साइन लेंग्वेंज की पढ़ाई : मूक-बधिर बच्चियों की जिंदगी आसान
-फोटो : 51:पूर्णिया, राजीव। सुनने और बोलने में असमर्थ बच्चों को पूर्णिया में नयी जिंदगी मिल रही है। वैसे बच्चियां जो न सुनते हैं और न ही बोलते हैं मग

पूर्णिया, राजीव। सुनने और बोलने में असमर्थ बच्चों को पूर्णिया में नयी जिंदगी मिल रही है। वैसे बच्चियां जो न सुनते हैं और न ही बोलते हैं मगर शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन की मदद से चंद दिनों में ही अब अभिवादन करने लगे हैं। उम्र सापेक्ष कक्षा में एडमिशन के बाद यूनिसेफ के सहयोग से स्मार्ट पैनल के माध्यम से साइन लैग्वेंज पढ़ाने की व्यवस्था किये जाने के बाद श्रवण बाधित इन बच्चियों के चेहरे पर खुशी के साथ जीवन में उमंग की लहर दौड़ पड़ी है। बिहार में पहली बार पूर्णिया में शुरू की गई साइन लैग्वेंज पढ़ाने की व्यवस्था का मॉडल पूरे प्रदेश के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। खासकर वैसी परिस्थिति में जब साइन लैग्वेंज की पढ़ाई के लिए प्रशिक्षक का पूरे प्रदेश में टोटका है। ऐसी परिस्थिति में आखिर पूर्णिया में कैसे साइन लैग्वेंज की पढ़ाई उत्तर प्रदेश से प्रशिक्षक मंगवाकर शुरू की गई, यह पूरे बिहार के अन्य जिलों के लिए नजीर बना हुआ है।
-यूनिसेफ की मदद से शिक्षा विभाग ने स्थापित किया नया आयाम :
-पूर्णिया जिला में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में श्रवण बाधित और मूक बाधित दिव्यांग बच्चियों को रखकर पहले उनका उम्र सापेक्ष कक्षा में एडमिशन कराया गया, इसके बाद इन दिव्यांग बच्चियों को कैसे साइन लैंग्वेज की शिक्षा दी जाये, इसके निमित्त समग्र शिक्षा के डीपीओ कौशल कुमार और संभाग प्रभारी अरविंद कुमार ने साइन लैंग्वेज पढ़ाने वाले शिक्षक की तलाश शुरू की। इसके लिए पूरे बिहार में खोज की गई, लेकिन नहीं मिले। इसके उपरांत शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मूक बधिर दिव्यांग के संगठन से संपर्क साधना शुरू किया। इसी क्रम में फारेस्ट विभाग में इंजीनियर के पद पर उत्तरप्रदेश में कार्यरत रोहित कुमार से संपर्क शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों का हुआ। रोहित कुमार खुद तो मूक बधिर हैं, उनकी पत्नी मीता कुमारी झा भी मूक बधिर है। दोनों पति-पत्नी ने शिक्षा विभाग के इस कवायद से जुड़े वोलंटियर के रुप में नि:शुल्क जुड़ने की इच्छा जताई। दोनों पति- पत्नी इसके बाद पूर्णिया पहुंचे और शिक्षा विभाग के इस अभियान से जुड़ गये। इसी बीच शिक्षा विभाग के इन दोनों अधिकारियों को जानकारी मिली कि पूर्व में आरक्षी मध्य विद्यालय स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में रहने वाली कुछ बच्चियों को तीन वर्ष पूर्व साइन लैग्वेंज का प्रशिक्षण दिया गया था। इन बच्चियों की जब तलाश शुरू हुई तो निशा कुमारी, आयुषी कुमारी और अविनाश कुमार जैसे ट्रेनर शिक्षा विभाग को मिल गये। ट्रेनर मिलते ही शिक्षा विभाग के इस अभियान को पंख लगे। यूनिसेफ के सहयोग से स्मार्ट पैनल पूर्णिया पूर्व प्रखंड के आरक्षी मध्य विद्यालय स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के साथ डगरुआ और भवानीपुर प्रखंड स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में लगाया गया। स्मार्ट पैनल पर साइन लैग्वेंज की पढ़ाई शुरु होते ही श्रवण बाधित और मूक बधिर दिव्यांग बच्चियों के चेहरे खिल उठे। अंग्रेजी व हिन्दी वर्णमाला के अक्षर ज्ञान के साथ खाने पीने की वस्तुओं के बारे इशारे से बताने की कला सीखकर इस कदर निपुण हो गये है कि कॉपी पर कलम से स्मार्ट पैनल पर समझकर आसानी से लिख ले रहे हैं।
