बोले सीवान : बोल्डर पिचिंग से तटबंध का होगा निर्माण तो रुकेगा कटाव
सरयू नदी के कटाव ने गांवों के निवासियों को भयभीत कर दिया है। कटाव के कारण कई घर और जमीनें बर्बाद हो रही हैं। लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं, जबकि सरकार स्थायी समाधान के लिए उपाय नहीं कर रही है।...
सरयू नदी के कटाव के कारण लोग डर के मारे सहमे हुए हैं। कई गांव नदी के पास बसे हैं और कटाव के कारण उनके घर और जमीन बर्बाद हो रही है। लोग अपने घरों को छोड़ने और सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं। सरयू नदी के किनारे बसे गांव कटाव के कारण खतरे में हैं। नदी का जलस्तर बढ़ने से कटाव तेज हो जाता है और कई घरों और जमीनों को नुकसान उठाना पड़ता है। नदी के कटाव के कारण लोग अपने घरों और जमीन को खोने के डर से सहमे हुए हैं। वे सुरक्षित स्थान की तलाश में हैं और कुछ लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं।
सरकार और प्रशासन कटाव को रोकने और प्रभावित लोगों की मदद के लिए उपाय करने चाहिए। लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं मिला है। सरयू नदी के किनारे बसे कई गांव कटाव से प्रभावित हैं। जिले के दक्षिणाखंड में सरयू नदी का फैलाव लगभग 75 किलोमीटर में है। गुठली, दरौली आंदर रघुनाथपुर व सिसवन प्रखंड के गांव सरयू नदी के तट पर बसा है। गुठनी दरौली रघुनाथपुर व सिसवन में प्रतिवर्ष दर्जनों गांव में सरयू नदी का कटाव होता है। बाढ़ विभाग इन कटाव को रोकने में को लेकर बालू भरे बोरे डाल कर रोक देती है, लेकिन इसका स्थाई निदान नहीं निकलता। इससे प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद भी सरयू नदी के कटाव व बाढ़ से इसके किनारे बसे गांवों को नहीं बचाया जा सकता। पानी के दबाव से तटीय इलाकों में होता है कटाव सरयू नदी के जलस्तर में जैसे-जैसे बढ़ोतरी या घटाव होता है वैसे-वैसे पानी का दबाव गंगपुर सिसवन के तटीय इलाकों में शुरू हो जाता है। फिलहाल महादेव सिंह के घर के पास पानी का दबाव होगा । पानी के दबाव के कारण उनके घर के पास कटाव तेजी से होगा। कटाव को लेकर ग्रामीण सहमे हुए हैं। कटाव से 2023-24 में बने छठ घाट भी आ गया। नदी का कटाव रिहायशी इलाके की ओर बढ़ रहा है। लाखों रुपये के बांस व पेड़ नदी में समाहित हो चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पानी के दबाव के कारण कटाव जारी हुआ। सरयू नदी के दियारे इलाके से पानी का दबाव सीधा यहां हो रहा था। इससे कटाव हो रहा था। कटाव के जद में कई घर भी आ सकते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार सरयू नदी के पानी का दबाव लगभग 500 मीटर के दायरे में तेजी से होगा। तटीय इलाके में बने घरों के कटाव के जद में आने की संभावना जताई जा रही है। नदी तट पर अवस्थित कई बांसवारी नदी में विलीन हो चुके हैं। 