एआई की मदद से शहद की गुणवत्ता व पहचान के लिए बने किट : वीसी
भारत सरकार के उद्यान आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने लीची और शहद के उत्पादन में संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों, किसानों और छात्रों को बताया कि अनुसंधान और बायो प्रोडक्ट निर्माण की दिशा में काम...

पूसा। भारत सरकार के उद्यान आयुक्त डॉ.प्रभात कुमार ने कहा राज्य में लीची व शहद से जुड़े कार्यो की अपार संभावनाएं हैं। जरूरत है साईंस एवं इकोनॉमी को ध्यान में रखकर कार्य करने की। इसमें डेटा के आधार पर शोध कार्यो को गति देने, शहद के बायो प्रोडक्ट निर्माण, बी-ब्रीडींग जैसे कार्यो को बढ़ावा देने की जरूरत है। जिससे वह एक खास ब्रांड के रूप् में उभर कर राष्ट्रीय व अर्न्तराष्ट्रीय पहचान बन सके। वे शनिवार को विवि के विद्यापति सभागार में देश के विभिन्न राज्यो से आये वैज्ञानिको, किसानों व छात्रो को संबोधित कर रहे थे। मौका था लीची की विविधता एवं जीआई टैंगिग आधारित लीची शहद विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र का।
उन्होंने कहा कि मधुमक्खी रानी के आकार व शक्ति में कमी आ रही है। जिससे शहद के उत्पादन प्रभावित हो रहा है। इसके लिए बी-ब्रीडींग पर कार्य की जरूरत है। उन्होंने शहद के हेल्दी डिंक बनाने पर जोर देते हुए कहा कि यह युवाओं की खास पसंद हो सकती है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ.पीएस पाण्डेय ने कहा कि लीची की सबसे बड़ी समस्या सेल्फ लाईफ की है। तुड़ाई के बाद ताजा व गुणवत्तायुक्त बनाये रखने की चुनौती है। इस दिशा में विवि कार्य कर रहा है। उन्होंने वैज्ञानिको से कहा कि वे एआई की मदद से एैसे किट का निर्माण करें, जिससे लीची व शहद की गुणवत्ता, स्वाद आदि की पहचान हो सके। उन्होंने मुजफ्फरपुर की अनिता कुमारी की चर्चा करते हुए कहा कि इनकी सफलता की कहानी प्रेरणादायी है। लीची अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ.विकास दास ने कहा कि लीची व लीची शहद की बं्राडिंग के लिए इसके गुणो के प्रसार करने की जरूरत है। निदेशक अनुसंधान डॉ.अनिल कुमार सिंह ने विवि की गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की। स्वागत डीन डॉ.मयंक राय, संचालन शांम्भवी व अभिषेक कुमार ने एवं धन्यवाद डॉ.मोहित शर्मा ने की। इससे पूर्व आगत-अतिथियों ने लीची व शहद प्रदर्शनी का अवलोकन कर किया। बाद में दीप प्रज्जवलित कर समारोह की शुरूआत की। इस दौरान साजो-सज्जा से लेकर स्वागत के सामानों तक लीची के खास तरीके से उपयोग समारोह को आकर्षक बना रहा था। मौके पर कुलसचिव डॉ.मृत्युंजय कुमार, निदेशक डॉ.रामदत्त,डॉ.मिनाक्षी द्विवेदी, डॉ. कुमार राज्यबर्द्धन, डॉ.सतीश कुमार समेत डीन-डायरेक्टर, बिहार सरकार के उद्यान विभाग से जुड़े अधिकारी मौजूद थें। इस दौरान लीची खाने की प्रतियोगिता आयोजित हुईं। जिसमें वैज्ञानिकों व छात्रों ने हिस्सा लिया।
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