बरहगैनिया पइन के अब बहुरेंगे दिन, हटेगा अतिक्रमण, नापी की प्रक्रिया शुरू
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। शहर के बीच से गुजरे अति महत्वूपर्ण बरहगैनिया पइन के दिन अब बहुरने के आसार दिख रहे हैं।

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। शहर के बीच से गुजरे अति महत्वूपर्ण बरहगैनिया पइन के दिन अब बहुरने के आसार दिख रहे हैं। भयंकर तरीके से अतिक्रमण की शिकार बरहगैनिया पइन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अंचल कार्यालय द्वारा नापी की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। तीन चरणों में नापी का कार्य कराया जाएगा, जिसके लिए अंचल अधिकारी ने राजस्व अधिकारी को निर्देश दिया है। सीओ द्वारा जारी आदेश पत्र के अनुसार, पहले चरण में 02 अप्रैल से 12 अप्रैल तक जहां शहरी क्षेत्र के अंश की नापी करायी गयी है वहीं, दूसरे चरण में सोमवार से नापी की शुरुआत की गयी, जो 27 अप्रैल तक जारी रहेगी। इस दरम्यान पइन के मध्य भाग पर अवस्थित भू-भाग की नापी करायी जा रही है। जबकि तीसरे और अंतिम चरण में 04 मई से लेकर 17 मई के दरम्यान पइन के अंतिम भाग पर अवस्थित भू-भाग की नापी करायी जाएगी। नापी के बाद अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जाएगा और पइन को मुक्त कराया जाएगा। इसके बाद पइन का बहुद्देशीय उपयोग हो सकेगा। बतादें कि नवादा शहर का विस्तार जिस प्रकार से जारी है और जैसे-जैसे आबादी घनी होती जा रही है, वैसे-वैसे शहर भर के नाला की व्यवस्था गड़बड़ होती जा रही है। शहर के स्थापना काल से ही मौजूद नवादा शहर के सबसे प्रमुख इलाके मेन रोड और इसके समीपस्थ इलाकों के लिए बरहगैनिया पइन बेहद कारआमद साबित होता रहा था, जो वर्तमान में बड़े नाले के रूप में भी नहीं रह गया है। वर्तमान में इस पइन का हाल यह है कि इसके अधिकांश भाग अतिक्रमण की भेंट चढ़ कर रह गए हैं। जहां कहीं इसे कब्जा कर कोई स्थायी निर्माण नहीं किया जा सका है, वहां-वहां बरहगैनिया पइन अपनी मौजूदगी दर्शाता दिख जाता है लेकिन शेष भाग अब लुप्तप्राय होते जा रहे हैं। शहर के वार्ड नंबर 14 स्थित बरहगैनिया पइन ने शहर की सीवरेज व्यवस्था का पूरा अधिभार संभाल रखा था लेकिन अब इसका आंशिक लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। कभी बारह गांवों में खेतों के पटवन में काम आने वाले बरहगैनिया पइन अब जलनिकासी में भी पूरी तरह से सहायक साबित नहीं हो पा रहा है। नगर परिषद की सामान्य सफाई व्यवस्था से इसे बचाने का प्रयास जरूर जारी है लेकिन स्थिति निराशाजनक ही कही जाएगी। अब एमएलसी के प्रयास से इसका कायाकल्प होने की उम्मीद जगने पर लोगों में हर्ष है। नवादा के स्थापना काल के लोग बताते हैं पइन के महत्व को बरहगैनिया पइन के अतिशय महत्व को नवादा जिले के स्थापना काल यानी 1973 के समय के लोगों द्वारा मुखर रूप से जाना जा सकता है, जो इक्का-दुक्का अब भी मिल जाते हैं लेकन उनके स्वर में निराशा साफ झलकती है। कभी प्रमुख सिंचाई साधन के रूप में प्रयोज्य और गंदगी को अपने में समेट कर शहर को साफ रखने का संसाधन साबित हो रहे पइन का मौलिक आकार-प्रकार इतना सिकुड़ गया है कि इसे अब नाला कहना भी गलत ही होगा। यह सही है कि जब पइन अस्तित्व में आया था, उस वक्त नवादा की आबादी लगभग 10 लाख थी और घरों की संख्या महज साढ़े तीन लाख थी। तब शहरी इलाका सघन भी नहीं था और इसकी बसावट भी आज की तरह बेतरतीब नहीं थी, जिस कारण परिस्थितियां बिल्कुल साजगार हाल में रहीं। लेकिन वर्तमान में जहां आबादी 22 लाख तक पहुंच गयी हैं वहीं घरों की संख्या भी लगभग तीन लाख के पार पहुंच चुकी है, दिक्कत यह है कि नए आबाद इलाकों में बसावट नगर परिषद की रोक के बावजूद बेहद खराब स्थिति तक पहुंच चुकी है। देखा जाए तो वर्तमान हालात में यह पुराना नाला औचित्यहीन हो कर रह गया है। यही कारण है कि बारिश के दिनों में सारा शहर जलजमाव के कारण झील में तब्दील हो जाता है और लोग नारकीय परिस्थितियों को झेलने को बाध्य रहते हैं। अब की कवायद के बाद कुछ भी भला हो सका तो बड़ी बात होगी। --------------------- इनसेट नवादा एमएलसी अशोक कुमार विधान परिषद में उठाया था मामला उल्लेखनीय है कि नवादा एमएलसी अशोक कुमार ने बरहगैनिया के अतिक्रमण का मामला विधान परिषद में ध्यानाकर्षण सूचना के तहत उठाया था और इसे अतिक्रमणमुक्त कराने की मांग जोरदार तरीके से उठायी थी। उनकी पहल पर ही नापी प्रक्रिया की शुरुआत की गयी है। बतादें कि बरहगैनिया पइन को वेंडिंग जोन बनाने की पहल जिला प्रशासन ने की थी, जो इसके अस्तित्व के लिए खतरा ही बन कर रह गया है। हालांकि विवादों की भेंट चढ़कर यह अभी तक मूर्तरूप नहीं ले पा रहा है। विगत 21 फरवरी 2008 को इस संबंध में अंचल अधिकारी व नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को अनुपालन संबंधी कार्यवाही के लिए कहा गया था। हाट बाजार ठेकेदार दुर्गा प्रसाद गुप्ता इस लड़ाई को आगे बढ़ा रहे थे लेकिन तमाम बाधाओं के कारण वेंडिंग जोन नहीं बन पा रहा है। देखा जाए तो यह बाधा बरहगैनिया पइन की अस्तित्व रक्षा का कारण बन रहा है।
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