JDU does not accept domicile, Manish Verma said Biharis also job in other states जेडीयू को डोमिसाइल मंजूर नहीं, मनीष वर्मा बोले- बिहारी भी दूसरे राज्यों में नौकरी करते हैं, Bihar Hindi News - Hindustan
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जेडीयू को डोमिसाइल मंजूर नहीं, मनीष वर्मा बोले- बिहारी भी दूसरे राज्यों में नौकरी करते हैं

मनीष वर्मा ने कहा कि बिहार के लोग भी बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में जाकर नौकरी कर रहे हैं। संविधान सबको राइट टू वर्क देता है जिसमें भेदभाव नहीं किया जा सकता।

Sudhir Kumar लाइव हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 5 May 2025 09:32 AM
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जेडीयू को डोमिसाइल मंजूर नहीं, मनीष वर्मा बोले- बिहारी भी दूसरे राज्यों में नौकरी करते हैं

बिहार में डोमिसालइल नीति लागू करने को लेकर चल रहे विवाद और संवाद के बीच जनता दल यूनाइटेड, (जेडीयू) का बड़ा बयान आया है। नीतीश कुमार के करीबी और पार्टी के महासचिव पूर्व आईएएस मनीष वर्मा ने दो टूक कहा है कि डोमिसाइल नीति लागू करना संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है। कहा कि बिहार के लोग भी बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों में सरकारी नौकरी करते हैं। देश के हर नागरिक को कहीं भी काम का अधिकार हमारा संविधान देता है। नाम लिए बगैर उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर पलटवार किया है। बिहार के सरकारी स्कूल और कॉलेजों में दूसरे राज्यों के लोगों को नौकरी दिए जाने पर यह मामला विपक्षियों का मुद्दा बन गया है।

राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा के बयान से लग रहा है कि जेडीयू को बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करना मंजूर नहीं है। भागलपुर में एक कार्यक्रम में मनीष वर्मा ने कहा कि यह सुनने में अच्छा लगता है कि बिहार में सिर्फ बिहार के लोग ही काम करें। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि दूसरे राज्यों में भी बड़ी सख्या में बिहार के लोग काम करते हैं। अगर उन्हें रोक दिया जाए तो कैसा लगेगा। कहा कि इस पर कुछ लोग बेवजह भ्रम फैला रहे हैं।

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मनीष वर्मा ने कहा कि हर प्रदेश में बिहारी दिखेंगे। ऐसा इसलिए कि संविधान सभी राज्यों में जाकर आजीविका का अधिकार देता है। राज्य में रहने वाले किसी दूसरे राज्य के नागरिकों से भेदभाव नहीं किया जा सकता। संविधान के राइट टू वर्क में प्रावधान है कि कोई भी देश का नागरिक कहीं भी जाकर नौकरी या रोजगार कर सकता है। इसलिए किसी भी स्टेट में यह नीति लागू नहीं है।

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कहा कि कुछ लोग कन्फ्यूजन पैदा कर रहे हैं कि कई राज्यों में यह लागू है जो गलत है। दरअसल आरक्षित सीटों पर नौकरी वहां के स्थानीय नारिकों को ही नौकरी मिलेगी। लेकिन अनारक्षित सीटों पर देश का कोई भी नारिक आवेदन देकर नौकरी ले सकता है। अगर किसी को भ्रम है तो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के वकील से पूछ ले। बिहार में पढ़ने वालों की संख्या ज्यादा है और नौकरी कम है। ऐसे में बिहार के युवाओं को दूसरे राज्यों में रोक दिया जाए तो क्या होगा।