IAS अभिषेक प्रकाश के लिए मांगे गए एक करोड़ कहां हैं? पुलिस को अब ख्याल आया, अदालत से झटका
इन्वेंस्ट यूपी के सीईओ रहे आईएएस अभिषेक प्रकाश के लिए निकांत जैन ने सोलर संयंत्र लगाने वाली कंपनी से एक करोड़ रुपए लिए थे। यह रुपए कहां हैं, इसे जानने का ख्याल पुलिस को अब 45 दिन बाद आया है। इसी को लेकर पुलिस जब अदालत पहुंची तो करारा झटका लगा है।

आईएएस अभिषेक प्रकाश के लिए सोलर उर्जा संयंत्र लगाने वाली कंपनी से एक करोड़ की रिश्वत लेने में गिरफ्तार निकांत जैन के मामले में पुलिस की गंभीर लापरवाही सामने आई है। एक करोड़ रुपए कहां हैं, यह जानने का ख्याल पुलिस को अब गिरफ्तारी के 45 दिन बाद आया है। निकांत से पूछताछ के लिए पुलिस ने कोर्ट में याचिका डाली और रिमांड मांगी। जबकि किसी की गिरफ्तारी के 40 दिन बाद तक ही पुलिस चाहे तो उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है। भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट के विशेष न्यायाधीश सत्येंद्र सिंह ने तय समयसीमा के बाद कस्टडी रिमांड मांगे जाने पर पुलिस की याचिका खारिज कर दी है। इसी मामले के सामने आने के बाद इन्वेंस्ट यूपी के सीईओ रहे आईएएस अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया था। अब भी वह निलंबित ही चल रहे हैं। पूरे मामले की जांच एसटीएफ भी कर रही है।
अदालत ने निकांत जैन की पुलिस कस्टडी रिमांड की अर्जी को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि आरोपी निकांत जैन को जिन आरोपों में गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है उन आरोपो में उसे अधिकतम 10 साल की सजा दी जा सकती है। जबकि कानून के अनुसार आरोपी जेल में है तो 40 दिन के भीतर रिमांड अर्जी देना चाहिए। विवेचक एसीपी गोमतीनगर विनय कुमार द्विवेदी ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर रिमांड मांगी थी। निकांत जैन को इस मामले में गत 20 मार्च को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था।
निकांत जैन ने विवेचना के दौरान बताया था कि उसने मामले के वादी विश्वजीत दत्ता की कंपनी से सोलर ऊर्जा के कल पुर्जे बनाने की इकाई को प्रदेश में लगवाने के एवज में एक करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। अदालत से कहा गया कि उस रुपये को निकांत जैन ने किसे दिया या कहां रखा है केवल वही जानता है। बताया गया कि ऑफिस में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के पासवर्ड और अन्य अभिलेखीय सबूतों की जानकारी भी केवल निकांत जैन को है, लिहाजा आरोपी को रिमांड पर दिया जाये। विवेचक की अर्जी का विरोध करते हुए अधिवक्ता नितिन माथुर ने कहा कि पुलिस ने आरोपी को रिमांड पर लेने के लिए उसकी गिरफ्तारी के 45 दिन बाद अर्जी दी है। लिहाजा आरोपी को रिमांड पर नहीं दी जा सकती है।