हड्डियों में दर्द को हल्के में न लें, हो सकता है यह टीबी रोग
हड्डी में दर्द हो तो सरकारी अस्पताल डॉक्टर से लें परामर्शहड्डियों में दर्द को हल्के न लें, हो सकताहड्डियों में दर्द को हल्के न लें, हो सकताहड्डियों मे

हड्डी में दर्द हो तो सरकारी अस्पताल डॉक्टर से लें परामर्श किशनगंज । एक प्रतिनिधि हड्डियों में होने वाला दर्द, सूजन या दर्द वाले स्थान के ठंडा होने जैसे लक्षण गंभीर बीमारी की तरफ संकेत करते हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर के अनुसार अक्सर रात में हड्डियों में होने वाला दर्द बोन ट्यूमर हो सकता है। ट्यूमर बढ़ने के साथ-साथ दर्द भी बढ़ता रहता है। जिला।यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी (सीडीओ) डॉ. मंजर आलम ने बताया कि टीबी आज के समय में एक आम, लेकिन खतरनाक बीमारी बन गई है। यदि टीबी ग्रस्त व्यक्ति को हड्डी में दर्द हो रहा है या सूजन है, तो यह बॉन(हड्डी) संबंधी टीबी हो सकता है।हड्डी
के टीबी में गंभीर संक्रामक रोगों का एक समूह होता है, जिनकी वजह से पिछले दो दशकों इस तरह के मामले बढ़ी है, । इसके परिणामस्वरूप, प्रभावित जोड़ों में कठोरता और फोड़े विकसित होते हैं। हड्डी का टीबी कूल्हों और घुटनों के जोड़ों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। एचआईवी एड्स के रोगियों के लिए भी यह एक अतिरिक्त रोग है। हड्डी की टीबी आमतौर पर हड्डी में पहले से रह रहे रोग-जीवाणु के पुन: सक्रियता से उत्पन्न होती है। माइकोबैक्टीरिया के प्राथमिक संक्रमण के समय, रीढ़ और बड़े जोड़ों पर रोग-जीवाणु का प्रभाव कशेरुकाओं और लंबी हड्डियों के बढ़े हुए प्लेटों की भरपूर मात्रा में संवहनी आपूर्ति के कारण होता है। ट्यूबरकुलस गठिया या हड्डी की टीबी प्रारंभिक संक्रमण के एक विस्तार से होता है और हड्डी से जोड़ों तक पहुंचता है। बॉन टीबी के प्रकार: सीडीओ डॉ.मंजर आलम ने बताया की हड्डी टीबी की विभिन्न श्रेणियां होती हैं। रीढ़ का क्षय रोग कूल्हे के जोड़ का क्षय रोग कोहनी का क्षय रोग घुटने के जोड़ का क्षय रोग टखने के जोड़ का क्षय रोग ऊपरी भाग का क्षय रोग हड्डी की टीबी के कारण: हड्डी की टीबी तब होता है जब एम. क्षय रोग नामक बैक्टीरिया वाले क्षय रोग से पीड़ित रोगी के संपर्क में आते हैं और वह बैक्टीरिया आ जाता है। पिछले कुछ दशकों में हड्डी क्षय रोग के बहुत कम मामले हुए हैं क्योंकि उपचार की व्यापकता बहुत बढ़ गई है। जब यह मानव शरीर के अंदर हो जाता है, तो यह हड्डियों सहित लिम्फ नोड्स, थाइमस को नुकसान पहुंचा सकता है। हड्डी की टीबी से पीड़ित व्यक्ति के सबसे आम लक्षण: जोड़ों में दर्द कुट्ट रोग। (रीढ़ की हड्डी की टीबी) पीठ दर्द कलाई का दर्द। रीढ़ की हड्डी में कूबड़ हड्डियों की अव्यवस्था महसूस करना ओस्टियोआर्टिकुलर अभिव्यक्तियाँ मस्तिष्क संबंधी विकार हड्डी संरचनाओं में विकृति होना हड्डी की टीबी का इलाज और रोकथाम: सीडीओ डॉ.मंजर आलम ने बताया की शुरुआती स्तर पर यदि बोन टीबी की पहचान हो जाए, तो इसे दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में सर्जरी ही विकल्प होता है। बोन संबंधी टीबी में 99 प्रतिशत रोग दवाओं से सही हो जाते हैं, यदि बीमारी की पहचान देर से हुई है, तो सर्जरी करना पड़ सकता है।बच्चों में रिकेट्स रोग होने पर दवाओं और विटामिन की खुराक से उपचार संभव है, लेकिन यदि हाथ-पैर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं, तो उस स्थिति में सर्जरी ही विकल्प है।बर्जर डिसीज में खून को पतला करने की दवाई दी जाती है और धूम्रपान पूरी तरह से छोड़ना ही इसके लिए प्रभावी उपचार भी हो सकता है। सरवाइकल या बैक पेन की स्थिति में व्यायाम और फिजियोथेरेपी जैसे उपायों से इसे दूर किया जा सकता है। टीबी मरीजों के लिए काफी मददगार है निक्षय पोषण योजना: सिविल सर्जन डॉ.राज कुमार चौधरी ने बताया की टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 1 हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाने वाली निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है। नए मरीज मिलने के बाद उन्हें 1 हजार रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। टीबी मरीज को आठ महीने तक दवा चलती है। इस आठ महीने की अवधि तक प्रतिमाह पांच एक-एक हजार रुपये दिए जाएंगे। योजना के तहत डी बी टी के माध्यम से राशि सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है। वहीं टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को 500 रुपये तथा उस मरीज को पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी निजी चिकित्सकों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। वहीं ट्रीटमेंट सपोर्टर को अगर कोई टीबी के मरीज छह माह में ठीक हो गया है तो उसे 1000 रुपये तथा एमडीआर के मरीज के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन दी जाती है। अगर कोई आम व्यक्ति भी किसी मरीज को सरकारी अस्पताल में लेकर आता है और उस व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो लाने वाले व्यक्ति को भी 500 रुपये देने का प्रावधान है।
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