सरकार की महत्वाकांक्षी लोहिया स्वच्छता अभियान जिले में बदहाल
मुंगेर जिले में बिहार लोहिया स्वच्छता अभियान की स्थिति चिंताजनक है। सफाईकर्मियों को लंबे समय से मानदेय नहीं मिला है, जिससे वे काम करने में असमर्थ हैं। कचरा उठाने की व्यवस्था ठप हो चुकी है और...

मुंगेर, एक संवाददाता। राज्य सरकार द्वारा चलाया जा रहा महत्वाकांक्षी एवं बहुप्रचारित बिहार लोहिया स्वच्छता अभियान मुंगेर जिले में अपनी दिशा भटक चुकी है। जिस अभियान का उद्देश्य था गांवों को स्वच्छ, स्वस्थ और कचरा मुक्त बनाना, वह आज केवल बैनर, पोस्टर और सोशल मीडिया प्रचार तक ही सीमित रह गया है। आज जमीन पर इस अभियान की स्थिति बदहाल है। जिले की अधिकांश पंचायतों में घरों से कचरा उठाने की व्यवस्था या तो पूरी तरह बंद हो चुकी है या फिर नाम मात्र की रह गई है। वहीं, अधिकारी मौन साधे हुए हैं। स्वच्छता कर्मियों को नहीं मिला है मानदेय: अधिकांश ग्राम पंचायतों में स्वच्छता कार्य के लिए नियुक्त सफाईकर्मियों को पिछले कई महीनों से मानदेय तक नहीं मिला है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर विभिन्न पंचायतों के कई स्वच्छता कर्मियों ने बताया कि, जिले की कई पंचायतों में पिछले एक वर्ष से अधिक का मानदेय बकाया है। मानदेय नहीं मिलने के कारण हमारी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। एक तो अत्यंत ही कम मानदेय मिलता है, ऊपर से लंबे समय तक नहीं मिलने के कारण हमारे समक्ष भूखों मरने की स्थिति हो गई है। ऐसे में हम स्वच्छता कर्मी भूखे पेट समाज को कितना स्वच्छ रखेंगे? स्पष्ट रूप से, मानदेय नहीं मिलने के कारण स्वच्छता कर्मियों के कार्य की गति और गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने वर्तमान वर्ष के जनवरी एवं फरवरी माह का मानदेय तो भुगतान कर दिया है, लेकिन इसके पूर्व एवं बाद का मानदेय अभी भी बकाया है। ऐसे में बिना भुगतान के लगातार काम करने को मजबूर हम स्वच्छता कर्मियों का उत्साह अब टूट चुका है। ज्ञात हो कि, कई पंचायतों में लंबे समय से मानदेय नहीं मिलने के कारण स्वच्छता कर्मियों ने कचरा उठाना बंद कर दिया है। ऐसे में लोग अपने घरों का कचरा पूर्व की भांति जहां-तहां फेंकने को मजबूर हैं। परिणामस्वरूप, गली-मोहल्लों में जगह-जगह कचरा जमा होता जा रहा है और कई जगहों पर बदबू व गंदगी से महामारी फैलने का खतरा भी मंडराने लगा है। उद्देश्यविहीन हो रहा है अभियान: कई पंचायतों के लोगों ने बताया कि, हर वार्ड में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए वाहन खरीदे गए थे, लेकिन अब वे या तो खड़ी-खड़ी धूल फांक रही हैं या फिर निजी उपयोग में लाए जा रहे हैं। वहीं, कई पंचायतों में स्वच्छता पर खर्च होने वाली राशि का कोई लेखा-जोखा नहीं है। स्वच्छता कर्मियों के मानदेय की राशि पंचायत योजना में लगा दी गई है और उन्हें वाजिब भुगतान नहीं मिल रहा है। ऐसे में लोहिया स्वच्छता अभियान मुंगेर में उद्देश्यविहीन होता जा रहा है। जब तक जिम्मेदारों की जवाबदेही तय नहीं होगी और स्वच्छता कर्मियों को समय पर मानदेय नहीं मिलेगा, तब तक स्वच्छ भारत का सपना महज एक प्रचार बनकर ही रह जाएगा। अब समय आ गया है कि इस अभियान को जमीन पर उतारने की ईमानदार कोशिश की जाए। कहते हैं अधिकारी: सरकार के निर्देशानुसार पंचायत के प्रत्येक वार्ड में एक स्वच्छता कर्मी को नियुक्त किया जाना था। लेकिन कई पंचायतों में दो-दो कर्मी नियुक्त कर दिए गए हैं। घरों से स्वच्छता राशि की उगाही नहीं हो पा रही है। मुखिया ने जो राशि स्वच्छता कर्मियों को मानदेय के रूप में देना था, उसे अन्य योजनाओं में लगा दिया है। साथ ही सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष तक स्वच्छता कर्मियों के मानदेय के लिए कोई राशि जारी नहीं की थी। ऐसे में उस अवधि का भुगतान पंचायत को ही करना होगा। हालांकि, वर्तमान वित्तीय वर्ष में सरकार ने बजट में स्वच्छता कर्मियों के मानदेय के लिए व्यवस्था की है। इसलिए अब आगे से मानदेय देने में कोई परेशानी नहीं होगी। -सुजीत कुमार, जिला स्वच्छता समन्वयक, मुंगेर
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