23-24 के में पन्द्रहवीं वित्त योजना के तहत लगभग 6.50 लाख के लागत से छठ घाट का निर्माण कराया गया था जो कि ध्वस्त हो गया है। जहां कटाव हो रहा था, वहां कटावरोधी काम कराया गया । कटावरोधी कार्य जहां पर नदी के दबाव ज्यादा था वहीं बांस का गेवियन बनाकर उसे जाली से ढक कर उसमें बालू भरे बोरे को गिराया गया, ताकि कटाव काम हो। कटाव को देखते हुए स्थानीय लोग सहमे हुए हैं। प्रशासन द्वारा कटावरोधी कार्य कराया जाएगा। ऐसा लोगों की मानें तो 15 अक्टूबर के बाद बाढ़ व कटावरोधी कार्य नहीं होता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन इस कटाव का स्थाई निदान करें। यहां पर बोल्डर पिचिंग का कार्य करा कर व गांव के दक्षिण में तटबंध का निर्माण कर स्थाई निदान कर दे तो गांव को कटाव से बचाया जा सकता है। पूर्व में जब गांव का कटाव हुआ तो गांव के 75 फीसदी हिस्से में बोल्डर पीचिंग हुआ। लेकिन जिन क्षेत्रों में बोल्डर पिचिंग नहीं हो पाया वहां बोल्डर पीचिंग का कार्य होना चाहिए। 1980-90 के बीच हुआ था बोल्डर पिचिंग का काम सिसवन गांव में सरयू नदी का कहर 1980 के दशक में शुरू हुआ था उस समय सरयू नदी के कटाव से गांव के कई घर नदी में विलीन हो गए। लोग भी विस्थापित होकर दूसरे जगह चले गए। सरयू नदी के कटाव के कारण सिसवन टोला दादरे बसा हुआ है। जहां भी लगभग 60-70 परिवार रहते हैं। इस दौरान सरयू नदी के कटाव को देखते हुए स्थानीय विधायक व कांग्रेस के मंत्री विजय शंकर दुबे ने पहल की व गांव में महादेव सिंह के घर से पूर्ब मल्लाह टोली के पास तक नदी में बाला गाड़ बोल्डर पिचिंग की गई। लेकिन महादेव सिंह के घर से पश्चिम अकड़वा घाट तक यह कार्य नहीं हो सका। इसलिए कि उस समय वहां पर कटाव काम था। लेकिन इस बार सरयू नदी का कटाव महादेव सिंह के घर के पास व उससे पश्चिम दिशा में हो रहा है। सरयू नदी के कटाव के कारण मोहन तिवारी के घर के पास आज भी पुराने गाड़े गए बाला का अवशेष व कटाव से बचे पत्थर देखे जा सकते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि महादेव सिंह के घर से पश्चिम अकड़वा घाट तक सरयू नदी में पत्थर डालकर कटाव को रोका जा सकता है। जिससे सरयू नदी के किनारे बसे घरों की सुरक्षा हो सकती है। हालांकि बाढ विभाग द्वारा बाढ़ पूर्व कार्य कराए जाने की सूचना मिल रही है। लेकिन वह कौन सा कार्य होगा और सरयू नदी का कटाव किस स्तर पर रुकेगा यह कहना मुश्किल है। ग्रामीणों का कहना है कि 1980 से 90 के बीच जिस प्रकार ग्रामीण के अनुरोध पर गांव के बचाव के लिए बोल्डर पिचिंग का काम कराया गया वह काम आज भी कराए जाने की जरूरत है। यूपी के टीएस बांघ पर पुराने चांदपुर गांव के कटाव से बचने के लिए तटबंध पर बोल्डर पिचिंग कराया गया है व जगह-जगह ठोकर भी बनाए गए हैं। उसी प्रकार के ठोकर व बोल्डर पिचिंग की जरूरत आज भी गंगापुर सिसवन गांव को बचाने के लिए जरूरी है। गंगपुर सिसवन में बाढ़ पूर्व कराया जा रहा है कार्य 2024 में महादेव सिंह के घर के पास हुए कटाव को देखते हुए इस बार भी बाढ़ पूर्व बाढ़रोधी कार्य कराए जा रहे है। जेई जितेंद्र कुमार ने बताया कि बिहार में बोल्डर पिचिंग का काम बंद हो गया है। मोहन तिवारी के घर से पश्चिम महादेव सिंह के घर के पास तक लगभग 300 मीटर के दायरे में बाढ़ रोधी काम कराया जा रहा है। इस जगह पर जिओ बैग का काम कराया जा रहा है। ताकि 2024 में हुए कटाव इस वर्ष नहीं हो। यूपी के कुछ हिस्सों में बनाए गए बांध का पानी सीधे यहां पर आकर टकरा रहा है जिसके कारण यहां पर कटाव हो रहा है। यह कटाव नही हो इसको लेकर बाढ़ पूर्व जिओ बैंग का काम कराया जा रहा है। ताकि विगत वर्ष जो कटाव हुआ उसे रोका जा सके। इसके आलावा दरौली सिसवन व अन्य जगहों पर सात काम हो रहा है। प्रस्तुति : शैलेश कुमार सिंह, रितेश कुमार । शिकायत- 1- प्रतिवर्ष कटाव पर करोड़ों रूपए होते हैं खर्च स्थाई निदान नहीं 2- रिहायशी इलाके में कटाव से लोगों को होना पड़ता है विस्थापित 3-गांवो में नहीं है तटबंध पानी बढ़ावा पर गांव में घुसने लगता है पानी 4-15 अक्टूबर के बाद होने वाले कटाव पर नहीं होता बचाव कार्य 5-स्थाई निदान के लिए बोल्डर पिचिंग का कार्य कार्य नहीं होता सुझाव -- 1- प्रतिवर्ष कटाव पर होने वाले खर्च की जगह स्थाई निदान की है जरूरत 2- रिहायशी इलाके में कटाव से लोगों को नही होना पड़े विस्थापित होने चाहिए उपाय 3-गांवो में नदी के तटीय इलाकों में तटबंध बनाने की है जरूरत 4-15 अक्टूबर के बाद होने वाले कटाव पर भी बचाव कार्य कराया जाना चाहिए 5-स्थाई निदान के लिए रुपी की तरह बोल्डर पिचिंग का कार्य हो हमारी भी सुनिए 1- कटाव से बचाव के लिए सरकार को स्थाई निदान सोचना चाहिए। ताकि रिहाईशी इलाके को बचाया जा सके। इलाके के लोगों को राहत दिलाने के लिए प्रयास सार्थक रूप से करना जरूरी है। - संजय सिंह 2-गांव के दक्षिण तटबंध का निर्माण होने से गांव में पानी घुसने का भय खत्म होगा। तटबंध का निर्माण होना चाहिए। अगर पक्की बांध का निर्माण हो जाएगा तो गांव के लोगों को बराबर की चिंता सेराहत मिल जाएगी। - राकेश कुमार सिंह 3- कटाव को रोकने के लिए स्थाई निदान होना चाहिए, ताकि सरकारी राशि का कम उपयोग हो। बराबर के निदान पर प्लन बनाकर कार्य किया जाएगा तो लोगों को राहत मिल जाएगी। - राजेश कुमार सिंह 4- कटाव रोकने को लेकर होने वाले काम की गुणवत्ता पर ध्यान होना चाहिए। गुणवत्ता पुर्ण काम नहीं होने से सरकारी राशि का दुरुपयोग होता है। इसलिए इस पर प्रशासन को ध्यान देकर जनहित में कार्य करवाना चाहिए। सत्येंद्र सिंह 5- गांव को बचाने के लिए बोल्डर पिचिंग का कार्य जरूरी है। सरकार को ग्रामीण इलाके में बोल्डर पिचिंग कराया जाना चाहिए। अब इस तरह की व्यवस्था कराए जाने पर ही राहत मिल सकती है। सुरेन्द्र सिंह 6-1980-90 के बीच सिसवन में बोल्डर पिचिंग का कार्य हुआ। कुछ क्षेत्र अधूरा है वहां भी बोल्डर पिचिंग का कार्य होना चाहिए। अधूरे कार्य को पूरा कराकर गांव को र साल के कटाव से बचाया जा सकता है। बद्री नारायण सिंह 7- कटाव व बाढ़ से बचाव के लिए बाढ़ नियंत्रण विभाग को कार्य करवाना चाहिए। गामीणों को राहत पहुंचाने के लिए अधूरे पड़े कार्य को करवाने पर ही राहत मिल सकती है। - राजेश मिश्रा 8-सरकार को नदियों के किनारे ज्यादा से ज्यादा पौधा लगाने चाहिए ताकि नदी के कटाव के समय वह काम आ सके। अगर नदियों को पानी का दबाव झेलने लायक बनाना है तो इसके लिए कार्य करवाना पड़ेगा ताकि इसका स्थाई निदान निकल सके। राज किशोर सिंह 9- बरसात पूर्व कटाव रोधी कार्य होना चाहिए। संभावित जगहों पर बाढ़ पूर्व कटाव रोकने का उपाय होना चाहिए।