आतंकी घटनाओं से बढ़ जाती है चिंता, दहशत में बीतता है दिन
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। सेना व अर्धसैनिक बलों में कार्यरत तथा सीमा आदि पर तैनात जवानों के परिजनों ने पहलगांव जैसी आतंकी घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि आतंकी घटनाओं की सूचना मिलते ही हम सबकी...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। सेना व अर्धसैनिक बलों में कार्यरत तथा सीमा आदि पर तैनात जवानों के परिजनों ने पहलगांव जैसी आतंकी घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि आतंकी घटनाओं की सूचना मिलते ही हम सबकी चिंता बढ़ जाती है। इसके बाद मुश्किल से ही समय कट पाता है। हाल ऐसा हो जाता है कि न खाने-पीने में मन लगता है और न ही सो पाना मुमकिन हो पाता है। आतंकी घटना के बाद जब तक परिस्थितियां एकदम सामान्य नहीं हो जाती, तब तक हमारी दिनचर्या पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो कर रह जाती है। कान सिर्फ फोन पर लगा रहता है जबकि नजरें टीवी से चिपकी रहती हैं। सब कुछ शुभ-शुभ रहने की कामना करते हुए न सिर्फ अपने पुत्र बल्कि देश की रक्षा में तैनात हर जवान की सलामती की दुआ हम परिवार समेत करने लग जाते हैं। आंतकी घटनाएं अत्यंत निंदनीय है। यह मानवता के नाम पर कलंक है। ऐसी घटनाओं पर रोक के लिए सरकार से लेकर मानवाधिकार संस्थाएं वैश्विक स्तर पर पहल करे ताकि दुनिया आतंकवाद के कहर से बच सके। सैन्य जवानों के परिजनों ने आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से बातचीत में कुछ ऐसी ही बातें रखीं और मारे गए लोगों के प्रति संवेदना जताई। ------------------------ वर्जन : किसी भी आतंकी घटना के बाद सबसे पहले फोन उठा कर बेटे का हाल लेता हूं। जब तक बात नहीं होती, तब तक चिंता बनी रहती है। इसके बाद सारा फोकस इस बात पर होता है कि घटना स्थल और आसपास के बाद हालात कैसे हैं। इसके लिए दिन-रात टीवी से चिपका रहता हूं। घर के एक-एक सदस्य की स्थिति एक समान होती है। सामान्य दिनचर्या में भारी उथल-पुथल हो जाता है। खाना-पीना दुश्वार हो कर रह जाता है। कश्मीर में सीआरपीएफ जवान के रूप में तैनात पुत्र संजीत कुमार के देशसेवा के जज्बे पर हमें जितना गर्व है, उतना ही ऐसी घटनाओं को लेकर दुश्चिंता और नैराश्य है। आतंकी मानसिकता पर प्रहार हो, तब ही समाधान है। -चांदो चौरसिया, मंझवे, नवादा। फिलहाल तो मेरा पुत्र रवि शंकर छत्तीसगढ़ में आईटीबीपी जवान के रूप में कार्यरत है लेकिन सच यही है कि ऐसी घटनाएं हमेशा ही उद्वेलित कर जाती हैं। स्वाभाविक रूप से चिंता तो बढ़ ही जाती है। ऐसे वक्त में फोन और टीवी का ही सहारा होता है ताकि पल-पल की खबर मिलती रहे। जब तक परिस्थितियां फिर से सामान्य नहीं हो जाती, तब तक किसी कार्य में मन नहीं लगता। घर में एक अलग सन्नाटा पसर जाता है। आतंकी घटनाएं मानवता को शर्मसार करने वाली होती हैं। इन पर अंकुश जरूरी है। सरकार और मानवाधिकार संगठन वैश्विक स्तर पर कारगर पहल करे ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। कड़े कदम जरूरी हैं। -सत्येन्द्र सिंह, पसई, नारदीगंज, नवादा।
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