बोले सीवान : कौशल विकास का प्रशिक्षण देने के बाद रोजगार की व्यवस्था की जाए
बिहार कौशल विकास मिशन द्वारा 15 से 59 आयु वर्ग के लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के लिए तैयार किया जाता है। कुशल युवा कार्यक्रम के अंतर्गत 15 से 25 वर्ष के युवाओं को कंप्यूटर, संवाद कौशल और...
बिहार कौशल विकास मिशन के द्वारा राज्य के 15 से 59 आयु वर्ग के लोगों को प्रशिक्षित कर उनका कौशल विकास कर उन्हें रोजगार के लिए तैयार किया जाता है। कोई भी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है। बिहार कौशल विकास मिशन के माध्यम से राज्य के लोगों को रोजगार के लिए प्रासंगिक व गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास का मौका प्रदान कर रही है। इसके लिए बिहार कौशल विकास मिशन वर्ष 2010 से कार्यरत है। लगभग 15 वर्षों की अवधि में बिहार कौशल विकास मिशन में भौगोलिक विस्तार, पाठ्यक्रमों की प्रासंगिकता, योजनाओं की अभिनवता एवं रोजगारपरकता को ध्यान में रखते हुए तीन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कुशल युवा कार्यक्रम के तहत युवाओं को रोजगारपरक बनाने के उद्देश्य से कौशल प्रशिक्षण को राज्य सरकार ने निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को राज्य के 15 विभागों के बीच वितरित किया गया है। कुशल युवा कार्यक्रम की एक अनूठी पहल की है। इस कार्यक्रम के माध्यम से राज्य के 15 से 25 वर्ष के दसवीं उत्तीर्ण युवाओं को रोजगारपरक बनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री ने 2016 में किया । इस कार्यक्रम को 7 निश्चय के अंतर्गत रखा गया। इसके माध्यम से युवाओं को कंप्यूटर, व्यवहार कौशल एवं संवाद कौशल में परिपक्व बनाने का उद्देश्य है। इस कार्यक्रम की अवधि 240 घंटे की है। इसमें ऑनलाइन प्रशिक्षण व क्लास रुम प्रशिक्षण सम्मिलित है। कार्यक्रम में 120 घंटे कंप्यूटर, 80 घंटे संवाद कौशल एवं 40 घंटे व्यवहार कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है। आवेदकों का निबंधन आर्थिक हल युवाओं को बल के एकीकृत पोर्टल के द्वारा किया जाता है। आवेदन के बाद प्रशिक्षण लेने वाले सभी लोगों को दस्तावेजों की जांच जिला निबंधन एवं परामर्श केंद्र पर कराया जाता है। दस्तावेज जांच के बाद आवेदक अपने नजदीकी कुशल युवा प्रशिक्षण केंद्र पर प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। जिले में राज्य सरकार द्वारा निर्मित भवन में कुल 19 केंद्र सभी प्रखंड मुख्यालयों में स्थापित है। इसके अतिरिक्त जिले में गैर सरकारी पार्टनर के द्वारा अन्य लगभग 48 स्थानों पर भी प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की गई है। भविष्य में इस योजना का लाभ अभियंत्रण, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, पॉलिटेक्निक के छात्र एवं पारा मेडिकल इंस्टीच्यूट के छात्र भी प्राप्त कर सकेंगे।
दूसरी डोमेन स्कीम योजना के द्वारा 15 से 59 वर्ष के व्यक्तियों को उनके वर्तमान कौशल स्तर के अवलोकन के आधार पर अग्रेतर कौशल विकास व रोजगार प्रदान करने में सहायक है। बिहार कौशल विकास मिशन के द्वारा राज्य सरकार के 15 विभागों की सहमति से एक मानक दर तथा एक मानक पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। विभिन्न विभागों के द्वारा संचालित किए जाने वाले कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के मानकी करण हेतु बिहार विकास कौशल विकास मिशन के द्वारा सेक्टर स्किल कौंसिल अनुमोदित 107 पाठ्यक्रमों को चयनित किया गया है। इन पाठ्यक्रमों के अधीन भी सभी विभागों के द्वारा अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम को संचालित किया जा रहा है। बिहार के सभी जिलों में लक्ष्य सूमह की जनसंख्या एवं विभागों के कौशल विकास लक्ष्य के आधार पर प्रशिक्षण प्रदाताओं का चयन किया जा रहा है।
