बोले रांची: कहने को तो निर्मल आवास पर कुष्ठ रोगी यहां प्यासे
रांची के आनी टोला में 700 से अधिक लोग जल संकट से जूझ रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित निर्मल आवास में पानी की गंभीर कमी है। कॉलोनी के लोग सामाजिक जागरूकता, आर्थिक सहायता और स्वास्थ्य...

रांची, संवाददाता। रांची के आनी टोला में बनी कुष्ठ कॉलोनी में 700 लोग रहते हैं। ये कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हिन्दुस्तान के ‘बोले रांची कार्यक्रम में रविवार को कॉलोनी के लोग शामिल हुए। इसमें उन्होंने कहा कि उनकी मदद के लिए सामाजिक जागरुकता, आर्थिक सहायता और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना जरूरी है। बताया, प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत कुष्ठों के लिए निर्मल आवास बनाए गए थे। आठ माह पहले आवासीय परिसर का उद्धाटन हुआ। लेकिन, परिसर में जनवरी से ही जल संकट गहरा गया। बोरिंग फेल है। इतनी बड़ी लोगों की आबादी निगम के एक टैंकर के भरोसे है। साथ ही अभी से ही बिल्डिंग में दरार आने लगी है।
हिन्दुस्तान के ‘बोले रांची कार्यक्रम में रांची के आनी टोला के लोग शामिल हुए। बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत कुष्ठ रोगियों के लिए निर्मित निर्मल आवास कॉलोनी एक समय उनके लिए उम्मीद और आश्रय का प्रतीक थी। लेकिन आज यहां रहने वाले लोग गंभीर जल संकट से परेशान हैं।
लोगों ने बताया कि जुलाई 2024 में बनकर तैयार हुए इस आवासीय परिसर में 256 आवास हैं। इसमें 700 से अधिक लोग निवास करते हैं। विडंबना यह है कि निर्माण के एक वर्ष के भीतर ही यहां पानी की भारी किल्लत पैदा हो गई है, जिससे यहां रहने वाले लोगों का दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। परिसर में जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कुल पांच बोरिंग करवाए गए थे। दुर्भाग्यवश, इनमें से तीन बोरिंग विफल साबित हुए। शेष दो बोरिंग भी उतनी क्षमता वाले नहीं हैं कि वे 700 से अधिक लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकें। इन दो बोरिंग से प्रतिदिन मात्र 10 बाल्टी पानी ही मिल पाता है, जो कि एक बड़ी आबादी के लिए अपर्याप्त है।
एक टैंकर का ही मिला भरोसा
पानी समस्या की गंभीर स्थिति को देखते हुए, रांची नगर निगम ने जनवरी माह से इस आवासीय परिसर में प्रतिदिन एक टैंकर पानी की आपूर्ति शुरू की है। हालांकि, यहां के निवासियों का कहना है कि टैंकर से मिलने वाला पानी भी सभी लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नाकाफी है। जो लोग शारीरिक रूप से सक्षम हैं, वे अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए जगन्नाथपुर क्षेत्र से पानी लाने को मजबूर हैं। यह उनके लिए एक अतिरिक्त बोझ और शारीरिक श्रम का कार्य है। लेकिन, इस परिसर में लगभग 50 ऐसे लोग भी हैं जो चलने में असमर्थ हैं। इनमें से कई बैसाखी के सहारे चलते हैं और अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी संघर्ष करते हैं। ऐसे लोगों के लिए पानी जुटाना कठिन और पीड़ादायक कार्य बन गया है। निर्मल आवास में रहने वाले लोगों का कहना है कि सरकार ने उन्हें अच्छा आवास तो प्रदान कर दिया है, लेकिन यदि प्रत्येक घर में नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित की जाए तो वे इस गंभीर जल संकट से निजात पा सकते हैं। उनका मानना है कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव में अच्छा आवास भी जीवन को सुगम बनाने में सफल नहीं हो पाता।
डीप बोरिंग के लिए निगम को कई बार आवेदन
