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2. महेशखूंट में रैक प्वाइंट नहीं किसानों व व्यपारियो को हो रही परेशानी

2. महेशखूंट में रैक प्वाइंट नहीं किसानों व व्यपारियो को हो रही परेशानी2. महेशखूंट में रैक प्वाइंट नहीं किसानों व व्यपारियो को हो रही परेशानी2. महेशखूं

Newswrap हिन्दुस्तान, खगडि़याWed, 23 April 2025 02:09 AM
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2. महेशखूंट में रैक प्वाइंट नहीं किसानों व व्यपारियो को हो रही परेशानी

2. महेशखूंट में रैक प्वाइंट नहीं किसानों व व्यपारियो को हो रही परेशानी सांसद का भी लोग कर चुके हैं ध्यान आकृष्ट

महेशखूंट रेलवे स्टेशन लाखों आबादी के साथ साथ दो राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच है अवस्थित

महेशखूंट। एक प्रतिनिधि

पूर्व मध्य रेलवे के बरौनी-कटिहार रेलखंड स्थित महेशखूंट रेलवे स्टेशन में रैक प्वाइंट का निर्माण नहीं होने से किसानों और व्यपारियो को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महेशखूंट रेलवे स्टेशन लाखों आबादी के साथ साथ दो राष्ट्रीय राजमार्ग व चार प्रखंड बेलदौर,चौथम,गोगरी व परवत्ता के मध्य अवस्थित महेशखूंट में रैक प्वाइंट नहीं रहने से सैकडों किसानों व व्यपारियो को मक्का व गन्ना बाहर भेजने के लिए मानसी या खगड़िया रैक प्वाइंट जाना पड़ता है जो व्यपारियो के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से परेशानी का सबब बना हुआ है।समाजसेवी बासुदेव बिहारी ने बताया कि अंग्रेज जमाने से महेशखूंट में रैक प्वाइंट था लेकिन दशकों पूर्व महेशखूंट से रैक प्वाइंट रेल प्रशासन द्वारा हटा दिया गया।रैक प्वाइंट हटाने से किसानों और व्यपारियो की परेशानी बढ़ गई है।पूर्वोत्तर रेल संधर्ष समिति के केन्द्रीय संयोजक सुभाषचंद्र जोशी ने बताया कि महेशखूंट में किसानों और व्यपारियो की परेशानी को देखते हुए महेशखूंट में रैक प्वाइंट बनाने के लिए दर्जनों बार धरणा प्रदर्शन किया गया उसके बाद भी रेल विभाग कुभकरण की नींद सो रही है।महेशखूंट रेल उपभोक्ता संधर्ष समिति के उदयकांत ठाकुर ने बताया कि अमृत भारत योजना के तहत रेलवे स्टेशन के विकास के लिए 5.98 करोड़ रूपये रेलवे विभाग द्वारा स्वीकृत किया गया है लेकिन महेशखूंट रैक प्वाइंट का निर्माण नहीं कराये जाने कारण क्षेत्र के किसानों व व्यपारियो दुखी हैं।क्षेत्र के किसानों व व्यपारियो ने बताया कि महेशखूंट में रैक प्वाइंट का निर्माण नहीं कराया गया तो जन आंदोलन किया जायेगा।वहीं महेशखूंट के पूर्व मुखिया राजेश चौरसिया ने कहा कि महेशखूंट रेलवे स्टेशन करीब दस लाख आबादी के बीच अवस्थित है। कृषि उपज के मामले में यह क्षेत्र संपन्न है।यहां केला, मक्का, व गन्ना की खेती काफी होती है।अंग्रेज जमाने में महेशखूंट मे रैक प्वाइंट था।महेशखूंट रैक प्वाइंट से महेशखूंट के किसानों गन्ना माल ट्रेन के माध्यम से सीधे हसनपुर चीनी मिल भेजा करता था।लेकिन रेल विभाग द्वारा महेशखूंट से रैक प्वाइंट हटा दिया गया। उन्होंने खगड़िया सांसद से महेशखूंट में पुन: रैक प्वाइंट निर्माण कराने की मांग की है।

महेशखूंट में रैक प्वाइंट बनने से किसानों को अपने उत्पादों को सीधे फैक्ट्री तक पहुंचाने में मिलेगी मदद: स्थानीय अरूण केशरी ने कहा कि महेशखूंट में रैक प्वाइंट बनने सेलोगों को रोजगार के अवसर मिलेगें। वही कंाग्रेस नेता प्रकाश मिश्रा ने कहा कि

रैक प्वाइंट बनने से व्वसायिक गतिविधियों में वृद्धि होगी। बन्नी पैक्स अध्यक्ष नरेश सिंह ने बताया कि

अंग्रेज जमाने से महेशखूंट मे रैक प्वाइंट था। इसलिए अविलंब रैक प्वाइंट का निर्माण हो। समाजसेवी अमरविन्दु चौधरी महेशखूंट में रैक प्वाइंट होने से लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही पलायन रुकेगा। बन्नी के पूर्व मुखिया अरुण सिंह ने कहा

