नेपाली को बिहारी भाषा समझकर नीतीश सरकार से मगही-भोजपुरी फरमाने लगे जीतनराम मांझी
- सेपक टाकरा वर्ल्ड कप पटना से टूर्नामेंट से ज्यादा विवाद की खबरें आ रही हैं। पहले राष्ट्रगान के दौरान नीतीश कुमार के हंसने और हिलने पर विपक्ष ने सवाल उठाया तो अब जीतनराम मांझी ने स्वागत बैनर पर आपत्ति जताई है।

अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की मेजबानी में तेजी से आगे बढ़ रहे बिहार की राजधानी पटना में गुरुवार को शुरू हुए सेपक टाकरा वर्ल्ड कप 2025 से चैंपियनशिप से ज्यादा इधर-उधर के विवाद की खबरें निकल रही हैं। सबसे पहले उद्घाटन समारोह में राष्ट्रगान के दौरान सीएम नीतीश कुमार के हंसने और प्रणाम करने पर लालू यादव, तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया तो अब केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने आयोजन के बैनर पर मगही की गैर-हाजिरी पर आपत्ति उठाई है। मांझी ने देवनागरी में लिखे नेपाली भाषा के संदेश को बिहार की एक क्षेत्रीय भाषा समझ लिया है जबकि हिन्दी में सिर्फ एक ही लाइन है, जो भोजपुरी में है।
पहली बार सेपक टाकरा वर्ल्ड कप का आयोजन भारत में हो रहा है जिसकी मेजबानी बिहार को मिली है। इसमें 20 देशों की टीम हिस्सा ले रही हैं। 20 मार्च से 25 मार्च तक चलने वाले टूर्नामेंट में भारत के अलावा फ्रांस, न्यूजीलैंड, वियतनाम, इटली, पोलैंड, जापान, थाईलैंड, सिंगापुर, श्रीलंका, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, नेपाल, ब्राजील, ईरान, चीनी ताइपे, म्यांमार, मलेशिया, इंडोनेशिया के खिलाड़ी शामिल हो रहे हैं। आयोजन स्थल पर एक स्वागत बैनर लगाया गया है जिसमें ‘बिहार में स्वागत है’ को टूर्नामेंट में शामिल हो रहे देश की भाषाओं में लिखा गया है।
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इस बैनर पर देवनागरी में दो बार ‘बिहार में स्वागत है’ लिखा है। एक बार भोजपुरी में इसे ‘बिहार में राउर स्वागत बा’ और दूसरी बार नेपाली में ‘बिहारमा स्वागत छ’। जीतनराम मांझी ने भोजपुरी के साथ नेपाली में लिखे गए स्वागत संदेश को बिहार की ही कोई दूसरी क्षेत्रीय भाषा मान लिया है और ट्वीट करके मगही को छोड़ने पर आपत्ति दर्ज करा दी है।
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मांझी ने नीतीश कुमार, खेल विभाग और बिहार राज्य खेल प्राधिकरण को ट्वीट में टैग करके लिखा है- “BSSA के पदाधिकारियों से इस तरह की उम्मीद नहीं की जा सकती। आप मगध की मगही भाषा की अनदेखी नहीं कर सकते। ये बिहार सहित देश, दुनिया के करोड़ों लोगों की ज़ुबान है। आप “बिहार में राउर स्वागत बा” कहें या “बिहारमा स्वागत छा” कहें, उससे हमें कोई आपत्ति नहीं पर आप यदि बिहार में हमारे मगही भाषा को दरकिनार करेंगें तो हमें आपत्ति होगी। भविष्य में यदि आप बिहार के हर क्षेत्र की भाषा का इस्तेमाल कर रहें हैं तो आपको मगही भाषा का भी उपयोग करना चाहिए।”