Protests by ASHA and School Cooks in Madhubani Demand Minimum Wage and Rights आशा व रसोइया संघ ने किया प्रदर्शन, Madhubani Hindi News - Hindustan
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आशा व रसोइया संघ ने किया प्रदर्शन

मधुबनी में आशा और विद्यालय रसोइयों ने अपनी लंबित मांगों के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने न्यूनतम मजदूरी, मानदेय में वृद्धि और राज्य कर्मचारी का दर्जा दिए जाने की मांग की। उन्होंने...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीWed, 21 May 2025 01:27 AM
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आशा व रसोइया संघ ने किया प्रदर्शन

मधुबनी । मधुबनी जिला मुख्यालय पर आशा एवं विद्यालय रसोइयों ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन कर अपनी लंबित मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। यह प्रदर्शन बाद में धरना में तब्दील हो गया। इसमें सैकड़ों की संख्या में आशा और रसोइया कार्यकर्ता शामिल हुए। धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व बिहार राज्य विद्यालय संघ के कोषाध्यक्ष नरेश पासवान, जिलाध्यक्ष उपेंद्र यादव, सचिव जोगेंद्र यादव, बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोपगुट) के जिला संयोजक जुली मिश्रा और पिंकी कुमारी ने संयुक्त रूप से किया। मौके पर भाकपा माले के जिला सचिव ध्रुव नारायण कर्ण, माले युवा नेता मयंक कुमार यादव और नगर संयोजक बिसंभर कामत उपस्थित थे।

सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा की सरकार महिला सशक्तिकरण की ढोल पीटती है परंतु लाखों के संख्या में कार्यरत रसोईया और आशा आंगनबाड़ी सेविका सहायका एवं जीविका दीदियों का न्यूनतम वेतन मांग नहीं देती है। 1650 मासिक मानदेय पर खटाया जा रहा है। सरकार खुद ही श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं। 9 जुलाई को होने वाले अखिल भारतीय हड़ताल में लाखों लाख महिलाएं सड़क पर उतरेगी। प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में सरकार से मांग किया कि उन्हें न्यूनतम मजदूरी की गारंटी दी जाए। महंगाई के अनुपात में प्रतिवर्ष मानदेय में वृद्धि सुनिश्चित हो और उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।इस कार्यक्रम में शामिल छेदी पासवान, धीरेन्द्र लाल कर्ण, राजीव कुमार, नीलम सिंह, अनिल सिंह, दिनेश ठाकुर, महेंद्र सिंह, इंद्र कुमार, जीवछ यादव, साबित देवी, पुनीता देवी, सोनी देवी, कनक लता, शशी देवी, आमला देवी, काली देवी, चंदा देवी, रिंकी कुमारी, पूनम कुमारी, कमरू निशा, आदि शामिल हुए। आशा कार्यकर्ता और रसोइया संघ ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन उनके अधिकारों की रक्षा और सम्मानजनक भविष्य की गारंटी के लिए जारी रहेगा, जब तक कि सरकार उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती। आशा कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांगें: 2023 के समझौते के अनुसार मासिक मानदेय ₹1,000 से बढ़ाकर ₹10,000 किया जाए। पिछले छह महीनों से लंबित मानदेय का तत्काल भुगतान सुनिश्चित किया जाए। सेवा निवृत्ति की आयु 65 वर्ष निर्धारित की जाए और सेवा निवृत्ति के समय ₹10 लाख का पैकेज सुनिश्चित किया जाए। विभिन्न कार्यों के लिए मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का पुनरीक्षण हो। आशा कार्यकर्ताओं को ₹21,000 मासिक मानदेय की गारंटी दी जाए। विद्यालय रसोइयों की प्रमुख मांगें: बिहार में केंद्रीय किचन प्रणाली को खत्म किया जाए और एनजीओ आधारित भोजन योजना को बंद किया जाए। 12 महीनों के लिए नियमित मासिक मानदेय का भुगतान हो (वर्तमान में केवल 10 महीनों का भुगतान होता है)। विद्यालय रसोइयों को शिक्षा विभाग में चतुर्थ वर्ग कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। ड्रेस के रूप में साल में दो सेट साड़ी देने की गारंटी किया जाए। सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत ₹3,000 मासिक पेंशन और स्वास्थ्य बीमा की व्यवस्था की जाए।रसोइयों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित हो और धमकी या अपमानजनक रवैये पर रोक लगे। स्कूलों की संख्या और छात्र संख्या के अनुपात में पर्याप्त रसोइयों की बहाली की जाए।

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