Crowd Gathered for Spiritual Discourse and Ramleela at Vishnu Mahayagya गुठनी: सत्संग के प्रभाव से जागृत होती है बुरे कर्मों को त्यागने की प्रवृति , Siwan Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsSiwan NewsCrowd Gathered for Spiritual Discourse and Ramleela at Vishnu Mahayagya

गुठनी: सत्संग के प्रभाव से जागृत होती है बुरे कर्मों को त्यागने की प्रवृति

गुठनी के बलुआ गांव में चल रहे नौ दिवसीय श्रीविष्णु महायज्ञ के छठे दिन, कथावाचिका अनुश्री माधवी ने सत्संग पर प्रवचन दिया। उन्होंने बताया कि सत्संग का जीवन में बड़ा महत्व है और यह आत्मिक उन्नति के लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानSun, 6 April 2025 11:59 PM
share Share
Follow Us on
गुठनी: सत्संग के प्रभाव से जागृत होती है बुरे कर्मों को त्यागने की प्रवृति

गुठनी, एक संवाददाता। प्रखंड के बलुआ गांव मे चल रहे नौ दिवसीय श्रीविष्णु महायज्ञ में छठवे दिन प्रवचन और रामलीला देखने के लिए लोगो भीड़ उमड़ पड़ी। इस यज्ञ में पहुंचे कथावाचिका अनुश्री माधवी ने सत्संग पर कथा सुनाकर लोगो को भावविभोर कर दिया। कथावाचिका अनुश्री माधवी ने बताया कि सत्संग का प्रभाव महान् है। जो भी सत्संग-महापुरुषों के वचन सुनता है, मनन करता है। उनपर अमल करता है। उसका जीवन सफल हो जाता है। वह आत्मिक उन्नति की ओर निरन्तर बढ़ता है। महापुरुषों के वचन जीव के मन पर गहरी छाप छोड़ जाते हैं, जिनके प्रभाव से जीव का आत्म कल्याण होता है। जीवन को समुन्नत बनाने और सुधारने के लिए सत्संग मूलाधार है। जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति में सत्संग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। सत्संग क्या है? इस संसार में तीन पदार्थ- ईश्वर, जीव और प्रकृति- सत हैं। इन तीनों के बारे में जहां अच्छी तरह से बताया जाए, उसे सत्संग कहते हैं। श्रेष्ठ और सात्विक जनों का संग करना, उत्तम पुस्तकों का सत्संग, पवित्र और धार्मिक वातावरण का संग करना, यह सब सत्संग के अंतर्गत आता है। सत्संग हमारे जीवन के लिए उतना ही आवश्यक है, जितना कि शरीर के लिए भोजन। भोजनादि से हम शरीर की आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेते हैं, किंतु आत्मा जो इस शरीर की मालिक है, उसकी संतुष्टि के लिए कुछ नहीं करते। आत्मा का भोजन सत्संग, स्वाध्याय और संध्या है। सत्संग जीवन को निर्मल और पवित्र बनाता है। यह मन के बुरे विचारों व पापों को दूर करता है। भतृहरि ने जो लिखा है, उसका आशय है कि 'सत्संगति मूर्खता को हर लेती है, वाणी में सत्यता का संचार करती है। दिशाओं में मान-सम्मान को बढ़ाती है, चित्त में प्रसन्नता को उत्पन्न करती है। और दिशाओं में यश को विकीर्ण करती है। वस्तुत: सत्संगति मनुष्य का हर तरह से कल्याण करती है। मौक़े सत्यप्रकाश विश्वकर्मा, हरेराम गुप्ता, संदीप गुप्ता, ददन तिवारी, सुनील यादव, धर्मेंद्र यादव, संतोष यादव, मृत्युंजय शर्मा, शैलेन्द्र गुप्ता मौजूद थे।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।