परिसर में रहने वाले लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार कॉलोनी में डीप बोरिंग करवाने के लिए संबंधित अधिकारियों को आवेदन भी दिए हैं। हालांकि, इन आवेदनों पर अब तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई है। उनकी गुहार अनसुनी रह गई है, जिससे उनमें निराशा की भावना बढ़ती जा रही है। वर्तमान में, निर्मल आवास में रहने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या जल संकट है। इसने न केवल उनके दैनिक जीवन को मुश्किल बना दिया है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और स्वच्छता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है। पानी की कमी के कारण वे साफ-सफाई का ध्यान रखने में भी असमर्थ हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। लोग पीने के पानी के लिए भी तरस रहे है। दिन में एक बार टैंकर से पानी आता से जिससे रोजमर्रा के काम करते हैं। लोगों का कहना है कि बढ़ती गर्मी को देखते हुए भी निगम अधिक टैंकर भेजे। साथ ही हर घर में सप्लाई पानी की पहुंच सुनिश्चित हो।
आठ महीने में ही निर्मल अावास बदहाल, मकानों में आईं दरारें
हिन्दुस्तान के ‘बोले रांची कार्यक्रम में आणी टोला के लोगों ने बताया कि जुलाई 2024 में निर्मल आवास में लोगों को मकान दिया गया। लेकिन, उद्धाटन के आठ माह बाद ही मकानों में दरारें आने लगीं हैं। कुछ की छत से प्लास्टर उखड़ रहे हैं। परिसर में लगीं कई साेलर लाइट भी खराब हो गईं हैं। इससे रात के समय परिसर के कई भागों में अंधेरा छाया रहता है। इन सभी परेशानियों पर ध्यान देने की जरूरत है।
पिछले एक साल में केवल तीन माह की पेंशन राशि ही मिली
परिसर में रहने वाले लोगों ने कहा कि कोरोना काल के बाद से उन्हें नियमित रूपा दिव्यांगता पेंशन की राशि नहीं मिल रही है। वर्तमान में समाजिक सुरक्षा के तहत एक हजार रुपए दिव्यांग पेंशन के रूप में वे पाते हैं। लोगों ने बताया कि पिछले एक साल में केवल तीन माह की पेंशन राशि ही उन्हें मिली है। इससे उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। निवासियों ने दिव्यांगता पेंशन की राशि बढ़ाने की भी मांग उठाई।
परिसर में बच्चों के लिए प्राथमिक स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र नहीं
निर्मल कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने कहा कि यहां के लोग भिक्षाटन पर निर्भर हैं। सुबह में ही वे लोग अपनी दिनचर्या के लिए निकल जाते हैं। वर्तमान में जहां कॉलोनी है वहां से सरकारी स्कूल दो किलोमीटर की दूरी पर है। अगर परिसर में सरकारी प्राथमिक स्कूल खुल जाए तो परिवार के लोग और बच्चे शिक्षा से वंचित नहीं होंगे। साथ ही आंगनबाड़ी केंद्र खुलने से बच्चों को सही पोषण, टीका और जांच की सुविधा मिल पाएगी।
सामुदायिक भवन बनाने की मांग
बोले रांची कार्यक्रम में लोगों ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुष्ठ पीड़ितों के लिए निर्मल आवास का निर्माण कराया गया। परिसर में एक सामुदायिक भवन का भी निर्माण होना था। लेकिन, इसपर अबतक कवायद नहीं हुई है। परिसर में रहने वाले लोगों ने सामुदायिक भवन बनवाने की मांग की है। उनका कहना है कि वे आर्थिक रूप से काफी पिछड़े हुए हैं। शादी-विवाह एवं अन्य सामाजिक कार्यों के आयोजन के लिए सामुदायिक भवन का भाव है। इस कारण स्थानीय निवासियों को इन आयोजनों के लिए उचित स्थान के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लोगों का कहना है कि उनकी जरूरत को देते हुए एक सामुदायिक भवन का निर्माण अत्यंत आवश्यक है।
समस्याएं
1. निर्मल आवास कॉलोनी में पानी की समस्या। सात सौ लोग निगम के एक टैंकर के भरोसे।
2. दिव्यांगता पेंशन की राशि काफी समय से नियमित रूप से नहीं मिल पा रही है।
