सस्ती दर पर लोन व स्थाई दुकान संग स्वास्थ्य बीमा का मिले लाभ
चाय अब केवल एक शब्द नहीं रह गया है। चाय दुकानदार आर्थिक रूप से काफी पिछड़े हैं और स्थायी रोजगार की मांग कर रहे हैं। बारिश, गर्मी या सर्दी में भी उनकी दुकानें खुलती हैं, लेकिन उन्हें अक्सर हटाए जाने का...
चाय अब एक शब्द भर नहीं रह गया है। सुबह होते ही चाय की याद आती है। अब शहरों को छोड़िए गांव के चौक-चौराहों पर भी चाय की दुकानें मिल जाएंगी। कहीं कुछ मिले या ना मिले आपको गर्म चाय अवश्य मिलेगी। शहर के चौक-चौराहों से लेकर गांव के गली-मोहल्ले तक सड़क किनारे चाय दुकानदार को चाय बेचते हुए देखा जा सकता है। जाड़े की ठंडी हो या गर्मी का मौसम यहां तक की भारी बारिश के बीच भी सुबह सवेरे उनकी दुकान खुल जाती है। दिन भर इतनी कड़ी मेहनत के बावजूद बड़ी मुश्किल से अपने परिवार वालों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाते हैं।
आज चाय दुकानदार आर्थिक रूप से काफी पिछड़े हैं। उनके सामने सबसे बड़ी समस्या स्थायी रोजगार को लेकर है। चाय दुकानदार स्थाई दुकान की मांग कर रहे हैं। चाय दुकानदारों को चाय पीना और पिलाना दोनों रोजमर्रा का हिस्सा है। दिन की शुरुआत से लेकर शाम की थकान मिटाने के लिए चाय की आवश्यकता पड़ती है। घर के साथ दुकान पर आने वाले ग्राहक हो या रिश्तेदार सभी का स्वागत चाय से ही किया जाता है। ऑफिस में काम से थके हो या दुकान पर काम करके ऐसे में चाय ही लोगों को थकान मिटाने का सहारा है। इसके कारण जिले के चौक-चौराहों से लेकर गांव की गली, मोहल्ले और नुक्कड़ तक हर जगह चाय की दुकान दिख जाती है। झोपड़ी नुमा दुकान बनाकर चाय बेचते हुए चाय वाले देखे जा सकते हैं।
झोपड़ी कई बार बारिश के दौरान सड़क पर चलने वाले राहगीरों के सिर छुपाने का सहारा भी दे देती है लेकिन स्थाई दुकान नहीं होने के कारण वे भय के माहौल में दुकान का संचालन करते हैं। कभी अतिक्रमण के नाम पर उन्हें हटाया जाता है तो कभी स्थानीय दुकानदारों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है। ऐसे में चाय दुकानदार अपने लिए स्थाई दुकान की मांग कर रहे हैं, ताकि अतिक्रमण के नाम पर रोज-रोज की परेशानी से छुटकारा मिल सके।
चाय दुकानदार रितेश कुमार,अशोक महतो, भानु, सुरेंद्र साह, सनोज कुमार, रवि शंकर गिरी आदि ने बताया कि चाय पर चर्चा होती है, लेकिन चाय दुकानदारों पर चर्चा नहीं होती। इसका मलाल हम फुटपाथी चाय दुकानदारों को है। उन्होंने बताया कि कुछ कंपनियां चाय जैसे काम में प्रवेश कर रही हैं। चमक दमक की वजह से उनकी स्थिति ठीक है लेकिन फुटपाथ पर चाय बेचने वाले परेशान हैं। कुछ लोगों की चर्चा हर जगह होती है लेकिन चाय दुकानदार जिनकी कई पीढ़ी फुटपाथों पर चाय बेचते हुए गुजर गई, उसकी चर्चा नहीं होती है और ना ही उन्हें कोई लाभ मिल पाता है। सड़कों के किनारे अपना ठिकाना बनाए फुटपाथी चाय दुकानदारों को हटाए जाने का भय रहता है। लंबे समय से सड़कों के किनारे ठेला या झोपड़ी लगाकर रोजगार करने वाले चाय दुकानदार प्रत्येक दिन विस्थापन की समस्या से जूझते रहते हैं। कभी स्थाई दुकानदारों द्वारा अपने दुकान के सामने ठेला नहीं लगाने दिया जाता है तो कभी अतिक्रमण का आरोप लगाकर प्रशासन द्वारा हटाया जाता है। ठोस ठिकाना नहीं होने के कारण उन्हें सताया जाता है।
चाय दुकानदारों का कहना है कि हम चाय दुकानदार स्थाई अतिक्रमण नहीं करते हैं बल्कि हमारा दुकान अस्थाई होती है। बताया कि शहर में कई जगह स्थाई अतिक्रमण है, उसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। हम सबसे कमजोर हैं और ऐसे में हमें ही सताया जाता है।
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