सामाजिक और बुनियादी ढांचे के विकास की मांग कर रही महिलाएं
सीवान, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। क संवाददाता। पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से में भाषा आधार पर 1948 से 1952 तक आन्दोलन हुआ। इसके बाद पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से को बांग्लादेश के रूप में 16 दिसंबर 1971 नए देश...

सीवान, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिले में बिहार सरकार और जीविका के संयुक्त प्रयास से चल रहे महिला संवाद कार्यक्रम से गांवों में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद जग गई है। क्योंकि महिलाएं अब केवल व्यक्तिगत समस्याओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अपने समुदाय के संपूर्ण सामाजिक और बुनियादी ढांचे के विकास की मांग कर रही हैं। उन्हें समाज की समस्या व परेशानियों बेहतर तरीके से प्रशासन के समक्ष रखने का बेहतर मंच मिल गया है। संवाद के माध्यम से कई महिलाएं जो समाज व गांव में सही ढंग से अपनी बातों को नहीं रख रही थी। वह एक प्रखर वक्ता के रूप में निडर होकर गांव व समाज की समस्याओं को बेखुबी से प्रशासन के सामने रख रही है।
साथ ही उनके सुझाव व सामुदायिक आकांक्षाओं का संकलन प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है। ताकि इसका निपटारा किया जा सके। गौर करने वाली बात है कि जिले में अब तक 656 संवाद हो चुके हैं। इसमें 1 लाख 34 लाख से अधिक महिलाओं ने सहभागिता ली है। वहीं 14,668 सामुदायिक आकांक्षाओं से जुड़ी सुझाव दी है। इसके निष्पादन के लिए रोड मैप तैयार करने के उद्देश्य से जीविका द्वारा एमआईएस पर अपलोड किया जा रहा है। महिलाओं ने दी शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार से लेकर मूलभूत सुविधाओं से गांव को लैस कराने की सुझाव सरकार और जीविका के संयुक्त प्रयास से संचालित महिला संवाद कार्यक्रम में महिलाओं ने महिलाओं ने दी शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार से लेकर मूलभूत सुविधाओं से गांव को लैस कराने की सुझाव दी है। इसे ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति के रूप में देखा जा रहा है। गौर करने वाली बात है कि 18 अप्रैल महिला संवाद कार्यक्रम की जिले में शुरूआत हुई थी। जो जिले के 19 में से 18 प्रखंडों को कवर कर चुका हैं। शेष मैरवा प्रखंड में संवाद गतिविधियां मई के मध्य से शुरू होंगी। 16 संवाद रथों के माध्यम से एलईडी स्क्रीन के साथ हो रहा प्रचार-प्रसार जिले में 16 आधुनिक संवाद रथों के माध्यम से एलईडी स्क्रीन के साथ प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसे गांव-गांव में पहुंचाया जा रहा है। ताकि ग्रामीण महिलाएं योजनाओं के बारे में जान सके, अपनी समस्याएं व मांगें सरकार तक सीधे पहुंचा सकें। इस अभियान में अब तक 1,34,000 से अधिक महिलाओं की सक्रिय भागीदारी दर्ज की गई है। इसमें जीविका और गैर-जीविका दोनों तरह की सदस्याएं शामिल हैं। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नीति निर्धारण में ग्रामीण महिलाओं की सीधी भागीदारी सुनिश्चित करना और उनकी सामुदायिक आकांक्षाओं को दस्तावेज़ीकृत करना है। इस दिशा में जीविका के माध्यम से अब तक 14,668 सामुदायिक मांगों और सुझावों का संग्रह किया गया है, जिन्हें एक सुनियोजित एमआईएस प्रणाली के माध्यम से जिला प्रशासन तक पहुंचाया जा रहा है। ये है महिलाओं की प्रमुख पांच सुझाव 1. स्थानीय रोजगार और आजीविका सृजन- महिलाओं द्वारा स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार, महिला केंद्रित उद्यम, और कौशल विकास कार्यक्रमों की मांग की जा रही है। 2. सार्वजनिक बुनियादी ढांचा एवं सुविधाएं- बेहतर सड़क संपर्क, जल निकासी प्रणाली, सामुदायिक शौचालय, पंचायत स्तरीय पुस्तकालय एवं सामुदायिक भवन की मांगें शामिल हैं। 3. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं- सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शिक्षकों की उपलब्धता, और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति सुधारने की मांग की गई है। 4. सामाजिक सुरक्षा और सरकारी योजनाओं से वंचित परिवारों की कवरिंग- वृद्धा/विधवा पेंशन, राशन कार्ड, और आवास योजना जैसे लाभ से वंचित योग्य परिवारों को जोड़ने की मांग प्रमुख रही है। साथ ही पेंशन राशि में वृद्धि की मांग भी उठाई गई है। 5. स्वच्छ पेयजल और नल-जल योजना में सुधार- ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित और शुद्ध जल आपूर्ति को सुनिश्चित करने हेतु नल-जल योजना की समीक्षा और सुधार की आवश्यकता महसूस की गई है। क्या कहते हैं अधिकारी महिला संवाद कार्यक्रम ने साबित किया है कि जब ग्रामीण महिलाओं को सही मंच और अवसर दिया जाता है, तो वे न केवल अपनी समस्याएं उठाती हैं, बल्कि सामूहिक विकास की दिशा में ठोस सुझाव भी देती हैं। जिला प्रशासन इस अभियान को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ा रहा है, ताकि महिलाओं की आकांक्षाओं को वास्तविक योजनाओं में रूपांतरित किया जा सके। - कृष्ण कुमार, जिला परियोजना प्रबंधक, जीविका
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