Hiswa Ward 22 Urban Challenges and Cultural Heritage in Bihar वार्ड 22 : जर्जर मुख्य नाले के संकट से जूझ रहे हैं प्रोफेसर कॉलोनी के लोग , Nawada Hindi News - Hindustan
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वार्ड 22 : जर्जर मुख्य नाले के संकट से जूझ रहे हैं प्रोफेसर कॉलोनी के लोग

हिसुआ, संवाद सूत्र।हिसुआ नगर परिषद का वार्ड 22 नया वार्ड नहीं है। यह भी पुराने नगर पंचायत का हिस्सा रहा है। हिसुआ शहर के दक्षिणी छोर पर बसा यह इलाका हिसुआ नगर के पॉश इलाके में शामिल है।

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाMon, 21 April 2025 03:11 PM
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वार्ड 22 : जर्जर मुख्य नाले के संकट से जूझ रहे हैं प्रोफेसर कॉलोनी के लोग

हिसुआ, संवाद सूत्र। हिसुआ नगर परिषद का वार्ड 22 नया वार्ड नहीं है। यह भी पुराने नगर पंचायत का हिस्सा रहा है। हिसुआ शहर के दक्षिणी छोर पर बसा यह इलाका हिसुआ नगर के पॉश इलाके में शामिल है। यहां दूर से ही झलकती बड़ी-बड़ी और भव्य इमारत यहां का परिचय करा देती है। इस वार्ड के तहत मुख्यतः प्रोफेसर कॉलोनी का इलाका ही आता है। यहां विगत 20 वर्षों के भीतर कई बड़े-बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान और इमारतों का निर्माण कराया गया है। घनी आबादी वाले इस वार्ड में दर्जनों छोटे-बड़े निजी शिक्षण संस्थानों के कारण वार्ड की सड़कें और गलियां हर वक्त लोगों के आवागमन से गुलजार रहता है। लगातार लोगों की चहल-पहल के कारण स्टेशन रोड से लेकर नरहट रोड तक दर्जनों व्यवसायी अपना खुद का व्यवसाय खड़ा कर अपने घर-परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। इस वार्ड की सबसे खास बात यह है कि यहां जितने भी लोगों ने अपना आशियाना बनाया है, वह पूर्णतः ग्रामीण कस्बे से निकलकर आए हैं। प्रोफेसर कॉलोनी में जिले और जिले के बाहर से आकर लोग बसे हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों के पूर्वज यहां नौकरी से रिटायरमेंट के बाद अपना आशियाना बनाकर बस गए हैं। नई बसावट और घनी आबादी होने के बावजूद भी यह वार्ड अब तक बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। यहां न तो नाली और गली कर स्थिति ठीक है और न ही सूबे के मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल सात निश्चय योजना के तहत नल-जल की सुविधा ही उपलब्ध है। वार्ड में साफ-सफाई की स्थिति कुछ हद तक ठीक है, लेकिन वह भी स्थानीय लोगों की सजगता के कारण न कि नगर परिषद के कारण। यह पूरी कॉलोनी पढ़े- लिखे प्रबुद्ध लोगों से भरी पड़ी है। यहां कई विद्वान शिक्षक, साहित्यकार और मजबूत राजनीतिक पकड़ वाले व्यक्ति रहते हैं। इन सभी का इस कॉलनी को सजाने और संवारने में काफी बड़ा योगदान रहा है। हिसुआ के प्रोफेसर कॉलोनी से ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव का माहौल बनता है क्योंकि इस कॉलोनी में नवादा लोगसभा क्षेत्र के लगभग सभी प्रखंडों के लोग निवास करते हैं। ऐसे में चुनाव लड़ने वाले सभी दलों के उम्मीदवार इस कॉलोंनी के लोगों का आशीर्वाद जरूर लेते हैं। हिसुआ में कहावत आज भी काफी प्रचलित है कि जिस उम्मीदवार को प्रोफेसर कॉलोंनी की जनता का पूर्णतः सहयोग मिल गया, उसका चुनावी नैया पार है। यानी उसकी जीत निश्चित है। मिश्रित आबादी है इस वार्ड की, सामाजिक असंतुलन स्पष्ट वार्ड की आबादी लगभग 07 हजार के करीब है, जबकि 02 हजार के आसपास यहां मतदाता हैं। मतदाता सूची के अनुसार यहां महिला और पुरुष मतदाताओं का लिंगानुपात लगभग सामान है, जो यहां के स्थानीय लोगों की प्रबुद्धता को दर्शाता है। वार्ड का सीमांकन पूरब में सिंचाई विभाग के पीछे से गुजरे गुहिया पोखर से लेकर पश्चिम में स्टेशन रोड, इंटर विद्यालय के सामने सड़क तक है, जबकि उत्तर दिशा में कंचनबाग मोहल्ला के बॉर्डर से लेकर दक्षिण में नवबाग गेट (नरहट रोड) तक है। वर्गीकरण के लिहाज से देखा जाए तो यह वार्ड सर्वाधिक भूमिहार मतदाताओं