बिहार कौशल विकास मिशन के द्वारा भर्ती प्रशिक्षण तैनाती योजना को लागू करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए देश के नामचीन एवं विदेशी एजेंसियों के साथ कई चरणों में विचार विमर्श किया गया। यह योजना कौशल प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक अनूठी योजना है तथा राष्ट्रीय स्तर पर कुछ ही प्रदेशों के द्वारा इस मॉडल को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया गया है। इस मॉडल में देश एवं विदेश के नामचीन कंपनियों, संगठनों के द्वारा देश एवं विदेश में स्थापित अपनी कंपनियों के मांग के अनुरुप सर्व प्रथम राज्य के युवाओं को चयनित किया जाएगा। अपने संगठन की आवश्यकता के अनुरुप अपने प्रशिक्षण केंद्रों में 160 से 600 घंटे तक का आवासीय / गैर आवासीय प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। अपनी संस्था के माध्यम से मूल्यांकन एवं प्रमाणी करण कर सफल प्रशिक्षित युवाओं को देश एवं विदेश में रोजगार मुहैया कराया जाएगा। अब तक मुख्यतः सिक्युरिटी, रिटेल, ब्यूटी एंड वेलनेश एवं कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में पाठ्यक्रमों के प्रशिक्षण की व्यवस्था है।
कौशल विकास केंद्र से लगभग 28 हजार बच्चों को मिलता है प्रशिक्षण
जिले में संचालित कौशल विकास केंद्र के जरिए लगभग 28 हजार छात्रों को कौशल विकास का प्रशिक्षण एक साल में दिया जाता है। जिले में सभी प्रखंडों में सरकार द्वारा स्थापित कौशल विकास केंद्र एक साल में चार बैच में बच्चों को प्रशिक्षण देते हैं। फिलहाल जिले के 67 कौशल विकास केदो पर लगभग 7000 से ऊपर बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उसे देख तो एक साल में औसतन लगभग 28 से 30 हजार बच्चों को रोजगार पुरक शिक्षा दी जाती है। हालांकि इसके बाद बच्चे की आगे की पढ़ाई व प्रशिक्षण अधुरा हो जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद प्लेसमेंट के लिए जिला निबंधन कार्यालय में निबंध करना होता है। जहां निजी कंपनियां में इनका प्लेसमेंट किया जाता है। जितने को प्रशिक्षण दिया जाता है सभी का प्लेसमेंट नहीं होता। बहुत से छात्र प्रशिक्षण लेने के बाद भी घर पर बैठे रहते हैं। जिससे यह प्रशिक्षण अपने मूलभूत उद्देश्यों से पीछे हो जाता है। एक तरफ जहां पॉलिटेक्निक कॉलेज या अन्य महाविद्यालय में 4 साल की डिग्री व 3 साल में डिप्लोमा का कोर्स छात्रो को कराते हैं। वहीं इन्हें 3 महीने का कोर्स कराया जाता है। इतने कम समय में बच्चे क्या सीख पाएंगे, सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। उन्हें कंप्यूटर की बेसिक जानकारी व संवाद कौशल का प्रशिक्षण तो मिल जाता है मगर वे कुछ कर नहीं पाते।
अवधि बढ़े तो छात्रों को मिल सकता है बेहतर प्रशिक्षण
प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्रों का कहना था 3 महीना में बहुत सारी बातें नहीं सीख पाते। इससे उनके ज्ञान अधूरा रह जाते हैं। वैसे में उन्हें कहीं नौकरी भी नहीं मिलती। सरकार को प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाकर कम से कम एक साल करनी चाहिए ताकि बच्चे बेहतर तरीके से कंप्यूटर की शिक्षा व संवाद का प्रशिक्षण ले सके और उन्हें कहीं भी नौकरी लेने में कठिनाई नहीं हो। साथ ही केंद्र स्तर से उनका प्लेसमेंट मिलता तो और बेहतर होता। प्रशिक्षण के दौरान आने वाली कंपनियां उनके कौशल देख उनका प्लेसमेंट करती तो अच्छा होता। पर शिक्षा लेने के बाद जिले में निबंधन व रोजगार मेले में जाकर रोजगार के लिए प्रयास करना भारी होता है और इसमें लंबा समय भी लगता है। की बार कोई जानकारी नहीं मिल पता। आगे प्रशिक्षण लेना चाहते हैं या पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं तो 3 महीने के प्रशिक्षण पर डिग्री या डिप्लोमा की डिग्री नहीं कर पाते। उनके सामने आर्थिक समस्या भी आती है। बैंक से लोन की प्रक्रिया भी जटिल है। जिसे कौशल विकास से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्र को नाही तो बेहतर शिक्षा मिल पाती है और नहीं बेहतर रोजगार।
