जिले में कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए होगा सर्वे
नवादा में कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की पहचान के लिए सर्वे किया जाएगा। डीएम रवि प्रकाश ने तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट के आधार पर बच्चों के प्रबंधन की प्रक्रिया...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। जिले में कुपोषित एवं अतिकुपोषित बच्चों की पहचान के लिए सर्वे होगा। साथ ही सर्वे कराकर तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश डीएम रवि प्रकाश ने दिया है। आईसीडीएस डीपीओ को निर्देश देते हुए डीएम ने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर कुपोषित बच्चों (06 से 09 माह आयु वर्ग) की प्रबंधन प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया है। इसके अंतर्गत पहले चरण में वृद्धि निगरानी अर्थात शरीर का वजन तथा लंबाई व ऊंचाई और दोनों पैरों में सूजन की जांच, दूसरे चरण में भूख की जांच, तीसरे चरण में स्वास्थ्य की जांच, चिकित्सीय जटिलता की पहचान, चौथे चरण में बाल संवर्धन कार्यक्रम में बच्चे का नामांकन कराना व एनआरसी रेफरल आदि कार्य होंगे। पांचवे चरण में कुपोषित बच्चों के लिए पोषण प्रबंधन, छठे चरण में कुपोषित बच्चों का चिकित्सीय प्रबंधन, सातवें चरण में पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता व्यवहारों के लिए परामर्श से जुड़े कार्य होंगे जबकि आठवें चरण में बाल संवर्धन कार्यक्रम के दौरान पोषण एवं स्वास्थ्य की निगरानी, नौवें चरण में बाल संवर्धन कार्यक्रम से डिस्चार्ज के मापदंड तथा दसवें चरण में डिस्चार्ज के बाद फॉलोअप करने पर कार्य करने की हिदायत दी गयी है। इसके साथ ही यह भी निर्देश दिया गया कि कुपोषित बच्चों के बेहतर प्रबंधन के लिए कॉल सेंटर स्थापित कर बच्चों के अभिभावक को परामर्श दी जाए। जिला पदाधिकारी रवि प्रकाश की अध्यक्षता में समाहरणालय सभाकक्ष में जिला अभिसरण कार्य योजना, जिला पोषण समिति सह पोषण पखवाड़ा से संबंधित बैठक में यह निर्देश दिए गए। बैठक में उप विकास आयुक्त नवादा, सिविल सर्जन नवादा, आईसीडीएस डीपीओ, प्रभारी जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी के साथ-साथ अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारी, सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, सभी प्रखंड समन्वयक, जिला प्रबंधक पिरामल, जिला परियोजना सहायक, पोषण अभियान आदि उपस्थित थे। स्वास्थ्य जागरूकता का दिया गया निर्देश जिला पदाधिकारी द्वारा नवजात शिशु व गर्भवती महिला के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में वृद्धि करने का निर्देश सभी सीडीपीओ को दिया गया। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र पर जागरूकता से संबंधित कार्यक्रम के तहत अन्नप्राशन एवं गोद भराई जैसे कार्यक्रम में पुरुष की सहभागिता सुनिश्चित कराएं। साथ ही परिवार के सदस्यों विशेषकर पुरुष सदस्यों में यह जागरूकता लाने को कहा गया कि वे अपने घर में यह सुनिश्चित करें कि पहला निवाला गर्भवती महिला को मिले। गर्भवती महिलाओं को प्रोत्साहित करना जरूरी है कि वह समयानुसार भोजन करें ताकि उनके और उनका आने वाला बच्चा स्वस्थ रहे। बच्चा होने के बाद 06 माह तक केवल मां का दूध ही दें। सातवें माह से मां के दूध के साथ विविधता से भरा ऊपरी आहार देना अति आवश्यक है, क्योंकि सातवें माह से मां का दूध शिशु के उचित पोषण के लिए पूरा नहीं हो पाता है। इसके साथ ही दो वर्ष तक बच्चे को प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ एवं चीनी से दूर रखें। उन्होंने कहा कि इन सब के अतिरिक्त सबसे महत्वपूर्ण है स्वच्छता। बच्चे की बेहतर विकास के लिए घर एवं घर के आसपास साफ-सफाई अति आवश्यक है। इस संदर्भ में विशेष जागरूकता की आवश्यकता है। अतः सभी सेविका-सहायिका, सीडीपीओ अपने स्तर से जागरूकता लाएं। बच्चों व गर्भवती महिलाओं के दिए आंकड़े बैठक के दरम्यान आईसीडीएस डीपीओ द्वारा पीपीटी के माध्यम से 0 से 06 वर्ष के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं से संबंधित आंकड़ों से जिला पदाधिकारी को अवगत कराया गया। जिला पदाधिकारी ने सभी सीडीपीओ से कुपोषित एवं अतिकुपोषित की पहचान से संबंधित आंकड़ों के संबंध में पृच्छा की, तो सीडीपीओ द्वारा बताया गया कि उपकरणों की उपलब्धता नहीं होने के कारण गुणवत्ता के साथ बच्चों की पहचान शत-प्रतिशत नहीं हो पा रही है। जिस पर जिला पदाधिकारी द्वारा निर्देश दिया गया कि जिस आंगनबाड़ी केंद्र में उपकरणों की कमी है, तो वह पास के आंगनबाड़ी केंद्र से उपकरण प्राप्त कर कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की शत-प्रतिशत पहचान करना सुनिश्चित करें। इसके अतिरिक्त सभी सीडीपीओ को निर्देश दिया गया कि सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर एवं हेल्थ सब सेंटर से समन्वय स्थापित कर उपकरणों की उपलब्धता कराते हुए अतिकुपोषित बच्चों की पहचान कराएं।
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