घुमावदार जगह पर प्रशासन को विशेष ध्यान देना चाहिए। वहां पर जरूरी कदम उठाने जाना चाहिए ताकि कटाव कम हो। गणेश बैठा 10-घुमावदार जगह पर प्रशासन को विशेष ध्यान देना चाहिए। वहां पर जरूरी कदम उठाने जाना चाहिए ताकि कटाव कम हो।बाढ़ पूर्व कटाव के दौरान नायलॉन के बारे में बालू भर बोरे की जगह ईट व पत्थर डाला जाए तो बेहतर रहेगा। हरेराम सिंह 11- बाढ़ पूर्व कटाव के दौरान नायलॉन के बारे में बालू भर बोरे की जगह ईट व पत्थर डाला जाए तो बेहतर रहेगा।नदी किनारे ईट व पत्थर डालकर नदी के धारा को मोड़ना चाहिए। ताकि कटाव कम से कम हो। धनंजय सिंह 12- नदी किनारे ईट व पत्थर डालकर नदी के धारा को मोड़ना चाहिए। ताकि कटाव कम से कम हो। यूपी की तरह बिहार के तटबंध सुरक्षित रहे इसको लेकर स्थाई बोल्डर पिचिंग कराया जाना चाहिए। नदी किनारे ठोकर बने - जितेंद्र सिंह 13-यूपी की तरह बिहार के तटबंध सुरक्षित रहे इसको लेकर स्थाई बोल्डर पिचिंग कराया जाना चाहिए। नदी किनारे ठोकर बने।नदी के कटाव को रोकने के लिए स्थाई उपाय होना चाहिए। अन्यथा नदी किनारे बसे गांव का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा - विनोद सिंह 14--नदी के कटाव को रोकने के लिए स्थाई उपाय होना चाहिए। अन्यथा नदी किनारे बसे गांव का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।नदी किनारे बसे सभी गांव सुरक्षित रहे, इसको लेकर बाढ़ विभाग को स्थाई कार्य कराया जाना चाहिए। - सुरेश सिंह 15- कटावरोधी कराए जाने वाले कार्यों में अनुभवी और कुशल अभियंताओं का देखे रेख चाहिए। गुणवत्ता पुर्ण काम कटाव रोकेगा। - विनय शंकर सिंह 16-नदी किनारे बसे सभी गांव सुरक्षित रहे, इसको लेकर बाढ़ विभाग को स्थाई कार्य कराया जाना चाहिए। प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी कटाव से स्थाई निदान नहीं मिलता। कटाव का स्थाई निदान होना चाहिए - परमहंस सिंह 17-प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी कटाव से स्थाई निदान नहीं मिलता। कटाव का स्थाई निदान होना चाहिए। - ललन महतो 18- गंगापुर में शिवाला घाट से लेकर महादेव सिंह के घर तक बोल्डर पिचिंग का कार्य जरूरी है। गांव को बचाने के लिए बोल्डर पिचिंग की जानी चाहिए। गांव के दक्षिण तटबंध का निर्माण कराया जाना चाहिए। - दीपक बैठा 19- गंगापुर सिसवन के गांव में तटबंध नहीं होने से बाढ़ का पानी गांव में घुसने लगता है। गांव के दक्षिण तटबंध का निर्माण कराया जाना चाहिए।मोड़ने के लिए जगह-जगह ठोकर बनाए जाना चाहिए। ठोकर बनने से धारा मुड़ेगी व कटाव खत्म होगा - शिवजी बैठा 20-सरयू नदी का कटाव रोकने व धारा मोड़ने के लिए जगह-जगह ठोकर बनाए जाना चाहिए। ठोकर बनने से धारा मुड़ेगी व कटाव खत्म होगा। - लालझरी कुवंर
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