अगर स्कूलों में ही मिलते कंप्यूटर की बेहतर शिक्षा तो होती आसानी
कौशल विकास से जुड़ी छात्रों का कहना था कि स्कूलों में स्मार्ट क्लास व कंप्यूटर शिक्षा के लिए लैब तो बनाए गए लेकिन वहां कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं होती। शिक्षकों की कमी के कारण उन्हें कंप्यूटर की बेसिक शिक्षा स्कूल में नहीं मिल पाए। अगर स्कूलों में कंप्यूटर की बेसिक जानकारी मिलती तो उन्हें इस प्रशिक्षण में और आसानी होती। साथ ही, आर्थिक सहायता मिले तो वेलोग लैपटॉप या कंप्यूटर खरीद कर प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद घर पर ही अभ्यास करते। सरकारी सहायता मिलने की बात तो होती है लेकिन मदद नहीं मिलने के कारण प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों को काफी परेशानी होती है। प्रशिक्षण लेने के पूर्व उन्हें ऑनलाइन निबंधन कराना होता है। लेकिन कागजातो के जांच के लिए जिला जाना पड़ता है। कौशल विकास केंद्र पर ही निबंधन के बाद उनकी कागजात की जांच होती तो ग्रामीण बच्चों को आसानी होती है व अनावश्यक भाग दौड़ से मुक्ति मिलती।
प्रस्तुति- शैलेश कुमार सिंह, रितेश कुमार
सुझाव :
1- समान्य के बच्चों के लिए उम्र सीमा बढ़ाकर कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिए।
2-बिहार के बच्चे जो दूसरे बोर्ड से मैट्रिक इंटर पास करते हैं उन छात्रों को भी मौका दिया जाना चाहिए।
3- तीन माह की जगह कम से कम 6 माह का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
4-प्रशिक्षण के दौरान ही प्लेसमेंट केंद्र से ही मिले, रोजगार मेले के इंतजार नहीं करना पड़ा।
5-प्रशिक्षण के लिए निबंधन होने के बाद वेरिफिकेशन का काम नजदीकी सेंटर पर होना चाहिए।
शिकायतें
1-निबंधन के बाद वेरिफिकेशन के लिए डीआरसीसी जाना पड़ता है।
2- प्लेसमेंट के लिए डीआरसीसी में निबंधन करा रोजगार मेला का इंतजार करना पड़ता है।
3-प्रशिक्षण के लिए कम समय मिलता है।
4- दूसरे बोर्ड के छात्रों को कौशल विकास का मौका नहीं दिया जाता ।
5-सॉफ्ट स्किल एवं इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी की ही जानकारी दी जाती है
हमारी भी सुनिए
01. पहले से तीसरे माह की जगह कम से कम 6 माह का प्रशिक्षण दिया जाए। प्रशिक्षण के बाद उनका रोजगार सुनिश्चित हो इसका प्रयास होना चाहिए। रोजगार मिलने पर ही सार्थक प्रयास हो पाएगा। इससे स्वावलंबी बनने में सहायता मिलेने लगेगी।
रिशु राज
02. प्रशिक्षण के दौरान इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी व सॉफ्ट स्किल के विषय में जानकारी दी जाती है, इसमें अन्य कोर्स को भी जोड़कर बेहतर बनाने की जरूरत है। इससे गांव के युवाओें को भी रोजगार पाने की दिशा में प्रयास सफल हो जा रहे हैं।
- नरगिस खातून
03- बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार का दर्जा मिला है वैसे ही प्रशिक्षण लेने वालों के लिए रोजगार सुनिश्चित हो इस पर सरकार को सोचना चाहिए।
- उपेन्द्र कुमार साहनी
04- सामाजिक संरचना में लड़कियां भी आती हैं। उन्हें भी अपनी बातें रखने, रोजगार करने का अधिकार है। उन्हें भी समाज में बराबरी का हक मिलना चाहिए। छात्राओं को भी इस कौशल विकास में बराबर का दर्जा मिलना चाहिए ताकि गांव की लड़कियां सबला बन सकें।
- प्रीति कुमारी
05-डीआरसीसी के द्वारा छात्रों के लिए रोजगार मेला लगाया जाता है। बच्चों का प्लेसमेंट जल्द व बेहतर हो इसकी व्यवस्था केंद्र पर ही होनी चाहिए।
