Bajjika Language Festival Highlights Neglect of Bihar s Linguistic Heritage सरकार व जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा से बदहाल है बज्जिका भाषा : विद्या चौधरी, Samastipur Hindi News - Hindustan
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सरकार व जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा से बदहाल है बज्जिका भाषा : विद्या चौधरी

बिहार में बज्जिका भाषियों की आबादी डेढ़ करोड़ है, लेकिन इस भाषा की उपेक्षा हो रही है। पटोरी के एएनडी कॉलेज में हुए बज्जिका महोत्सव में विद्या चौधरी और मणि भूषण प्रसाद ने इस मुद्दे पर विचार साझा किए।...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरMon, 14 April 2025 01:05 AM
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सरकार व जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा से बदहाल है बज्जिका भाषा : विद्या चौधरी

शाहपुर पटोरी। बिहार में बज्जिका भाषियों की आबादी डेढ़ करोड़ से अधिक है। इसके बावजूद इस भाषा की उपेक्षा हो रही है। इसके लिए सरकार और जनप्रतिनिधि दोनों जिम्मेदार हैं। उक्त बातें रविवार को पटोरी के एएनडी कॉलेज के कर्पूरी सभागार में आयोजित बज्जिका महोत्सव की अध्यक्षता करते हुए पटना से आईं विद्या चौधरी ने कही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मणि भूषण प्रसाद अकेला ने कहा कि देश के छोटे-छोटे हिस्सों में बोली जाने वाली लोक भाषाओं, जिसे बोलने वाले लोगों की आबादी काफी कम है, उसे भी सरकार के द्वारा अनुसूची 8 में शामिल किया गया परंतु बज्जिका को अब तक इससे वंचित रखा गया है। इससे बज्जिका को उसका उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा है। महोत्सव में समस्तीपुर, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, पटना, दरभंगा व बेगूसराय जिले से लगभग चार दर्जन बज्जिका साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर बज्जिका पुस्तक विक्रय केंद्र स्थापित किया गया। पटोरी पुस्तक मेला समिति द्वारा आयोजित इस महोत्सव का आयोजन एएनडी कॉलेज के कर्पूरी सभागार में हुआ। पुस्तक मेला समिति के अध्यक्ष सह पर्यावरण सेवी वशिष्ठ राय वशिष्ठ के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यकार ज्वाला सांध्यपुष्प ने स्वागत भाषण किया। परिचर्चा में विशिष्ट अतिथि सह अध्यक्ष संयुक्त बज्जिका संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय वर्मा, रामनरेश शर्मा, अखौरी चंद्रशेखर, अमिताभ कुमार सिंह, सुधा वर्मा, अवधेश तृषित, इंजी राणा ब्रजेश, डॉ सतीश चंद्र भगत, देवेंद्र राकेश , रामकिशोर सिंह चकवा, ईश्वर करुण, रवीन्द्र कुमार रतन, डॉ संजय विजित्वर, प्रो हरि नारायण सिंह हरि, पूर्व रेल राजभाषा अधिकारी द्वारिका राय सुबोध , मनोज कुमार पांडेय, बैद्यनाथ पंडित प्रभाकर , डॉ प्रेम कुमार पांडेय , रामचंद्र चौधरी, दिनेश प्रसाद, डॉ बसंत कुमार, डॉ डीएन चौरसिया ,सदानंद राय, इंजी अवधेश कुमार सिंह, ज्ञानशंकर शर्मा, अरुण कुमार सिंह,अभिरंजन कुमार, रामशंकर राय आदि ने अपने विचार रखे।

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