‘पद्मश्री महासुंदरी देवी पेंटिंग के अलावा सिक्की और सुजनी कढ़ाई में थीं दक्ष
मधुबनी में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की ओर से पद्मश्री महासुंदरी देवी उत्सव 2025 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर चित्रकला प्रतियोगिता और परिचर्चा हुई, जिसमें महासुंदरी देवी के योगदान और संघर्ष को याद...

मधुबनी, नगर संवाददाता। मिथिला चत्रिकला संस्थान परिसर में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की ओर से पद्मश्री स्व. महासुन्दरी देवी उत्सव 2025 पर पुष्पांजली कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें पद्मश्री महासुन्दरी देवी कि चत्रिकला शैली से परिचय एवं जागरूकता के लिए परिचर्चा एवं चित्रकला प्रतियोगिता हुई। जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी नीतीश कुमार ने बताया कि पद्मश्री स्व. महासुन्दरी देवी परिचर्चा पर उक्त अतिथियों ने उनके संघर्ष एवं उपलब्धियों को याद करते हुए बताया कि महासुंदरी देवी ने न केवल मधुबनी चत्रिकला में, बल्कि सक्किी शल्पि, सुजनी कढ़ाई, मिट्टी और पेपर मेसी कला में भी योगदान दिया। उन्होंने “मिथिला हस्तशिल्प कलाकार औद्योगिक सहयोग समिति” की स्थापना की, जो कलाकारों और हस्तशिल्प के विकास के लिए कार्य करती है।पद्मश्री महासुंदरी देवी के सुपुत्र विपिन कुमार लाल दास, बहु नेशलन अवार्डी विभा दास, वरिष्ठ कलाकार संतोष कुमार दास एवं राज्य पुरस्कार आभा दास मौजूद रहीं। मौके पर संस्थान के वरीय आचार्य, पद्मश्री बौआ देवी, आचार्य पद्मश्री दुलारी देवी, कनीय आचार्य पद्मश्री शिवन पासवान, डा रानी झा, संजय कुमार जायसवाल, प्रतीक प्रभाकर, सुरेन्द्र प्रसाद यादव, मो. सरफराज कार्यक्रम में शामिल रहे। उक्त कार्यक्रम में मिथिला चत्रिकला प्रतियोगिता में कुल 40 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। जिसमें प्रथम पुरस्कार के लिए दीपक कुमार, द्वितीय पुस्कार के लिए वद्यिा मंडल एवं तृतीय पुरस्कार के लिए वक्िकी कुमार का चयन किया गया।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।