26 हजार मजदूरी व अन्य मांगों को लेकर रसोइयों ने निकाला जुलूस
मुजफ्फरपुर में बिहार विद्यालय रसोइया यूनियन के तहत रसोइयों ने जुलूस निकाला। उन्होंने सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम मजदूरी 26 हजार रुपये, पेंशन, और अन्य मांगों के लिए आवाज उठाई। प्रदर्शनकारियों का...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। बिहार विद्यालय रसोइया यूनियन के बैनर तले मंगलवार को रसोइयों ने जुलूस निकाला। खुदीराम बोस स्मारक स्थल से जुलूस निकला, जो समाहरणालय पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया। वक्ताओं ने कहा कि मांगों की पूर्ति होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। जुलूस में विद्यालय रसोइया को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देना होगा, तत्काल न्यूनतम मजदूरी प्रतिमाह 26 हजार रुपये लागू करना होगा, रसोइया को पेंशन देना होगा, रसोइया को रिटायरमेंट₹ पर 5 लाख देना होगा, 12 माह मानदेय देना होगा जैसे नारे गूंजते रहे। रसोइया यूनियन की अन्य मांगों में अवकाश की सुविधा, मध्याह्न भोजन को एनजीओ के हवाले बंद करने, बकाया मानदेय सहित प्रतिमाह का भुगतान सुनिश्चित करने, मृत रसोइया के परिजनों को मुआवजा राशि चार लाख रुपए अविलंब देने आदि शामिल थे।
सभा को संबोधित करते हुए दिनेश राम व रामसेवक पासवान ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार विकास के आंकड़े पेश करती है। इनके दावे के बावजूद रसोइया प्रतिमाह 1650 रुपए पा रहे हैं। वह भी साल में 10 माह के लिए पाती हैं, जो आसमान छूती महंगाई के दौर में नाकाफी है। यूनियन के जिला सचिव मोहर्रम खातून ने कहा कि सरकार महिला विकास एवं बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा लगाती है, लेकिन सरकारी विद्यालयों में काम करने वाली रसोइया को 1650 रुपए प्रतिमाह देती है। यह राज्य एवं केंद्र सरकार के महिला विकास के विपरीत आचरण को प्रदर्शित करता है। जिला उपाध्यक्ष रणजीत कुमार ने कहा शिक्षा एवं स्वास्थ्य किसी भी विकसित समाज की रीढ़ मानी जाती है। रसोइया न्यूनतम मजदूरी सहित सभी जनवादी अधिकारों से वंचित है। सभा की अध्यक्षता रंजीत कुमार ने की। सभा को अंजना देवी, गिरिजा देवी, नुरैसा खातून, मंजू देवी, जानकी देवी, अनिल शाह आदि ने संबोधित किया। अंत में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने डीएम को मुख्यमंत्री के नाम स्मार-पत्र भी सौंपा।
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