नदी में मिलती है।
बिहार का शोक माना जाता है कोसी कोमजूमदार बताते हैं, कोसी नदी को अपने मार्ग परिवर्तन तथा बाढ़ आने के कारण बिहार का शोक कहा जाता है। कोसी की प्रमुख सहायक नदियां अरुण, तामुर, सुनकोसी, दूधकोसी, तमाकोसी, इंद्रावती तथा लिखुखोला आदि हैं। कोसी की मुख्यधारा अरुण और सुनकोसी से निकलती है। कोसी से सटे बिहार के कुछ मुख्य जिले सहरसा, सुपौल और मधेपुरा हैं। कोसी प्रमंडल के अंतर्गत ये तीनों जिले आते हैं। इसके अलावा कोसी नदी अररिया, किशनगंज, खगड़िया, भागलपुर और कटिहार जैसे जिलों के भी क्षेत्रों से होकर गुजरती है।
कोसी नदी से सटे बिहार के जिले
कोसी प्रमंडल का मुख्यालय। सुपौल : कोसी प्रमंडल में शामिल। मधेपुरा : कोसी प्रमंडल में शामिल। अररिया : कोसी नदी के प्रभावित क्षेत्रों में शामिल। किशनगंज : कोसी नदी के प्रभावित क्षेत्रों में शामिल। खगड़िया : कोसी नदी के प्रभावित क्षेत्रों में शामिल। कटिहार : कोसी नदी के प्रभावित क्षेत्रों में शामिल। पूर्णिया : कोसी नदी के प्रभावित क्षेत्रों में शामिल। भागलपुर : कोसी नदी के पास स्थित।