संस्कृत के एक पद के लिए कतार में 20 अभ्यर्थी
हिन्दुस्तान विशेष -राज्य में 76 सहायक प्राध्यापक पद के लिए 1479 अभ्यर्थी -विवि सेवा

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। संस्कृत विषय में सहायक प्राध्यापक बनने के लिए एक सीट पर 20 अभ्यर्थी कतार में हैं। विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने संस्कृत विषय के इंटरव्यू के लिए योग्य अभ्यर्थियों की सूची जारी की है। राज्य में 76 पदों पर 1479 अभ्यर्थी साक्षात्कार देंगे। विवि सेवा आयोग ने 769 अभ्यर्थियों के आवेदन को भी रद्द कर दिया है। इन अभ्यर्थियों के आवेदन में पूरे दस्तावेज नहीं थे। बिहार विश्वविद्यालय सेवा अयोग ने कहा है कि संस्कृत पद के लिए आवेदनों में 289 अभ्यर्थियों ने दस्तावेजों की हाई कॉपी भी आयेाग को नहीं दी। आयोग जल्द ही संस्कृत पद के सहायक प्रध्यापक के लिए इंटरव्यू कर रिजल्ट जारी करेगा।
बीआरएबीयू में संस्कृत विषय में 12 पद खाली हैं। आयोग ने इडब्ल्यूएस में शामिल कई अभ्यर्थियों को सामान्य कोटि में कर दिया है। इसका कारण आयोग ने बताया है कि इडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र की अवधि एक वर्ष तक ही थी, इसलिए अवधि के सर्टिफिकेट को मान्य नहीं किया गया है। आयोग ने पीएचडी 2009 रेगुलेशन के कई छात्रों का भी आवेदन अस्वीकृत कर दिया है। इसका कारण आयोग ने रेगुलेशन के साथ पांच बिंदुओं का प्रमाणपत्र नहीं देना बताया है। उधर, विवि सेवा आयोग की तरफ से चयनित प्राचार्यों की पोस्टिंग पर एक पेच फंसता दिख रहा है। बीआरएबीयू के कुछ प्राचार्यों ने बताया कि राजभवन से जारी पत्र में कंडिका 2.3.5 के पालन का निर्देश आया है। इस कंडिका में प्रोफेसर रैंक के अभ्यर्थी को पीजी कॉलेज आवंटित किया जाना है। चयनित प्राचार्यों में कई एसोसिएट प्रोफेसर भी हैं। ऐसे में एक ही बार में लॉटरी करने से प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर में क्या अंतर रह जायेगा। लॉटरी में तो प्रोफेसर को स्नातक कॉलेज भी मिल सकता है और एसोसिएट को पीजी कॉलेज। कुछ नये प्राचार्यों का कहना है कि इस कंडिका के पालन के लिए दो बार लॉटरी की जानी चाहिए। एसोसिएट प्रोफेसर की अलग और प्रोफेसर की अलग। इससे इस कंडिका का पालन हो जायेगा।
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