इंकैब के घोटाले में कोर्ट ने 22 आरोपियों को किया तलब
जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में इंकैब इंडस्ट्रीज के करोड़ों रुपये के घोटाले की पुष्टि हुई है। जमशेदपुर कोर्ट ने 22 आरोपियों को भारतीय दंड संहिता के तहत समन जारी किया है। यह मामला तब सामने आया जब एक...

कभी एशिया की अग्रणी केबुल निर्माता कंपनी के रूप में मशहूर रही इंकैब इंडस्ट्री में जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में करोड़ों रुपये के घोटाले की बात पर अब न्यायालय ने भी मुहर लगा दी है। जमशेदपुर कोर्ट के न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) सिद्धांत तिग्गा ने शुक्रवार को प्रथम दृष्टया अपराध सिद्ध पाते हुए 22 आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 120बी और 34 के तहत समन जारी किया है। न्यायालय ने सुनवाई की अगली तिथि 25 जून मुकर्रर की है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1920 में स्थापित यह कंपनी 25 वर्ष से बंद है। यह मामला उस समय प्रकाश में आया, जब कंपनी के सेवानिवृत्त कर्मचारी शंभू शरण पांडेय ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें 1999 से सेवानिवृत्ति तक का वेतन और अन्य देय नहीं मिले हैं।
केवल यही नहीं, उनके साथ 2,000 से अधिक ऐसे कर्मचारी हैं, जिन्हें समान हालात का सामना करना पड़ा। कर्मचारी के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि औद्योगिक इतिहास में एक और बड़ी वित्तीय अनियमितता का परत-दर-परत खुलासा हुआ है। आदिवासियों की धरती पर प्रतिष्ठित केबल निर्माता कंपनी इंकैब इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड आज सैकड़ों रुपये के एक ऐसे घोटाले की चपेट में है, जिसमें विदेशी कंपनियों से लेकर भारतीय प्रमोटर, बैंकिंग संस्थाओं, रिजोल्यूशन प्रोफेशनल और लिक्विडेटर तक की संदिग्ध संलिप्तता सामने आई है। दो अभियुक्त के नाम छूट गए, इसके लिए वे सेशंस कोर्ट में रिवीजन दायर करेंगे। 27.63 करोड़ थी देनदारी, आरोपियों ने 4000 करोड़ का दावा कर परिसंपत्तियों पर कब्जा जमाया राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण ने वर्ष 2021 में इस पूरे मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट रूप से कहा था कि कंपनी पर अवैध कब्जा कर लिया गया है और लिक्विडेटर शशि अग्रवाल को तत्काल प्रभाव से हटाते हुए उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई के निर्देश दिए। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी पूर्व में माना था कि कंपनी पर कुल देनदारी मात्र 27.63 करोड़ थी, जिसे एसबीआई को चुकाया जाना था। जबकि आरोपियों ने 4000 करोड़ का दावा करके कंपनी की परिसंपत्तियों पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। अदालत में गवाही देने वाले दो अन्य कर्मचारियों कल्याण शाही और रामचंद्र सिंह ने भी शिकायतकर्ता के दावों की पुष्टि की और बताया कि न केवल वेतन और ग्रेच्युटी लंबित है, बल्कि कर्मचारियों के लगभग 110 करोड़ बकाया भी हड़प लिए गए हैं। कुछ अधिकारियों को जेल जाना पड़ा था न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि प्रस्तुत दस्तावेज, साक्ष्य और उच्च न्यायालयों के पूर्व आदेशों को देखते हुए आरोपियों के विरुद्ध गंभीर आपराधिक षड्यंत्र और विश्वासघात के पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं। अतः 22 आरोपियों को अभियोजन की प्रक्रिया में सम्मिलित किया जा रहा है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, मंजरी सिंहा और निर्मल घोष मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि जिले के डिप्टी कलेक्टर रहे एनके शर्मा ने अपनी जांच रिपोर्ट में 32 करोड़ के घोटाले को उजागर किया था। इस मामले में कंपनी के कुछ अधिकारियों को जेल जाना पड़ा था।
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