मां महागौरी की खोईछा भराई कर की मनोकामना सिद्धि की प्रार्थना
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। वासंतिक नवरात्रि के महाअष्टमी को मंदिरों व शहर के मालगोदाम छाय रोड स्थित एक मात्र पूजा पंडाल समेत जिले भर के विभिन्न पूजा पंडालों में मां दुर्गा की गोद भराई के लिए...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। वासंतिक नवरात्रि के महाअष्टमी को मंदिरों व शहर के मालगोदाम छाय रोड स्थित एक मात्र पूजा पंडाल समेत जिले भर के विभिन्न पूजा पंडालों में मां दुर्गा की गोद भराई के लिए श्रद्धालु महिलाओं की भीड़ उमड़ती रही। महिलाएं सोलह शृंगार कर पूजन करने मंदिर व पूजा पंडालों में पहुंचीं। देर शाम तक महिलाएं पूजा करती दिखीं। उत्साह से भरी महिलाओं ने विधिपूर्वक गोदभराई की रस्म पूरी की। महिला श्रद्धालुओं ने मां महागौरी को नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग लगाया। माता भक्तों ने माता की पूजा करते समय माता जी के पंसदीदा रंग के गुलाबी वस्त्र पहने। मान्यता है कि इससे परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बना रहता है और यह रंग परिवार को प्रेम के धागों में गूंथ कर रखने वाला माना जाता है। इस मान्यता के कारण महागौरी के पूजन में इन बातों का खास ख्याल रख कर भक्तों ने पूजन सम्पन्न की। वासंतिक नवरात्रि के पूजन के क्रम में शनिवार को माता के आठवें स्वरूप देवी महागौरी की पूजा-अर्चना शुभ मुहूर्त में की गयी। विधिपूर्वक पूजन में जुटे सभी श्रद्धालुओं में बेहद उल्लास का माहौल रहा। नवादा शहर में माता का पट खुलने के बाद मालगोदाम छाय रोड में सार्वजनिक पूजा समिति द्वारा स्थापित माता की प्रतिमा के समक्ष सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती रही। श्रद्धालु महिला माता भक्तों द्वारा गोद भराई और नारियल फोड़ने का विधान पूरा किया गया। गोद भराई का सिलसिला रविवार महानवमी तक जारी रहेगा। इस बीच, शनिवार की मध्यरात्रि को अष्टमी पूजन के क्रम में महानिशाबली का अनुष्ठान श्रद्धालु पूरा करेंगे। महानिशाबली के क्रम में कुष्मांड व नारियल माता जी को चढ़ाया जाएगा। शनिवार की शाम श्रद्धालु महिलाएं माता जी का शृंगार भी करेंगी और इसके बाद महानिशाबली का संकल्प लिया जाएगा। वासंतिक नवरात्रि पर पूजन का यह सिलसिला रविवार को महानवमी पर कन्या पूजन और हवन के साथ समाप्त हो जाएगा। कन्या पूजन और हवन की तैयारी भी पूरी कर ली गयी है। विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की माता भक्तों ने अष्टमी तिथि पर शनिवार के प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात कलश पूजन कर मां की विधि-विधान से पूजा कर श्रद्धालुओं ने माता से सुख-समृद्धि और सर्वसिद्धि की कामना की। नियमपूर्वक परम्परा का निर्वहन करते हुए श्रद्धालुओं ने मां को प्रिय सफेद पुष्प अर्पित कर मां की वंदना मंत्र का उच्चारण किया। स्तुति मंत्र श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। का पाठ कर श्रद्धालुओं ने मां का पुण्य स्मरण किया। इसके बाद मां को अति प्रिय हलुआ, पूरी, सब्जी, काले चने और नारियल का भोग लगाया। माता रानी को चुनरी अर्पित की गयी। कई घरों में महाअष्टमी पूजन के तहत शनिवार को भी कन्याओं को भोजन कराया गया। हालांकि ज्यादातर श्रद्धालु कन्या भोजन का विधान महानवमी पर रविवार को पूरा करेंगे। माता महागौरी की पूजा है सर्वाधिक कल्याणकारी मां महागौरी का ध्यान-स्मरण, पूजन-आराधना भक्तों के लिए सर्वाधिक कल्याणकारी मानी जाती है। माता का सदैव ध्यान करना इतना शुभ होती है कि माता की कृपा से आलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। माता भक्तों के कष्ट जल्दी ही दूर कर देती हैं एवं इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। ये मनुष्य की वृतियों को सत्य की ओर प्रेरित करके असत्य का विनाश करती हैं। भक्तों के लिए यह देवी अन्नपूर्णा का स्वरूप हैं इसलिए अष्टमी के दिन भी कन्याओं के पूजन का विधान किया जाता है। यह विधान धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी को अति प्रिय है। अनेक भक्तों ने इस परम्परा का अनुसरण कर अपनी श्रद्धा माता के प्रति निवेदित की।
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