शहर की साफ-सफाई करने वालों के मोहल्ले में ही गंदगी व बजबजाते नाले
मुजफ्फरपुर के वार्ड 39 में पुरानी गुदरी रोड के आसपास के इलाके की स्थिति अत्यंत खराब है। यहां गंदगी, बजबजाते नाले और जर्जर सड़कों की समस्या है। स्थानीय लोग पेयजल संकट और आवास की कमी से जूझ रहे हैं। नगर...
मुजफ्फरपुर। पुरानी गुदरी रोड और इसके आसपास के इलाके का हाल चिराग तले अंधेरा जैसा है। शहर की साफ-सफाई करने की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकतर लोग इसी वार्ड 39 में रहते हैं, लेकिन यह मोहल्ला बुनियादी सुविधाओं के मामले में उपेक्षित है। मोहल्ले में गंदगी, बजबजाते नाले और उससे बहता गंदा पानी सड़कों पर फैला है। कई घरों में नाले का गंदा पानी घुस जाता है। सड़कें जर्जर स्थिति में हैं। इस मोहल्ले में 15 से 20 हजार की आबादी रहती है। लगभग 30 वर्षों से सड़कों की मरम्मत नहीं हुई है। इस वार्ड में स्लम एरिया भी है, जिसमें 40 साल पुराने जर्जर सरकारी मकान में लगभग 35 परिवार रहते हैं।
नगर निगम इस मकान को परित्यक्त घोषित कर चुका है। इसके बाद भी आवास विहीन परिवार जोखिम उठाकर इसमें रहने को मजबूर हैं। मोहल्ले में सुविधाओं के अभाव को लेकर इनमें गहरी निराशा है। वार्ड 39 में शहर के पुराने मोहल्ले में से एक पुरानी गुदरी रोड और इसके आसपास के मोहल्ले को शामिल किया गया है। यह मोहल्ला जितना पुराना है, उतनी ही इसकी समस्याएं पुरानी है। ऐसा नहीं कि इन समस्याओं से जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी अनजान हैं। इस मोहल्ले की सड़क 1995 में बनी थी। इसके बाद कायदे से इसकी मरम्मत तक नहीं हो सकी। यही हाल नाले का है। सड़कें जर्जर तो नाले पूरी तरह टूटे हुए हैं। अधिकतर स्थानों पर स्लैब नहीं है। इससे इसका गंदा पानी सड़कों पर फैल जाता है। निचले इलाके में नाले का गंदा पानी घरों में घुस जाता है। इससे इस इलाके के लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। बड़े स्लम एरिया वाले इस वार्ड में बेहतर सरकारी प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय नहीं है। इससे इस यहां के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई सही तरीके से नहीं हो पाती है। वार्ड में आधा-अधूरा जलमीनार है। इसका निर्माण वर्षों पहले शुरू हुआ, जो अब तक पूरा नहीं हो सका। इसके चारों तरफ अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया है। यह स्थान शराबियों, स्मैकियों और जुआड़ियों का अड्डा बन गया है। असामाजिक तत्वों का यहां हमेशा जमावड़ा लगा रहता है।
मोहल्ले में हमेशा रहती है पेयजल की समस्या :
स्थानीय लोगों ने बताया कि वार्ड में चार सबमर्सिबल पंप लगाए गए हैं। इसमें एक भी खराब होता है तो पेयजल की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके चालू करने का कोई टाइम-टेबल नहीं है। इससे मोहल्ले के लोगों को भारी परेशानी होती है। भवानी सिंह मार्ग में लगाए गए मोटर पंप की क्षमता काफी कम है। इससे घरों तक पानी नहीं पहुंचता है। अगर पानी पहुंच भी गया तो उसकी धारा काफी कमजोर होती है। इसको लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।
जान जोखिम में डाल जर्जर मकान में रह रहे लोग :
महाराजी पोखर के निकट 40 वर्ष पुराने सरकारी मकान में लगभग 35 परिवार रह रहे हैं। यह इतना जर्जर है कि कभी धराशायी हो सकता है। इस मकान की छत का प्लास्टर अक्सर टूटकर गिरता रहता है। नगर निगम इसे परित्यक्त घोषित कर चुका है। इसमें रहने वाले लोगों को छह माह पहले मकान खाली करने का नोटिस दिया गया। पुनर्वास की मांग को लेकर ये लोग मकान खाली नहीं कर रहे हैं। इससे भविष्य में किसी बड़े हादसे की आशंका होने लगी है। शुरू में इस भवन में इन परिवारों को बसाने की योजना नहीं थी। तब जनप्रतिधिनिधियों के प्रयास से इन परिवारों को बसाया गया। इस मकान की कभी मरम्मत नहीं हुई। इससे यह काफी जर्जर हो गया है। लोग इस मकान को खाली करना तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें भय है कि इसके बाद उन्हें फिर से यहां मकान नहीं मिलेगा। यहां रहने वाले एक युवक ने बताया कि वह इसी मकान में जन्म लिया। यहां से वह कहीं नहीं जाना चाह रहा है। बुनियादी सुविधाओं के अभाव को लेकर भी स्लम एरिया के लोगों में नाराजगी दिखी।
बोले जिम्मेदार :
वार्ड में कई समस्याएं हैं, लेकिन इसके लिए कम फंड मिलता है। हाल में तीन सड़कों के निर्माण को लेकर 25 लाख रुपया पास हुआ है। स्लम एरिया में जर्जर मकान में रह रहे परिवारों को वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराने को लेकर प्रशासन से बातचीत हुई है। इन परिवारों को तत्काल उसी जगह पर शिफ्ट कराने का प्रस्ताव दिया गया है।
-मधु विजेता, वार्ड पार्षद, वार्ड संख्या-39
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