काम, क्रोध, लोभ और मोह में डूबे प्राणी को शांति नहीं : देवकीनंदन
देवकीनंदन भारद्वाज महाराज ने कहा कि काम, क्रोध, लोभ और मोह में डूबे प्राणी को शांति नहीं मिलती। उन्होंने राम कथा में नारद जी के अभिमान का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि आज के लोग सत्य, प्रेम और करुणा के...

काम, क्रोध, लोभ और मोह में डूबे प्राणी को शांति नहीं : देवकीनंदन फोटो: मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। आश्रम घाट रोड स्थित रामविलास नगर में बिहार विकास संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित श्रीराम कथा महायज्ञ के पांचवें दिन शुक्रवार कथावाचक देवकीनंदन भारद्वाज महाराज ने कहा कि काम, क्रोध, लोभ और मोह में डूबे प्राणी को शांति नहीं मिलती। आज लोग सत्य, प्रेम और करुणा के मार्ग से भटक गए हैं। इससे जीवन में कठिनाइयां उत्पन्न होती है। राम कथा का वर्णन करते हुए देवकीनंदन भारद्वाज ने नारद जी के अभिमान का प्रसंग सुनाया। कहा कि एक बार नारद जी के मन में आया कि उन्होंने काम पर विजय प्राप्त कर लिया।
अपनी प्रशंसा खुद भगवान महादेव के पास जाकर की। महादेव ने चेताया कि नारायण के पास ऐसी बात नहीं कीजियेगा। फिर भी नारद जी चंचल चित के कारण भगवान श्रीहरि विष्णु के सामने भी अपनी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सके। नारद जी के मन को भगवान ने विश्व मोहिनी बनकर मोह लिया और वानर का रूप दे दिया। मौके पर कथा संयोजक विपिन कुमार सिंह, श्याम भरतिया, रमेश केजरीवाल, रामेश्वर पासवान, धर्मेन्द्र पासवान, मनोज मिश्रा, दीनानाथ झा, अरविंद ठाकुर, रामायण वाचक राम उदय सहनी, बिरजू सहनी, राकेश पटेल, संजय पंडित, शंकर राय, गणेश पटेल, योगेंद्र राम आदि थे।
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