Health Department Conducts Spraying for Kala-azar Prevention in 135 Villages of Siwan District पांच मई तक 109 गांव के 69 हजार 987 घरों में किया जा चुका हैं छिड़काव, Siwan Hindi News - Hindustan
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पांच मई तक 109 गांव के 69 हजार 987 घरों में किया जा चुका हैं छिड़काव

सीवान जिले के 135 गांवों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कालाजार की रोकथाम के लिए एसपी दवा का छिड़काव किया जा रहा है। 5 मई तक 69,987 घरों में छिड़काव किया गया है। पहले चरण का कार्य 20 मई तक और दूसरा चरण...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानWed, 7 May 2025 12:08 PM
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पांच मई तक 109 गांव के 69 हजार 987 घरों में किया जा चुका हैं छिड़काव

सीवान, निज प्रतिनिधि। जिले के दरौली, आंदर और हसनपुरा प्रखंड को छोड़ कर शेष सभी 16 प्रखंडों के 135 गांव में स्वास्थ्य विभाग की ओर से बनायी गयी 26 टीमों द्वारा घर भ्रमण कर सिंथेटिक पैराथायराइड (एसपी) दवा का छिड़काव कार्य किया जा रहा है। पांच मई तक 135 लक्षित गांव के 87 हजार 395 घरों में से 109 गांव के 69 हजार 987 घरों में छिड़काव किया जा चुका है। हालांकि, पहले चरण का छिड़काव कार्य 20 मई तक किया जाएगा। इसके बाद दूसरा चरण आगामी जून व जुलाई महीने में पूरा किया जाना है। इसको लेकर विभागीय टीम गोरेयाकोठी और भगवानपुर हाट प्रखंड क्षेत्र के कई गांवों का दौरा कर छिड़काव कार्य का मूल्यांकन और अनुश्रवण किया है।

बताया गया कि जिले में अभी तक वीएल के 07 जबकि पीकेडीएल के 08 मरीजों का इलाज चल रहा है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. ओम प्रकाश लाल ने बताया कि अंतिम चरण में चल रहे छिड़काव कार्य के दौरान भगवानपुर हाट प्रखंड के माघर और रतौली गांव के दर्जनों गांव के सैकड़ों घरों का जायजा लिया गया है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि जहां पिछले तीन वर्षों में कालाजार के संभावित मरीज पाए गए हैं। वहां से कालाजार जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय जनप्रतिनिधि के अलावा ग्रामीणों को जागरूक होने की जरूरत है। वहीं आपसी समन्वय व आम लोगों के सहयोग से ही इस रोग के प्रसार पर काबू पाया जा सकता है। स्थानीय लोगों को बताया गया कि नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की बालू मक्खियां ज्यादा फैलती है, लेकिन इससे ग्रसित मरीजों का इलाज आसानी से संभव है। हालांकि यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है। कालाजार बीमारी का लक्षण और प्रकार दो सप्ताह से अधिक बुखार, पेट के आकार में वृद्धि, भूख नहीं लगना, उल्टी होना, शारीरिक चमड़ा का रंग काला होना आदि कालाजार बीमारी के लक्षण हैं। ऐसा लक्षण वाले मरीजों को विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) कालाजार की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसा लक्षण शरीर में महसूस होने पर ग्रसित मरीज को अविलंब जांच कराना जरूरी होता है। इसका इलाज कराने के बाद भी ग्रसित मरीज को सुरक्षित रहने के आवश्यकता होती है। इसके उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की शिकायतें मिलती हैं जिसे पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) कालाजार से ग्रसित मरीज कहा जाता है। मुख्य रूप से पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कालाजार का इलाज आसानी से हो सकता है।

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