3. परिसर में नहीं बनाया गया है सामुदायिक भवन, समाज के आयोजनों में होती है परेशानी ।
4. ड्रेनेज प्रणाली नहीं है। पानी जमा होने की समस्या। बारिश के दिनों में ज्यादा परेशानी।
5. परिसर में प्राथमिक स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र नहीं, बच्चों को नहीं मिल रहा पोषणयुक्त भोजन।
सुझाव
1. निर्मल आवास कॉलोनी के लिए सप्लाई वाटर की व्यवस्था हो, निगम टैंकरों की संख्या बढ़ाए।
2. दिव्यांगजनों को नियमित रूप से मिले पेंशन की राशि, जिससे उन्हें आर्थिक परेशानी न हो।
3. परिसर में सामुदायिक भवन का निर्माण कराया जाए, जिससे शादी-विवाह में परेशानी न हो।
4. परिसर के बेहतर ड्रेनेज की व्यवस्था हो, जिससे पानी निकासी में समस्या न आए।
5. परिसर में प्राथमिक स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाएं, बच्चे लाभान्वित व उनका विकास हो।
बोले लोग
निर्मल कॉलानी में सात सौ से अधिक लोग रहते हैं, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। यहां के लोग भिक्षाटन पर निर्भर हैं। युवा बेरोजगार हैं। सरकार को युवाओं के लिए रोजगार के लिए पहल करनी चाहिए। परिसर में पानी की सबसे बड़ी समस्या है। यहां के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। नगर निगम के एक टैंकर के भरोसे सभी लोग हैं।
- सीताराम महतो
कोरोना काल के बाद से दिव्यांगता पेंशन की राशि नियमित नहीं मिल रही है। इस राशि से आर्थिक रूप से बहुत मदद होती है। लेकिन, राशि नहीं मिलने से काफी परेशानी हो रही है। सरकार को दिव्यांग पेंशन की राशि बढ़ानी चाहिए, जिससे महंगाई के समय में उनकी मदद हो सके। राशि से बच्चों की पढ़ाई, राशन, दवा में मदद मिलती है।
- रघुनाथ महतो
यहां के ज्यादातर लोग भिक्षा मांगकर गुजारा करते हैं। पहले शहर में रहते थे, वहां भिक्षा मांगते थे। जीवन कठीन रूप से चल रहा।
-मीना तिर्की
परिसर में सामुदायिक भवन का निर्माण होना था, जो अबतक नहीं हो सका है। लोगों की सुविधा की ओर ध्यान देने की जरूरत है।
-विक्रम मियां
निर्मल कॉलानी में पानी की बड़ी समस्या है। लोग पीने के पानी के लिए भी तरस रहे हैं। निगम की ओर से बस एक टैंकर आता है।
-पूजा मांझी
निगम की ओर से तीन चार दिन में एक बार कचरे का उठाव होता है। जिससे घरों में ही तीन दिन तक कचरा रखना पड़ता है।
-मंजू महतो
एक टैंकर पानी सभी के लिए पर्याप्त नहीं है। कम पानी में ही दिन चलाना पड़ता है। खाना बनाने के लिए भी पानी पूरा नहीं पड़ता है।
-रूपा
इस परिसर में कई लोग चलने में असमर्थ हैं। उनके लिए पानी भरना काफी चुनौतीपूर्ण रहता है। हर ब्लाक में पानी सप्लाई हो।
-बिरजु लिंडा
यहां पानी की सबसे बढ़ी समस्या है। सभी बोरिंग फेल हो गए हैं। चार माह से पानी के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है।
-ज्योत्सना महतो
परिसर में प्राथमिक स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र नहीं खुला है। बच्चों को पोषणयुक्त भोजन नहीं मिल रहा है।
-ज्योती दत्ता
परिसर में कई सोलर स्ट्रीट लाइट कई माह से खराब पड़ी हैं। शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। निगम और जिम्मेदान ध्यान दें।
-विनोद उरांव
इस परिसर में रहने वाले युवा बेरोजगार हैं। सरकार को युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए।
-कृष्णा कुमार
एक साल में तीन माह की पेंशन राशि ही मिली है। प्रतिमाह भुगतान करना के साथ पेंशन की राशि बढ़ाने पर भी जोर हो।
-प्यारी कुजूर
काॅलोनी में नाली का निर्माण तो कराया गया, लेकिन पानी निकासी की सही व्यवस्था नहीं है। बारिश में परेशानी ज्यादा रहती है।
-दिप्ती मुंडा
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