एक दिन पहले रजनी ने कराया था बंध्याकरण, बुझ गया कुल का चिराग
मुजफ्फरपुर में एक आगजनी की घटना में कई बच्चों की जान चली गई। रजनी देवी का इकलौता पुत्र विपुल और बेटी ब्यूटी आग में जलकर मारे गए। अन्य परिवारों में भी बच्चों की मौत हुई। जब आग लगी, तब मां और अन्य सदस्य...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। लछु पासवान की पुत्री रजनी देवी का विवाह वैशाली के सैदपुर में है। वह बंध्याकरण कराने के लिए मायके आई थी। एक दिन पहले ही सकरा में उसका बंध्याकरण हुआ था। पति मनोज पासवान परदेस में मजदूरी करता है। उसके तीन पुत्री और एक पुत्र थे। अगलगी में रजनी का इकलौता पुत्र विपुल कुमार व बेटी ब्यूटी जिंदा जल गई। इस तरह उसके कुल का चिराग विपुल बुझ गया। अब उसे दो बेटियां बची हैं। रजनी ने बताया कि वह घर पर ही थी जब आग लगी। ऑपरेशन के कारण बेड पर सोई थी। इसी बीच आग लगने पर वह अपनी दो बेटियों को लेकर भागी। उन्हें मक्के के खेत के पास रखकर जब तब विपुल और ब्यूटी को बचाने आती, तब तक आग फैल चुकी थी। ब्यूटी और विपुल पीछे की ओर भागे। तीनों बाथरूम में छिप गए। आग फैली तो तीनों उसी में जलकर मर गए।
राजस्थान में कॉल कर छोटू को बेटी की मौत की दी गई खबर :
छोटू पासवान राजस्थान में एक निजी कंपनी में मजदूरी करता है। उसे ढाई साल की बेटी अंशिका के जिंदा जलने की सूचना कॉल कर दी गई है। झोपड़ी से जब अंशिका का शव निकाला गया, उस समय मां गुंजा देवी खेत में थी। ढाई साल की बेटी को सुबह ही खाना खिलाकर उसे घर में सुला दिया था। गुंजा बेटी के अधजले शव को देखकर बेहोश हो गई। बेटा और बड़ी बेटी मां गुंजा के साथ खेत पर गए हुए थे। पोती अंशिका की मौत पर दादा-दादी भी चीत्कार मार कर रोते रहे।
राजन पासवान की दो संतानों में बड़ी बेटी जिंदा जल गई :
राजन पासवान गांव में ही रहकर मजूदरी करता है। वह घटना के वक्त काम पर गया हुआ था। उसे दो संतानों में बड़ी बेटी शृष्टि थी। शृष्टि आग की लपटों में घिरकर जिंदा जल गई। घटना के वक्त मां बबीता देवी परिवार के अन्य लोगों के साथ खेत में गेहूं कटनी करने गई थी, जब तक लौटती तब तक घर में बेटी के साथ सारा सामान जलकर खाक हो गया। वह बेटी के शव के साथ लिपटकर रोते हुए बोली घर जल जाता, लेकिन हे अग्नि देव हमरा बेटी के बकस देतियई। वह बार-बार बेहोश हो रही थी।
बच्चों का अधजला शव देख मूर्छित होकर गिरी कई महिलाएं :
अगलगी की घटना की सूचना मिलते ही सकरा रेफरल अस्पताल की मेडिकल टीम गांव में पहुंच गई। नर्स और चिकित्सक गांव में शाम तक कैंप करते रहे। जिंदा जले बच्चों का शव देखने के बाद कई महिलाएं बेहोश होकर गिर गईं। मेडिकल टीम ने उनका गांव में इलाज किया। बच्चों की मौत पर बेहोश होने वाली माताओं का गांव में ही उपचार किया गया। शाम में बबीता की तबीयत अधिक खराब होने पर उसे सकरा अस्पताल भेजा गया।
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