ISRO Team undertaking LiDAR surveys of Nalanda University Ajatshatru Fort and other historic places in Rajgir नालंदा और राजगीर के ऐतिहासिक स्थलों का लिडार सर्वे शुरू, फैलाव खोज रही टीम इसरो, Bihar Hindi News - Hindustan
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नालंदा और राजगीर के ऐतिहासिक स्थलों का लिडार सर्वे शुरू, फैलाव खोज रही टीम इसरो

नालंदा और राजगीर के ऐतिहासिक स्थानों के बारे में इतिहासकारों ने जो लिखा है, उसे वैज्ञानिक तथ्यों के साथ दुनिया के सामने लाने के लिए मगध की धरती पर इसरो के वैज्ञानिकों की टीम लिडार सर्वे कर रही है।

Ritesh Verma निज संवाददाता, राजगीरFri, 9 May 2025 02:55 PM
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नालंदा और राजगीर के ऐतिहासिक स्थलों का लिडार सर्वे शुरू, फैलाव खोज रही टीम इसरो

राजगीर के ऐतिहासिक तथ्यों पर वैज्ञानिकों की मुहर लगेगी। शिक्षा में विश्व के प्राचीनतम शोध केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन फैलाव क्षेत्र की खोज की जाएगी। इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की छह सदस्यीय टीम गुरुवार को राजगीर में लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) सर्वे शुरू कर चुकी है। इसरो टीम सबसे पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के उत्खनन और दुनिया भर के इतिहासकारों द्वारा राजगीर और नालंदा के बारे में लिखी गई बातों के तथ्यों की हकीकत का पता लगाएगी।

अजातशत्रु किला मैदान के साथ-साथ चीन की दीवार से भी पुरानी और अनोखी तकनीक से बनी साइक्लोपियन दीवार और राजगीर के सभी प्राचीन स्थलों के रहस्यों से पर्दा हटाने की कोशिश चल रही है। देश-दुनिया को ऐतिहासिक तथ्यों की वैज्ञानिक जानकारी देने के लिए एएसआई के निर्देश पर इसरो के वैज्ञानिकों ने किला मैदान का लिडार सर्वेक्षण शुरू कर दिया है।

पहले दिन किला मैदान की सीमा (बाउंड्री) का पता लगाया गया।

मगध की इस प्राचीन नगरी का प्रलेखन और इसकी सांस्कृतिक बनावट और विरासत को ढूंढ़ने में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सहयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिक कर रहे हैं, जो लिडार पद्धति से इस धरती के इस हिस्से के गौरवशाली अतीत के पन्नों से पर्दा उठाएंगे।

117 साल बाद अजातशत्रु किला मैदान की खुदाई शुरू होने से न सिर्फ लोगों की उत्सुकता बढ़ी हैं, बल्कि एएसआई को भी काफी उम्मीद है। एएसआई उत्खनन शाखा के पटना मंडल अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. सुजीत नयन ने खुदाई का वृहत मास्टरप्लान बनाया था। उनकी टीम ने मैदान की खुदाई की और कई ऐतिहासिक तथ्यों के करीब पहुंची। इससे मिले तथ्यों पर वैज्ञानिक मुहर लगाने के लिए अब इसरो की टीम काम कर रही है।

देहरादूर से आई है इसरो की टीम

इसरो के वैज्ञानिकों की छह सदस्यीय टीम देहरादून से आई है जिसमें डॉ. हीना पाण्डेय, डॉ. पूनम एस तिवारी, डॉ. शशि कुमार, एस अग्रवाल सहित अन्य शामिल हैं। टीम के सदस्य कुछ भी बोलने से मना कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि लिडार सर्वे से ऐतिहासिक जगहों के अवशेष के नीचे धरती की सतहों और आंतरिक संरचनाओं का लिडार तकनीक से रिमोट सेंसिंग चल रहा है।

क्या है लिडार सर्वे

लिडार विशेष प्रकार की रिमोट सेंसिंग तकनीक है, जो लेजर बीम का उपयोग करके किसी वस्तु की दूरी और आकार का पता लगाने में सक्षम है। इस तकनीक से थ्री-डी मानचित्र, वस्तुओं की ऊंचाई का मूल्यांकन और विभिन्न वातावरणों की जानकारी मिलती है। थ्री-डी तकनीक के माध्यम से किला मैदान की दीवारों से लेकर अनेक पौराणिक ढांचों की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई भी पता चल सकेगी।

Nalanda Rajgir ISRO LIDAR Survey

जिला प्रशासन भी चौकस

गुरुवार को इसरो के वैज्ञानिकों की टीम ने जब किला मैदान में लिडार उड़ाया, तो प्रशासन सकते में आ गया। अधिकारियों ने सुरक्षा के लिहाज से काम रुकवा दिया। बाद में प्रशासन को पता चला कि इसरो की टीम विशेष सर्वे के लिए आई है तो काम फिर से चालू हुआ।