से भरा हुआ है। यहां के उम्मीदवारों की जीत-हार में भूमिहार समाज के मतदाताओं की अहम भूमिका होती है। हालांकि इनके अलावा कुछ महादलित समुदाय के लोग और अन्य जातियों के लोग भी रहते हैं। जिनकी आबादी बहुत ही कम है। नौनिहालों के लिए स्थिति बहुत अच्छी नहीं वार्ड के नौनिहालों के लिए इस वार्ड की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है। पढ़ाई के लिए बड़ी आबादी के बावजूद भी मात्र एक आंगनबाड़ी केंद्र है, वह भी भवनविहीन है। इस कारण स्थानीय नौनिहालों को शुरुआती शिक्षा ग्रहण करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और मजबूरीवश प्राइवेट स्कूलों की ओर रुख करना पड़ता है। प्राइमरी और उच्च माध्यमिक शिक्षा के लिए एक भी विद्यालय वार्ड में उपलब्ध नहीं है। हालांकि इसके ठीक सामने ही दूसरे वार्ड में ब्रिटिश कालीन इंटर विद्यालय जरूर मौजूद है, जिसका काफी पुराना इतिहास रहा है। इसी इंटर विद्यालय के सेवानिवृत हुए शिक्षकों का इस पॉश कॉलोनी को बसाने में सबसे बड़ा योगदान रहा है। इस विद्यालय के दर्जनों वर्तमान और उतने ही सेवानिवृत शिक्षकों का आशियाना भी इस वार्ड में मौजूद है। मुख्य नाला नहीं होने से जलजमाव की समस्या गंभीर नगर परिषद के इस वार्ड में लोगों के घरों से निकलने वाले नाले के पानी की निकासी की बेहतर व्यवस्था नहीं रहने से यहां की वर्तमान स्थिति काफी नारकीय और बदहाल है। लोगों का कहना है कि बेहतर नगरीय सुविधाओं की आस लगाए अपने बच्चों के बेहतर भविष्य और उनकी शिक्षा की बेहतरीन सुविधा को लेकर हमलोगों ने जिस सोच और उम्मीद के साथ अपना आशियाना यहां बनाया है, उसका फलाफल फिलहाल मिलता नहीं दिख रहा है। गलियों में घरों के नाली के पानी की निकासी के लिए गृह स्वामी स्वंय नाले का निर्माण कराते हैं। लेकिन उस नाली के पानी की निकासी के लिए मुख्य नाला उपलब्ध नहीं होने से यहां के लोगों को भीषण जलजमाव की समस्या से जूझना पड़ता है। खासकर बरसात के दिनों में तो स्थिति और ज्यादा भयावह हो जाती है। तब लोग गलियों में बहते नाले के पानी की बीच से हो कर आने-जाने की मजबूरी रहती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर वक्त ससमय सभी प्रकार के राजस्व नगर परिषद को देने के बाद भी ऐसी दुर्दशा हमलोगों को झेलनी पड़ती है, जो नगर परिषद की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। सिंचाई विभाग की खाली पड़ी भूमि पर पार्क निर्माण के आस में लोग नगर के इस वार्ड में सिंचाई विभाग का कभी कार्यालय हुआ करता था, जहां उनके कर्मचारियों के रहने के लिए क्वार्टर भी बना हुआ था। लेकिन वर्तमान समय में न ही इस सिंचाई विभाग के कार्यालय की उपयोगिता रही और न ही इसके कर्मचारीयों की। इस कारण यह जमीन अब बंजर भूमि और खंडहर में तब्दील हो चुका है। इसकी उपयोगिता अब न के बराबर है। स्थानीय लोगों की मांग पर पहल करते हुए स्थानीय सांसद विवेक ठाकुर द्वारा अब इस सिंचाई विभाग की बंजर पड़ी भूमि पर पार्क निर्माण की कवायद की जा रही है। इसके शीघ्र निर्माण की आस लगाए स्थानीय लोग अपनी पलकें बिछाए बैठे हैं। ------------------ जमींदारी काल की स्मृतियों को मिटाने पर आमदा हैं उनके ही वंशज हिसुआ। अब इसे विधाता की मार कहें या फिर उनकी मजबूरी, कभी हिसुआ बाजार स्थानीय जमींदार रहे पहुना जी के अधीन था। जिनकी जमींदारी का क्षेत्र हिसुआ से लेकर वर्तमान समय में झारखण्ड के कोडरमा जिले तक था। इसके तहत कई अभ्रक खदान हुआ करते थे। इनके आज भी कई वंशज कोडरमा में रह रहे हैं। लेकिन समय की मार और बदले हालातों के कारण उनके ही उत्तराधिकारी और वंशज अब अपने पूर्वजों के द्वारा बनाए गए दर्जनों स्मृतियों को दूसरे के हाथों मोटी रकम में बेचकर उसका अस्तित्व मिटा चुके हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण वर्तमान में इस वार्ड के दक्षिणी छोर पर नवबाग गेट के समीप स्थित पुराने तालाब पर बना नया मकान है। जबकि उसके ठीक सामने उत्तर दिशा में स्थित हिसुआ शहर का प्रसिद्ध 52 कोठरी 53 द्वार को