12 प्रखंडों में फसलों को बर्बाद कर रहे जानवरों का नहीं हो रहा आखेट
हिन्दुस्तान विशेष संवादहीनता की कीमत चुका रहे किसान, रात भर जगने के बाद भी नहीं बच पा रही फसल इंफो 1000 घुड़परासों का आखेट किया जा चुका है बैकुंठपुर व सिधवलिया प्रखंडों में फोटो कैप्शन : 85- थावे में...

गोपालगंज। नगर संवाददाता गोपालगंज जिले के थावे समेत 12 प्रखंडों में घोड़परास और जंगली सूअर किसानों की खड़ी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। इन जंगली जानवरों को आखेट करने की योजना पर कार्रवाई नहीं हो रही है। बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग ने प्रभावित पंचायतों के मुखियों को अधिकृत किया है कि वे अपने क्षेत्र में घोड़परास और जंगली सूअरों से हो रही फसल बर्बादी को लेकर आवेदन भेजें। ताकि वन विभाग अनुमति देकर इन जानवरों का आखेट करा सके। लेकिन, पंचायत और प्रशासन के बीच समन्वय कमी के कारण हथुआ अनुमंडल के किसी पंचायत से अब तक आवेदन ही नहीं भेजा जा सका।
मुखिया बोले- आवेदन की प्रक्रिया पता नहीं वृंदावन पंचायत के मुखिया व मुखिया संघ के अध्यक्ष तारिक असलम उर्फ मुन्ना ने कहा कि आज तक न कोई बैठक की गई, न ही जंगली जानवरों के आखेट की प्रक्रिया की जानकारी दी गई। वे खुद किसान हैं और फसल उजड़ते देख रहे हैं। लेकिन कानूनी प्रक्रिया के अभाव में कुछ कर नहीं पा रहे। रामचंद्रपुर के मुखिया उपेंद्र प्रसाद, फुलुगनी के सरवर अली, धतिवना के ब्रह्मदेव मुसहर और विदेशी टोला के मनीष गुप्ता ने भी यही आरोप दोहराते हुए कहा कि केवल वाट्सएप संदेश मिला है। जब तक प्रशासन बैठक बुलाकर विस्तार से प्रक्रिया नहीं समझाएगा,वे आवेदन कैसे करें? अफसर का दावा- हमने जानकारी भेज दी इधर, थावे प्रखंड के पंचायती राज पदाधिकारी पुष्कर पुष्पेश का कहना है कि उन्होंने सभी पंचायतों के मुखियाओं को आदेश और दिशा-निर्देश वाट्सएप के माध्यम से भेज दिए हैं। प्रक्रिया की जानकारी भी बार-बार दी गई है। किसी पंचायत से घोड़परासों के आखेट के लिए आवेदन आएगा तो उसे आगे बढ़ाया जाएगा। अब तक 1000 घुड़परासों का हुआ आखेट फरवरी से अब तक बैकुंठपुर और सिधवलिया प्रखंडों में कुल 1000 घुड़परासों का आखेट किया जा चुका है। पिछले 9 दिनों में ही 338 को नियंत्रित किया गया। जिनमें 228 बैकुंठपुर और 110 सिधवलिया में मारे गए। 2 मई को इन दोनों क्षेत्रों में आखेट का काम पूरा हुआ और किसानों ने राहत की सांस ली। वन विभाग अब अगली कार्रवाई के लिए पंचायतों से आवेदन का इंतजार कर रहा है। जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी मेघना कुमारी ने कहा कि घोड़परास और जंगली सूअरों के आखेट की प्रक्रिया मुखिया के आवेदन से शुरू होती है। आवेदन आने पर अनुमोदन के बाद शूटर लगाए जाते हैं। थावे से अब तक कोई आवेदन नहीं आया है। आवेदन आते ही शूटर से आखेट शुरू करा दिया जाएगा। रातभर पहरा देने के बाद भी फसल हो रही बर्बाद थावे प्रखंड के किसान सब्जियों से लेकर दलहन-तिलहन तक की फसल उगा रहे हैं। लेकिन, घोड़परासों के झुंड खेतों में घुसकर सबकुछ चट कर रहे हैं। किसान न रात को सो पा रहे हैं, न दिन में खेती बचा पा रहे हैं। एक स्थानीय किसान ने कहा कि हम खेतों में दिन-रात बत्तियां जलाकर, ढोल-ताशा बजाकर जानवरों को भगाते हैं। लेकिन, हर रात घोड़परास फिर लौट आते हैं।
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