छाया संकट : नवादा में एक माह में 10 फीट गिरा भूजल स्तर
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नवादा जिले में भीषण गर्मी के कारण पिछले एक महीने में 10 फीट तक भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। नवादा जिले में भीषण गर्मी के कारण पिछले एक महीने में 10 फीट तक भूजल...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नवादा जिले में भीषण गर्मी के कारण पिछले एक महीने में 10 फीट तक भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। फरवरी माह में जहां 30 फीट तक वाटर लेवल था, वहीं मार्च महीने में जिले के अलग-अलग प्रखंडों में 37 से 41 फीट तक वाटर लेवल पहुंच गया। अप्रैल महीने में 48 से 52 फीट, जबकि मई माह के हाल के दिनों में वाटर लेवल 57 से 62 फीट अधिकतम तक पहुंच गया है। सबसे बेहतर स्थिति वाले स्थान पर भी यह वर्तमान में 37.5 फीट तक पहुंच गया है जबकि सामान्य दिनों में 25 से 26 फीट तक जिले का वाटर लेवल रहता है।
इस प्रकार यह एकदम सामान्य स्थान पर भी 10 फीट तक नीचे चला गया है। जबकि नवादा जिले 30 फीसदी चापाकल खराब पड़े हैं। यह हाल तब है जब पीएचईडी विभाग की टीम सूचना पर मरम्मत का काम कर रही है। औसतन प्रतिदिन 35-40 चापाकल सुधारे जा रहे हैं। बड़ी खराबी वाले चापाकल बना पाने में बाधा आ रही है। जिले की पांचों नदियों पानीविहीन बनी हुई हैं। लगभग सारे तालाब और पोखर सूखे पड़े हैं। 10 फीसदी निजी तालाब ही सही स्थिति में हैं। सरकारी सूचीबद्ध 496 तालाबों में से 240 तालाबों में धूल उड़ रही है। पोखर का अस्तित्व अभी नजर ही नहीं आता। इधर, बिजली का हाल भी बुरा है। शहरी इलाके में 2-3 घण्टे तो ग्रामीण क्षेत्र में 4-5 घंटे बिजली कट रही है। निरंतर गिर रहा है भूजल स्तर, परेशानी हो रही बड़ी जिले में जलस्तर दिनोंदिन घटता ही जा रहा है। भीषण गर्मी के इन दिनों में पानी के संकट से लोग हलकान हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही जिला मुख्यालय में पानी की भारी दिक्कत हो रही है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है नवादा में अनेक शहरी क्षेत्र के लोगों ने अपने घर में लगे सबमर्सिबल में जरूरत के हिसाब से पाइप बढ़ाना शुरू कर दिया है। शहर में गिरते हुए पानी के लेयर को बरकरार रखने के लिए लोग 10 से 20 फीट तक पाइप जोड़ कर डाल रहे हैं। कई जगहों पर मोटर को जिस मात्रा में पानी देना चाहिए, वह नहीं दे पा रहा है। हर स्तर पर परेशानी ही परेशानी दिख रही है। पीएचइडी जलस्तर की करता है मापी, आंकड़े चिंताजनक पीएचईडी विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पानी का लेयर लगातार नीचे गिर रहा है। 