पेयजल संकट : अभियान चला चापाकलों की हो रही मरम्मत
गर्मी में पेयजल संकट से निपटने के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने कार्ययोजना बनाई है। 1520 नए चापाकल लगाने की मंजूरी दी गई है और 1,20,749 चापाकलों की मरम्मत चल रही है। जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में...

गर्मी में लोगों को पेयजल संकट से बचाने के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) ने कार्ययोजना बनायी है। अभियान चलाकर चापाकल की मरम्मत करायी जा रही है। पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह ने बताया कि जिन पंचायतों में भू-जल स्तर नीचे चला गया है, वहां राइजर पाइप बढ़ाकर चापाकलों को क्रियाशील बनाए रखने की व्यवस्था की जा रही है। मंत्री ने बताया कि इस वर्ष 1520 नए चापाकल लगाने की स्वीकृति दी जा चुकी है। राज्य में कुल 1,20,749 चापाकलों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है। सभी चापाकलों की मरम्मत की रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज की जा रही है और जिओ टैग फोटोग्राफ और सामाजिक प्रमाणीकरण भी लिए जा रहे हैं। जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में हर घर नल का जल संरचनाओं के अतिरिक्त टैंकरों के माध्यम से जल आपूर्ति के लिए कहा गया है। सार्वजनिक स्थलों, विद्यालयों और महादलित टोलों में चापाकलों को प्राथमिकता के आधार पर दुरुस्त किया जा रहा है। साथ ही भूजल स्तर में सम्भावित गिरावट को देखते हुए पंचायत स्तर पर जल स्रोतों की स्थिति का दैनिक आधार पर आकलन किया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में भूजल का स्तर अधिक नीचे जाने से जलापूर्ति योजनाएं प्रभावित होती हैं , वहां टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। जल संकटग्रस्त पंचायतों को प्राथमिकता के आधार पर जल वितरण का रूट चार्ट तैयार किया गया है, ताकि किसी भी गांव या टोले में पेयजल की कमी न हो। पूरी व्यवस्था की जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष के माध्यम से निगरानी भी की जा रही है। राज्य में 261 पशु प्याऊ का भी निर्माण कराया गया है।
विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने गर्मी के मौसम में राज्य के सुखाग्रस्त हिस्सों में संभावित भूजल स्तर में आने वाली गिरावट के कारण उत्पन्न पेयजल की समस्या से निपटने की तैयारी पर पिछले दिनों सभी क्षेत्रीय कार्यपालक अभियंताओं के साथ बैठक भी की थी।
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