निगम की सुविधा मिली न योजनाओं का लाभ, वोट के अधिकार से भी वंचित
मधुबनी के जितवारपुर महादलित बस्ती में करीब 200 लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यहां के निवासियों को पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिला और नए परिसीमन के बाद उनके नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किए...
मधुबनी । शहर के वार्ड एक से सटी महादलित बस्ती बुनियादी सुविधाओं से महरुम हैं। जितवारपुर महादलित बस्ती में करीब दो सौ लोगों की आबादी मधुबनी पेंटिंग पर निर्भर हैं। इस बस्ती के अधिकतर लोगों को पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिला। अन्य विकासात्मक याेजनाओं से भी वंचित रखा गया है। नगर निगम के नये परिसीमन के बाद इस बस्ती के करीब एक सौ से अधिक वोटरों के नाम न तो नगर निगम में शामिल किये गये हैं ना ही पंचायत में ही रहने दिया गया। इस वजह से महादलित बस्ती के वोटर नाजिरपुर पंचायत चुनाव में अपने मताधिकार के प्रयोग से वंचित रहे गये। इसके बाद नगर निगम का चुनाव हुआ, इसमें भी इन लोगों के नाम का वोटर लिस्ट में अता-पता नहीं था, इस वजह से वोट भी नहीं डाल सके। जबकि सरकार और जिला प्रशासन लगातार वोटरों में जागरुकता लाने के लिए अभियान चलाते हैं। निगम में नाम नहीं रहने की वजह से वहां से पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिला।
करीब तीन वर्षों से जितवारपुर गांव की इस महादलित बस्ती के लोगों को किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिल रही है। सिर्फ पहली बार जो नये वोटर बने हैं, करीब 18 युवा और युवतियों के नाम निगम के वार्ड के एक के वोटर लिस्ट में दर्ज हुए हैं। बस्ती के युवक मिथिलेश पासवान ने बताया कि उनकी पत्नी पूजा देवी का नाम निगम में जुड़ गया मगर उनका नाम पंचायत और निगम में से कहीं दर्ज नहीं है। बस्ती के कई लोगों की स्थिति ऐसी ही है।
महादलित होते हुए भी पीएम आवास से वंचित: स्टेट अवार्डी कलाकार राजकुमार पासवान, रामलखन पासवान, रामदेव पासवान आदि ने बताया कि बीते करीब चार वर्ष पूर्व वे लोग नाजिरपुर पंचायत में शामिल थे। निगम के वार्ड का दायरा बढ़ने के बाद जितवारपुर पूरे गांव को वार्ड एक में शामिल करने की घोषणा हुई। घोषणा के बाद इस महादलित बस्ती को पूरी तरह से उपेक्षित छाेड़ दिया गया। करीब तीन वर्षों से वे लोग दर-दर की ठाेकरें खा रहे हैं। न तो उनकी बस्ती पर निगम प्रशासन ध्यान दे रहा है ना ही पंचायत के जनप्रतिनिधि ही। कलाकार विंदेश्वर पासवान, महनमा देवी, मंजुला देवी, चंदेश्वर पासवान आदि ने बताया कि जब उनलोगों का नाम नाजिरपुर पंचायत में था, उस समय पीएम आवास योजना में करीब 50 से अधिक लाभार्थियों के नाम जुड़े थे। बगल के गांव सेराम में इस दौरान करीब 175 लाभुकों को पीएम आवास योजना की किस्त भी मिल गई मगर उनलोगों को लाभ नहीं मिला।
मिथिला पेंटिंग ही आजीविका का मुख्य आधार: जितवारपुर की महादलित बस्ती के करीब दो सौ लोगों की आजीविका का मुख्य आधार मधुबनी पेंटिंग है। इनलोगाें के पास खेती लायक जमीन भी नहीं है, जिससे वे अपना पेट भर सके। निगम और पंचायत के वोटर नहीं रहने की वजह से महादलित बस्ती की सड़कें नहीं बनीं। पोखड़ा में घाट निर्माण नहीं हो सका। कुल मिलाकर एक तरफ शासन-प्रशासन महादलित को प्रोत्साहित करने की बात कर रहे हैं, दूसरी तरह निगम के वार्ड एक से लगी महादलित बस्ती आज अपने अस्तित्व बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है।
जिला प्रशासन की ओर से लगातार अभियान चलाकर वोटरों के नाम जोड़े जाते हैं। जानकारी के मुताबिक जितवारपुर के महादलित टोले के लोगों के नाम नहीं रहने की बात सामने आ रही है। यह भी जानकारी मिली है कि इनलोगों के नाम ग्राम पंचायत में थे मगर नगर निगम के नये परिसीमन के बाद नगर निगम में भी इनलोगों के नाम को शामिल नहीं किया गया है। अगर इस तरह की बात है तो इसकी जांच करवाकर वैसे लोगों के नाम जोड़े जाएंगे। वे लोग नगर निगम या ग्राम पंचायत में से जहां के भी हकदार होंगे, वहां इनलोगों का नाम अभियान चलाकर जुुड़वाया जाएगा। इसके बाद जरूरी सुविधाएं मिलने लगेंगी। -अश्विनी कुमार, एसडीएम सदर, मधुबनी
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।