बस धमकी दी है, मारेंगे नहीं; सिंधु जल संधि पर केंद्र के फैसले को लेकर फारुख अब्दुल्ला
India Pakistan News: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निरस्त कर दिया है। इस फैसले पर फारुख अब्दुल्ला का कहना है कि नई दिल्ली न इस्लामाबाद को केवल धमकी दी है, हम उन्हें मारेंगे नहीं.. हम पाकिस्तान जितना क्रूर नहीं हैं।

।Farooq Abdullah: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निरस्त कर दिया था। पाकिस्तान की तरफ से इस फैसले को लेकर काफी पैर पटके गए थे। अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दु्ल्ला ने सिंधु जल संधि का जिक्र करते हुए एक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली ने भले ही इस्लामाबाद को पानी बंद करने की चेतावनी दी हो लेकिन हमारा इरादा कभी भी पाकिस्तानी आम जनता को नुकसान पहुंचाने का या उनकी जान लेना का नहीं होता।
एजेंसी से बात करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने भारत को गांधी का देश बताया। उन्होंने कहा, "भारत, गांधी का देश है, हमने उन्हें धमकी दी है कि हम सिंधु का पानी रोक देंगे, लेकिन हम उन्हें मारेंगे नहीं। हम उनके जैसे क्रूर नहीं है.."
पूर्व सरकारों पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि की जा रही थी, उस वक्त कश्मीर के लोगों को विश्वास में नहीं लिया गया था। इस संधि से सबसे ज्यादा नुकसान जम्मू-कश्मीर के लोगों का ही हुआ है। एनसी के चीफ ने सरकार सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए अपील की कि अब सरकार को यह पानी को जम्मू के लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
इतना ही नहीं फारुख अब्दुल्ला शनिवार को घाटी में आए पर्यटकों से भी मिलने पहुंचे। पर्यटकों से मिलने के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पहलगाम में हुए हमले के बाद भी घाटी में पर्यटकों की आती भीड़ इस बात का सबूत है कि हमारे लोग डरे नहीं है।
उन्होंने कहा, "जो भी लोग घाटी में और पर्यटकों के मन में डर फैलाना चाहते थे वह हार गए हैं। आतंकवादी हार गए हैं। आज यह तय हो गया है कि आम जनता के मन में कोई डर नहीं है। स्थानीय लोग भी चाहते हैं कि अब आतंकवाद को खत्म हो जाना चाहिए। 35 साल हो गए.. 35 साल से यहां दहशत गर्दी है.. अब हम विकास चाहते हैं.. हम आगे बढ़ना चाहते हैं.. किसी दिन एक बड़ी शक्ति बनना चाहते हैं।"
फारुख अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के बयान को नजरअंदाज करते हुए कहा कि ऐसे बयानों को अहमियत नहीं देनी चाहिए क्योंकि अगर हम इन्हें अहमियत देंगे तो कभी भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। मैं यह काफी लंबे समय से कहता आया हूं कि सिंधु जल संधि पर फिर से बात होनी चाहिए.. यह नदियां हमारी हैं और हम ही पानी के लिए परेशान रहते हैं।