- नेहा कुमारी
6- प्रशिक्षण के लिए निबंधन के बाद कागजात जांच के लिए केंद्र पर ही सुविधा मिलनी चाहिए।डीआरसीसी जाने पर छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
- गजलि खातून
7-समाज के अंतिम पायदान पर रहनेवाले को प्रशिक्षण देना ठीक है। इनके आर्थिक उत्थान के लिए योजना धरातल पर उतरनी चाहिए। सरकार को आर्थिक व समाजिक उत्थान के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।
- ममता कुमारी
8- प्रशिक्षण के बाद आगे की पढ़ाई के लिए बैंकों से लोन मिलने की बात कही जाती है इनके लिए योजना फाइलों में दब जाती है। योजना के सही कार्यन्वयन होने से प्रशिक्षण लेने वालों खुशहाली आ सकती है।
- प्रिंस कुमार चौहान
9- प्रशिक्षण के बाद रोजगार देने की योजना है केवल सरकारी घोषणा से काम नही चलता सरकार को देखना चाहिए कि प्रशिक्षण के बाद रोजगार मिला या नहीं।
- सूर्यबाला कुमारी
10-- प्रशिक्षण के बाद रोजगार के लिए भटकना पड़ता है प्रशिक्षण वाले केन्द्रों पर प्लेसमेंट की सुविधा मिले तो प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों के लिए और अच्छी होगी।
- आशीष कुमार
11-प्रशिक्षण तीन माह की जगह 6 माह का होना चाहिए। प्रशिक्षण के दौरान अन्य दूसरे कोर्सों को भी शामिल किया जाना चाहिए। इससे रोजगार को पाने का सपना युवाओं का पूरा हो सकेगा। इसे प्र्राथमिकता सूची में रखना चाहिए।
- विशाल कुमार सहनी
12-प्रशिक्षण के लिए बहुत कम समय मिलता है। प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए ताकि और बेहतर प्रशिक्षण मिल सके। इससे युवाओं को शिक्षा ग्रहण करने में गुणवत्ता आ सकेगी।
- मोनिका कुमारी
13-दूसरे बोर्ड के छात्रों को कौशल विकास योजना का लाभ नहीं मिल रहा। दूसरे बोर्ड से पास करने वाले छात्रों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए। इससे जो भी लोग का सपनला कंप्यूटर सीखने का होगा , वह पूरा हो पाएगा।
- पंकज कुमार पासवान
14-बहुत सी सरकारी योजना बेअसर साबित हो रही है। इस कारण बच्चों को रोजगार नहीं मिल रहा है। युवक दर-दर भटकने को मजबूर हैं। युवाओं को अगर कंप्यूटर की शिक्षा पाने के बाद अगर स्थानीय स्तर पर ही कुछ काम दिया जाएगा तो ठीक रहेगा।
किशन कुमार
15-अब भी बहुत सा परिवार हासिए पर है। सरकारी योजनाओ के होने के बाद भी उन्हें प्रताड़ना का शिकार भी होना पड़ रहा है। इसलिए सरकार को ऐसे लोगों के विकास की योजना को धरातल पर लाने की जरूरत है।
रेणु कुमारी
16- प्रशिक्षण पाने वाले को भी सरकारी नौकरी के लिए जगह आरक्षित हो। तभी समाज के लोगों की तरक्की होगी। प्रशिक्षण के लिए लोग जागरूक होंगे। कंप्यूटर की शिक्षा देना जरूरी है।
अलका कुमारी
17- प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों को जीविका समुह से जोड़कर रोजगार के अवसर दिया जा सकता है। इनको भी बेरोजगारी भता मिलना चाहिए। तभी समाज के लोगों का भला हो सकता है।
अनामिका कुमारी
18- ग्रामीण क्षेत्र में कौशल विकास योजना से प्रशिक्षण मिलना अच्छी पहल है। लेकिन इसे और अधिक कारगर बनाने की जरूरत है। प्रशिक्षण बाद प्रशिक्षण लेने वालों का रोजगार सुनिश्चित होना चाहिए।
मुकेश कुमार, प्रबंधक
19- बच्चियों के उत्थान के लिए कदम उठाया जाना चाहिए। घर परिवार व समाज सभी की खुशी में शामिल होने वालो को भी खुशी मिलना चाहिए। इसे सबल बनाने की जरूरत है।
मधु
20- शिक्षा के अधिकारों को प्रशासनिक स्तर पर लाभ मिले। यह सुनिश्चित होना चाहिए तभी बच्चियां समाज का एक हिस्सा बन पाएंगी। कंप्यूटर के साथ कौशल विकास को लेकर अन्य प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए।
निशा कुमारी
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