भी आगे से घेर कर उसे बेचने कि कवायद जारी है। जबकि इसी ऐतिहासिक भवन के ठीक सामने पश्चिम दिशा में स्थित इसके कुछ भाग को सामने से घेरकर बेच दिया गया है। स्थानीय लोगों ने जमीनदार के वंशजों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह एक सोची-समझी चाल है। जिसके पूर्वजों ने हिसुआ शहर के विकास और निर्माण में अपना अमूल्य और अमिट योगदान दिया है, आज उनके ही वंशजों द्वारा थोड़े से मुनाफा और लाभ के लालच में पड़कर उनकी स्मृतियों को मिटाने में जुटे हैं। समय रहते हिसुआ के प्राचीन धरोहरों को संजोने की जरूरत है। ---------------- बागेश्वरी मंदिर के प्रति लोगों की है अटूट आस्था हिसुआ। वार्ड के उत्तरी छोर पर स्थित हिसुआ के अतिप्राचीन बागेश्वरी मंदिर के प्रति हिसुआ बाजार सहित आसपास के कई अन्य प्रखंड के लोगों की अमिट आस्था आज भी बरकरार है। शादी-विवाह के वक्त यहां प्रत्येक दिन हजारों हजार की भीड़ जुटती है। एक अनुमान के मुताबिक, प्रत्येक वर्ष लग्न के समय में यहां हजारों युवा और युवतियां वैवाहिक जीवन में बंधते हैं। पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए भी इस मंदिर की ख्याति काफी दूर-दूर तक है। जहां लोग पुत्र रत्न की मन्नत मांगते हैं और मन्नतें पूरी होने पर दोबारा यहां आकर माता का पूजन करते हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर शनिदेव की प्रतिमा विराजमान है। जबकि मुख्य द्वार के भीतर भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग और गर्भ गृह में स्वयं मां भगवती विराजमान हैं। मंदिर की औलिकता आज भी झलकती है। ----------------- आम लोगों की व्यथा: आम लोगों के घरों की नालियों के पानी की निकासी बड़ी समस्या बनी पड़ी है। मुख्य नाला नहीं रहने से जलजमाव की गंभीर समस्या उत्पन्न हो कर रह गयी है। ससमय सभी प्रकार का टैक्स भुगतान करने के बावजूद भी स्थिति में सुधार नहीं किया जाना नगर परिषद की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। -धीरज कुमार, वार्ड वासी। वार्ड में समुचित नाली और गली की व्यवस्था के साथ ही नलजल की सुविधा उपलब्ध नहीं रहना स्थानीय लोगों को काफी कचोटता है। प्राथमिक और मध्य विद्यालय सहित भवनहीन आंगनबाड़ी का होना, नगर परिषद की व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। आखिर नगर निकाय के कर्ता-धर्ता कर क्या रहे हैं। -शंकर कुमार, वार्ड वासी। जमींदारी काल की स्मृतियों को मिटाने का कुंठित प्रयास उनके ही वंशज और अंचल कर्मियों की मिलीभगत से जारी है, यह बेहद निराशाजनक है। इस खेल में नगर परिषद के कई कर्मी भी शामिल हैं। इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग कब से उठायी जा रही है लेकिन कुछ भी कारगर नहीं हो पा रहा है, जो निराशाजनक है। -सोनू कुमार, वार्ड वासी। हमारे पूर्वजों की स्मृतियों में शामिल रहे यहां के नवबाग गेट के समीप स्थित पौराणिक तालाब को हमलोगों की नजरों के सामने ही भरकर जमींदार पहुना जी के वंशज बेच चुके हैं, जबकि ऐतिहासिक 52 कोठरी 53 द्वार को भी बेचने का कुत्सित प्रयास जारी है। इस पर तत्काल रोक लगायी जाए तथा इनका संरक्षण किया जाए। -अंजली कुमारी, वार्ड वासी। ----------------------- क्या कहते हैं जिम्मेदार: नगर परिषद में जारी गतिरोध और उठापटक के बीच भी मैंने जहां तक संभव हो सका, वार्ड का निरंतर विकास करने की कोशिश की है। मुख्य नाले के निर्माण की समस्या से मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को अवगत कराया गया है। जल्द ही समाधान निकल आने की उम्मीद है। जबकि सिंचाई विभाग के खाली पड़े जमीन पर पार्क निर्माण कि कवायद जारी है। देर से ही सही लेकिन अच्छे परिणाम की उम्मीद बची हुई है। नगर की वर्तमान स्थिति से लोग भली-भांति वाकिफ हैं, इसलिए सभी सब्र रख रहे हैं। इधर, गुहिया पोखर के सौंदर्यीकरण का भी प्रयास जारी है। -प्रियंका कुमारी, वार्ड पार्षद, वार्ड 22, हिसुआ नगर परिषद, नवादा।

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