सिंधु जल समझौता खत्म कर शांत नहीं बैठा है भारत, बंपर बिजली बनाने की योजना पर चल रहा काम
जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने 30 अप्रैल को गृह मंत्री अमित शाह से दूसरी बार मुलाकात की और उन्हें डैमों व जलाशयों की स्थिति तथा संधि निलंबन के कानूनी पहलुओं की जानकारी दी।

भारत ने सिंधु नदी प्रणाली पर लगभग 12 गीगावॉट (GW) अतिरिक्त जलविद्युत उत्पादन की योजना पर काम तेज कर दिया है। इस योजना के तहत नए जलविद्युत प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू करने के लिए व्यवहार्यता अध्ययन भी शुरू किए गए हैं। दो वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में जानकारी दी है। फिलहाल इस नदी प्रणाली पर निर्माणाधीन परियोजनाएं करीब 2.5 GW की क्षमता जोड़ेंगी, लेकिन एक अधिकारी के अनुसार, इन परियोजनाओं की प्रगति “रुकावटों और सिंधु जल संधि की प्रतिकूल शर्तों” के चलते बाधित रही है। अब जबकि भारत ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है, तो ऐसे में परियोजनाओं को गति मिलने की उम्मीद है।
25 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद, जल शक्ति मंत्रालय और राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) इन सभी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के एक दिन बाद पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया था। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये कदम तब तक प्रभावी रहेंगे, जब तक पाकिस्तान “सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूर्णतः और स्थायी रूप से समाप्त” नहीं कर देता।
प्रस्तावित परियोजनाएं
एक अधिकारी के अनुसार, इन प्रोजेक्ट्स में जम्मू-कश्मीर के रामबन और उधमपुर जिलों में प्रस्तावित सावलकोट प्रोजेक्ट सबसे बड़ा होगा।
- सावलकोट परियोजना (1,856 मेगावाट) – चिनाब नदी पर, जम्मू-कश्मीर के रामबन और उधमपुर जिलों में प्रस्तावित
- पाकल दुल (1,000 मेगावाट)
- रतले (850 मेगावाट)
- बर्सर (800 मेगावाट)
- किरू (624 मेगावाट)
- किर्थाई-I और II (कुल 1,320 मेगावाट)
इन सभी परियोजनाओं को राष्ट्रीय ग्रिड के साथ पूरी तरह जोड़ा जाएगा, जिससे जम्मू-कश्मीर और अन्य क्षेत्रों को दीर्घकालिक ऊर्जा सहायता मिल सकेगी।
पाकिस्तान की आपत्तियां और कानूनी लड़ाई
पाकिस्तान ने इन परियोजनाओं, विशेषकर रतले और किशनगंगा डैम, पर आपत्ति जताई है। उसका आरोप है कि भारत इन परियोजनाओं के जरिए सिंधु जल संधि का उल्लंघन कर रहा है। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए कई बार अपील की है, हालांकि भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
गौरतलब है कि किशनगंगा डैम का निर्माण भारत ने 2017 में पूरा किया था, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2018 में किया था। लेकिन इसका निर्माण कई बार रोकना पड़ा था, जैसे 2011 में जब पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का रास्ता अपनाया।
जल प्रवाह में प्राकृतिक गिरावट
भारत पिछले कुछ वर्षों से इस संधि की पुनः समीक्षा की मांग करता रहा है। उसका कहना है कि कश्मीर से गुजरने वाली नदियों के प्रवाह दर में समय के साथ प्राकृतिक गिरावट आई है। यूएस स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिंधु बेसिन में मीठे पानी के प्रवाह में उल्लेखनीय कमी आई है।
केंद्रीय मंत्रियों की बैठकों का सिलसिला
जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने 30 अप्रैल को गृह मंत्री अमित शाह से दूसरी बार मुलाकात की और उन्हें डैमों व जलाशयों की स्थिति तथा संधि निलंबन के कानूनी पहलुओं की जानकारी दी। कुल मिलाकर भारत का यह कदम न केवल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी बड़ा कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि ये सभी परियोजनाएं समय पर पूरी हो जाती हैं, तो देश की ग्रीन एनर्जी क्षमता में बड़ा इजाफा होगा और जम्मू-कश्मीर के विकास को भी नई रफ्तार मिलेगी।