महेशखूंट में रैक प्वाइंट का निर्माण नहीं किया गया तो जनांदोलन किया जाएगा।

बोले सांसद :

खगड़िया लोकसभा के समुचित विकास के लिए दृढ़ संकल्पित हूं। लोकसभा सत्र में महेशखूंट में रैक प्वाइंट निर्माण का मुद्दा बैठक में उठाएंगे।

राजेश वर्मा, सांसद, खगड़िया।

फोटो: 32

कैप्शन: जिले का महेशखूंट रेलवे स्टेशन।

3. तीसरे साल भी गर्मी मे चालू नहीं हुआ अस्स्पताल का प्याऊ

नीति आयोग की 12 लाख राशि से हो रहा निर्माण

वास्तविक में इसका देख रेख किनके जिम्मे पता नहीं

पीएचईडी विभाग के पास जानकारी का अभाव

अलौली। एक प्रतिनिधि

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं अतिरिक्त पीएचसी हरिपुर मे पिछले तीन साल से स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध करने के उद्देश्य से प्याऊ का निर्माण कछुए की चाल मे चल रहा है। सिर्फ इतना ही कहा जाता है कि नीति आयोग की 12 लाख की राशि से निर्माण चल रहा है। पहले तो यह काह जाता रहा कि पीएचईडी विभाग की निगरानी मे निर्माण किया जा रहा है। अब तो विभाग के पदाधिकारी भी इस बात से मुकरने लगे हैं। सिर्फ इतना कहा जा रहा है कि एक ही संवेदक पूरे बिहार में प्याऊ का निर्माण कर रहा है। जिसका देखरेख ऊपर से ही हो रहा है। वह कौन विभाग और कहां से स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। साल में एक बार संवेदक का आदमी आता है कुछ जोड़ तोड़कर चला जाता है। तीसरे साल की गर्मी बढ़ने लगी। आखिर किस साल की गर्मी मे यह प्याऊ मरजों को प्यास बुझा पायेगा। इसकी उम्मीद ना तो स्वास्थ्य विभाग के पास है ना ही पीएचईडी विभाग के पास। इस समस्या को कौन देखे और कैसे? आखिर प्याऊ बनाने की कोई समय सीमा तो होगी। इसकी जानकारी किनके पास हो सकती है। अस्पताल के प्रबंधक एवं प्रभारी जिसने संवेदक को जगह उपलब्ध करायी उनसे कोई जानकारी तो ली होगी। इस संबंध में जानकारी साझा क्यों नहीं कर पाते? आसपास के लोगों ने बताया कि संवेदक एवं उनके सहयोगी आये थे। प्याऊ के नल के स्थान पर टाइल्स लगाकर गया था। पूछने पर बताया कि जब तक राशि का पूरा भुगतान नहीं मिल जाता तब तक प्याऊ चालू नहीं होगा। इस बात में कितना दम है कहा नहीं जा सकता है। जिला प्रशासन को इस संदर्भ मे पहल करनी चाहिए जो नहीं हो पा रहा है। पास के ग्रामीण विजय सिंह, रोहित सिंह, विकास आदि ने बताया कि आशय की जानकारी सांसद राजेश वर्मा को दी जाएगी। तभी प्याऊ की सच्चाई सामने आ पाएगी। साथ ही प्याऊ चालू होने का रास्ता भी खुलेगा। पीएचईडी विभाग के सहायक अभियन्ता मोहम्मद इमरान एवं कनीय अभियंता निरंजन कुमार ने संयुक्त रुप से स्पष्ट बताया कि प्याऊ का काम ऊपर से ही डीलिंग हो रहा है। एक ही संवेदक पूरे बिहार मे काम कर रहा है। संवेदक को काम पूरा कना है राशि बाद मे भुगतान होती रही है। इस में हमलोगों के पास भी पुख्ता जानकारी नहीं है। ना ही कार्यस्थल पर सूचना पट ही लगाया गया है। तीन साल से प्याऊ चालू होने का इंतजार किया जा रहा है। अस्पताल के पास पानी पीने का वैसा कुछ वैकल्पिक साधन भी उपलब्ध नहीं है। विभाग हीट वेव से बचाव की व्यवस्था पर निर्देश तो देते हैं परन्तु प्याऊ पर किसी भी पदाधिकारी का ध्यान नहीं है। आखिर किस परिस्थिति में तीन साल मे प्याऊ चालू नहीं हो पाया?

बोले अधिकारी:

हमें सिर्फ इतना कहा गया कि नीति आयोग की 12 लाख की राशि से अस्पताल परिसर में प्याऊ बनना है। प्रवंधक द्वारा जगह दी गई है। इसके अतिरिक्त किसी तरह की जानकारी नहीं है।

डॉ मनीष कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अलौली।

फोटो 6 :

कैप्शन: अलौली: मंगलवार को सीएचसी परिसर का अर्द्धनिर्मित प्याऊ सिस्टम।

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