-साइन लैंग्वेज के साथ मधुबनी पेंटिंग का भी दिया जायेगा प्रशिक्षण :
-समग्र शिक्षा के डीपीओ कौशल कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी कुंदन कुमार की योजना है कि श्रवण बाधित और मूक बधिर बच्चियों जिला स्कूल से संचालित होने वाले लाइव क्लासेज से उम्र सापेक्ष वर्ग की शिक्षा देकर उनके शिक्षा के स्तर में सुधार किया जायेगा। वर्तमान समय में तीनों कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में सभी 75 दिव्यांग बच्चियों को साइन लैंग्वेज का प्रशिक्षण देकर उनके मानसिक विकास के लिए पहल शुरू की गई है। पहले स्मार्ट पैनल के माध्यम से अंग्रेजी व हिन्दी वर्णमाला के ज्ञान के साथ उन्हें खाने व पीने के सामानों के बारे में कैसे साइन लैग्वेंज में बोला जाता है, यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साइन लैग्वेंज की प्रशिक्षण के बाद इन दिव्यांगों के शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए पूर्णिया लाइव क्लासेस के माध्यम से विभिन्न वर्गो के विषयवस्तु से जुड़े साइन लैग्वेंज पर आधारित वीडियो अपलोड किये जायेंगे, जिससे इन दिव्यांग बच्चियों को उम्र सापेक्ष शिक्षा मिल पायेगी। वर्तमान समय में तीन कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में 25-25 सीटें ही निर्धारित है, लेकिन साइन लैग्वेंज सीखवाने के लिए काफी संख्या में दिव्यांगों के अभिभावक पहुंच रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में अगले वित्तीय वर्ष में सीटें बढ़ाने और साइन लैग्वेंज सीखने के लिए अलग से कक्षा संचालित करने की योजना शिक्षा विभाग बना रहा है।
-यूडीआईडी नहीं बनने के चलते नहीं मिल पा रहा है विभिन्न योजनाओं का लाभ :
-पूर्णिया पूर्व प्रखंड के आरक्षी मध्य विद्यालय स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के साथ डगरुआ और भवानीपुर प्रखंड स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कुल 75 दिव्यांग बच्चियां है, जिनका यूडीआईडी कार्ड बनाने के लिए चार माह पूर्व शिविर में जांच करवाई गई थी, मगर चार माह बाद भी यूडीआईडी कार्ड नहीं बन पाया है। इससे सरकार के द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ इन दिव्यांग बच्चियों को नहीं मिल पा रहा है। समग्र शिक्षा के संभाग प्रभारी अरविंद कुमार ने बताया कि पिछले जांच शिविर में दिव्यांग बच्चियों को बुनियादी केन्द्र ले जाकर यूडीआईडी कार्ड के लिए जांच करवाई गई थी, लेकिन चार माह बाद भी यूडीआईडी कार्ड नहीं बन पाया है। यूडीआईडी कार्ड के लिए जल्द ही शिक्षा विभाग के द्वारा स्वास्थ्य विभाग का ध्यान पत्र के माध्यम से आकृष्ट करायेगा। बिहार में पहली बार श्रवण बाधित दिव्यांग बालिकाओं की पढ़ाई सांकेतिक भाषा में शुरू की गई है। बिहार शिक्षा परियोजना पूर्णिया के समावेशी शिक्षा संभाग अंतर्गत श्रवण दिव्यांग बालिकाओं का ऑनलाइन सांकेतिक भाषा में पढ़ाई प्रारंभ की गई है जिसमें पूर्णिया जिला के तीन कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में नामांकन 25 फ़ीसदी आरक्षित है जिसमें 75 बालिकाएं सामान्य और 25 बालिकाएं श्रवण दिव्यांग का नामांकन कराया गया है। इसमें पूर्णिया सदर के आरक्षी मध्य विद्यालय, डगरुआ प्रखंड के आदर्श मध्य विद्यालय और भवानीपुर के मध्य विद्यालय भवानीपुर में श्रवण दिव्यांग बालिकाओं का ऑनलाइन सांकेतिक में विशेष शिक्षकों के द्वारा पढ़ाई कराई जा रही है।
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