2017 के मई माह के जलस्तर के आंकड़ों को देखें तो नवादा शहर के टाउन थाना में पानी का लेयर 45 फीट था। जबकि मई-2018 में यह 47 फीट और मई 2019 के जारी आंकड़े में पानी का लेयर नीचे गिरकर 50 फीट तक चला गया है। इसके बाद से ही जलस्तर की स्थिति गंभीर होती जा रही है। अभी चालू वर्ष की बात की जाए तो यह 57 से 62 फीट तक नीचे गिर गया है। ग्रामीण इलाकों की बात करें तो काशीचक के चंडीनावां आदि इलाके में वाटर लेवल 55 फीट तक चला गया है। हिसुआ के सोनसा गांव में भी वर्तमान में 52 फीट तक लेयर गिर गया है। नारदीगंज वनगंगा के आसपास क्रमश: 50 फीट से अधिक लेयर भाग गया है। इसी तरह से अन्य जगहों के भी आंकड़े भयावह ही हैं। पानी का गिरता हुआ लेयर भारी चिंता का वायस है। नवादा जिले में कौआकोल, मेसकौर और गोविंदपुर जैसे पहाड़ी इलाकों में 62 फीट गहराई पर पानी मिल रहा है। विभागीय जानकारी है कि बीस साल बाद जलस्तर की और भी बुरी स्थिति होगी। अभी ही मिनी वाटर सप्लाई सिस्टम से नवादा जिले में 110 से 120 फीट तक बोरिंग की जाती है, तब जाकर पीने के लिए लोगों को स्वच्छ पानी मिल पाता है। आगे का हाल सहज ही समझा जा सकता है। मेसकौर प्रखंड की हालत सबसे बुरी नवादा जिले का मेसकौर प्रखंड पूरे बिहार में सूखा प्रभावित क्षेत्र के लिए जाना जाता है। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस प्रखंड के भूखंड के नीचे पानी की बड़ी किल्लत है। ज्यादातर जगहों पर धरती के नीचे बड़े-बड़े पहाड़ लोगों को पानी के लिए सालों भर तरसाते हैं। मेसकौर, बिसियाईत, बारत-लालू नगर, मेसकौर बाजार स्थित अस्पताल, थाना, ब्लॉक, हाईस्कूल में पानी की जबरदस्त किल्लत है। विभागीय जानकारी के अनुसार, मेसकौर में रंका जलालपुर से बोरिंग कराकर पाइप के माध्यम से बाजार हिस्से की करीब तीन हजार आबादी को करीब दो वर्षों से पानी मुहैया कराया जा रहा है। इसके लिए यहां 1790 मीटर का पाइप बिछाना पड़ा है। रंका जलालपुर में पानी मिलने पर वहां साढ़े सात एचएपी का दो मोटर लगाया गया है। इसी से मेसकौर के चार वार्ड एक, दो, तीन व चार के लोगों के बीच पानी पहुंचाया जा रहा है। सेंट्रल गर्वमेंट के विशेष केंद्रीय अनुदान से रंका जलालपुर में एक और बोरिंग कराकर ब्लॉक, थाना, हाईस्कूल तक पानी पहुंचाने की कोशिश की गयी है। गाड़े गए हैं नए चापाकल, पुराने की मरम्मत जारी पीएचईडी लोगों को पानी दिलाने के लिए तत्पर रहने की बात कर रहा है। सुखाड़ को देखते हुए आपदा योजना से जिले में कुछ नए चापाकल गाड़े गए हैं। मार्च तक सभी चापाकल गाड़ने का कार्य पूरा कर लिया गया है। ये चापाकल सार्वजनिक जगहों पर लगाए गए हैं। इनकी जीओ टैगिंग कर ली गयी है। जिस क्षेत्र में जहां ज्यादा पानी की दिक्कत रही, वहीं पर ये चापाकल लगाए गए। हालांकि अब जरूरत के हिसाब से चापाकल की जगह नल-जल का कनेक्शन देने का अभियान चल रहा है। इस बीच, खराब चापाकल बनाने का कार्य जारी है। हर रोज 35-40 चापाकल लोगों की शिकायत पर दुरुस्त किए जा रहे हैं। ------------------ आमजनों की व्यथा : नदी, तालाब और पोखर पूरी तरह से सूख चुके हैं। पानी की एक-एक बूंद के लिए किसान तरस रहे हैं। पानी की उपलब्धता रहने पर कभी सब्जी आदि की खेती करना आसान होता था। लेकिन अब तो हाल यह है कि खरीफ सीजन में बारिश अच्छी हुई तो ठीक नहीं तो इस समय भी पटवन के मोटरपम्प चलाने की नौबत आ गयी है। रबी और सब्जी की खेती तो पटवन कर ही संभव हो पा रहा है। - प्रमोद कुमार, नवादा धान