संशोधित खबर, आनंद पहुंचे कटिहार
आनंद मोहन पहुंचे कटिहार, कार्यक्रम में लिया भागआनंद मोहन पहुंचे कटिहार, कार्यक्रम में लिया भागआनंद मोहन पहुंचे कटिहार, कार्यक्रम में लिया भागआनंद मोहन

कटिहार, एक संवाददाता 23 अप्रैल को बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव समारोह की तैयारी की समीक्षा पर गामी टोला पहुंचे पूर्व सांसद आंनद मोहन ने कहा कि सीएम की कोई वैकेंसी है कि कोई सीएम के नाम तय हो। सीएम को बिहार की जनता तय करेगी। भला इसमें खरगे या कोई अन्य नेता क्या इसमें करेंगे। पूर्व सांसद आनन्द मोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश ने एक बीमार प्रदेश को जहाँ लॉ एंड ऑर्डर नहीं था, बिजली की रौशनी में लोग बात नहीं कर सकते थे ,सड़कें टूटी हुई हैं, कानून व्यवस्था चौपट थी, उस दौर से बिहार निकला है, उस दौर में बिहार वापस लौटना नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव के सवाल पर उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि आइए ना मर्दा मर्दी.....आइए, जनता जिसको मुकुट पहनाएगी , वही सीएम होगा ।
जनसंहार और नरसंहार से नीतीश के नेतृत्व में निकल गया बिहार से
पूर्व सांसद ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि नीतीश कुमार ने अच्छा काम किया है। नीतीश कुमार ने चौपट कानून व्यवस्था,जर्जर सड़कों की व्यवस्था बेहतर किया है। जनसंहार और नरसंहार की दौर से बिहार नीतीश कुमार के नेतृत्व में निकल चुका है। अब बिहार फि से उस दौर में नहीं जाना चाहते हैं। अगर संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है। अगर आलोचना और असंसदीय भाषा के उपयोग पर किसी सांसद की सदस्याता निलंबन किया जा सकता है तो महापुरूषों की अपमान पर सदस्यता को बर्खास्त क्यों नहीं किया जा सकता है। लोकतंत्र में सभापति पर लोग सवाल खड़ा करेंगे। संसद में कोई भी महापुरुषों पर कुछ भी बोल जाते हैं। ऐसे में सभापति की जिम्मेदारी है कि वह कार्रवाई करें।
महापुरुषों को अपमान करने वालों के खिलाफ बनने चाहिए सख्त कानून
कोई चुनाव से कोई वास्ता नहीं है। गैर राजनीतिक कार्यक्रम हैं। जो महापुरूषों की अपमान की घटनाएं घट रही है। कभी प्रतिमा खंडित किया जाता है। कहीं अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। सभी दल के लोग हमारे आह्वान पर लगे हुए हैं। महापुरूषों को अपमान किया जा रहा है। कभी राणा सांगा का अपमान, कभी पद्मिणी का अपमान, कभी ठाकुर का कुंआ लेकर लोग आते हैं। कुदसिया पार्क में या नागपुर में महाराणा प्रताप का प्रतिमा खंडित की जाती है। यह जो ट्रैंड चला है कि किसी के मुंह से कुछ भी बोलवाकर सामाजिक ताने बाने व सद्भाव को छिन्न भिन्न कर दिया जाय। आज समय का तकाजा है कि महापुरुषों की अपमान पर सख्त कानून बननी चाहिए। संविधान किसी महापुरुषों को अपमान करने की इजाजत नहीं देता है। हमारा संविधान कहता है कि मनसा,वाचा , कर्मणा अपने आचरण से किसी समुदाय को किसी वर्ग के लोगों को अपमान नहीं कर सकते हैं।किसी को ठेस नहीं पहुंचा सकता है। यदि कोई अपमान करता है तो इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
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