का कटोरा कहे जाने वाले क्षेत्र वारिसलीगंज आदि में भी हालिया वर्षों में पानी के अभाव में खेती-बारी जटिल साबित होती रही है। कभी इस क्षेत्र में फसल खराब होने की कोई फिक्र ही नहीं थी लेकिन अब इस क्षेत्र के किसान भी पानी के अभाव में डरे-सहमे रहते हैं। सदा उफनाने वाली सकरी नदी में पानी के उफान का अब इंतजार ही रह जाता है। जैसे-तैसे पटवन के बूते खेती-किसान हो पा रही है। - बिर्नू दास, नवादा भूजल स्तर में गिरावट बेहद भारी पड़ने लगी है। पीएचईडी जैसे विभाग कागजी खानापूर्ति पर ज्यादा जोर देते हैं जबकि जमीन पर काम बहुत कम ही दिख पाता है। विभागीय दावे से उलट पेयजल किल्लत बहुत कष्टकारी साबित हो रही है। शिकायतें दर्ज कराने के बाद अव्वल टीम नहीं आती और टीम आ जाए तो विभिन्न कारण बता कर चापाकल की खराबी को सुधार किए बगैर लौट जाती है। - हरेंद्र कुमार, नवादा नवादा जिले में पानी की कमी हर स्तर पर झेलने की नौाबत रहती ही है। गर्मी की शुरुआत के साथ ही यह समस्या सामने आने लगती है। वाटर लेवल में कमी एक गंभीर समस्या बन कर रह गयी है। बारिश की कमी के कारण यह स्थिति हर वर्ष गर्मी के दिनों में लोगों को झेलने की नौबत रहती है। हालांकि जिले में पानी की बर्बादी खूब हो रही है। नल-जल के कारण समस्या और बिगड़ती जा रही है। - संजय जैन, नवादा ------------------- क्या कहते हैं अधिकारी जल संरक्षण को लेकर लोगों का जागरूकता बनना जरूरी है। गत वर्ष अक्टूबर महीने से लेकर अब तक औसतन साढ़े चार फीट तक पानी का लेयर नीचे गया है। बारिश नहीं होने से परेशानी बढ़ ही रही है। विभागीय स्तर से पेयजल की अनेक योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। सूखा प्रभावित प्रखंडों के लिए कई योजनाएं बनी हैं। - अरुण प्रकाश, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी, नवादा ------------------- वाटर रिचार्ज बेहद कम, आगे चल कर यह पड़ेगा महंगा नवादा। जिले में वाटर रिचार्ज की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। वाटर रिचार्ज से मतलब है कि जितना पानी बहाया या बर्बाद किया जाता है उसे फिर से इस्तेमाल लायक बनाने का प्रयास किया जाना। लेकिन इसकी अनदेखी लगातार जारी है जो काफी महंगी पड़ने वाली है। पीएचईडी 70 लीटर रोजाना एक व्यक्ति को पानी आपूर्ति करता है। पीएचईडी के अनुसार, नवादा में औसतन 40 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रति दिन (एलपीसीडी) की औसत से एक चापाकल पानी दे पाने में सक्षम माना जाता है। इसमें से इस्तेमाल हो चुके पानी के अलावा 40 प्रतिशत पानी नवादा की धरती के अंदर जाना बेहद जरूरी है ताकि वाटर रिचार्ज सही तरीके से हो सके। लेकिन नवादा में महज 15 प्रतिशत पानी ही धरती के अंदर जा पा रहा है। शेष पानी धरती की सतह पर ही बर्बाद हो जा रहे हैं। इसके अलावा नवादा जिले में 30 प्रतिशत पानी दूषित हैं जिनका इस्तेमाल संभव ही नहीं है। वाटर रिचार्ज के लिए हार्वेस्टिंग पर जोर देना जरूरी है। और शायद यही एक विकल्प भी है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।