अब आठवीं क्लास के छात्र मछली और मधुमक्खी पालन का पढ़ेंगे पाठ, सिलेबस तैयार
छात्रों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान में पैक्स और अन्य सहकारी समितियों के महत्व बताए जाएंगे। अलग-अलग व्यवसाय से जुड़ी समितियों के बारे में भी बच्चे जानेंगे। उदाहरण के लिए मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, बुनकर, डेयरी आदि क्षेत्र के बारे में भी बताया जाएगा।

स्कूली बच्चों में सहकारी भावना विकसित की जाएगी। इसके लिए उन्हें सहकारिता का पाठ पढ़ाया जाएगा। उन्हें समूह में रहने और जीविकोपार्जन के तौर-तरीके और फायदे बताए जाएंगे। इसके लिए सिलेबस तैयार किया जा रहा है। सामाजिक विज्ञान के एक चैप्टर के रूप में इसे शामिल करने की तैयारी चल रही है। सीबीएसई स्कूलों के आठवीं से 12वीं तक के बच्चे इसे पढ़ेंगे। राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद की चार सदस्यीय टीम ने सिलेबस तैयार कर लिया है। केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की मंजूरी के बाद इसे शिक्षा मंत्रालय को भेजा जाएगा। अभी अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष मनाया जा रहा है।
इसलिए सहकारिता मंत्रालय का प्रयास है कि इसे सिलेबस में जल्द शामिल करा लिया जाए। सरकार का मकसद बच्चों को सहकारिता के मूल सिद्धांत से अवगत कराना है। उन्हें विभिन्न तरह की समितियों और उसके कार्यों एवं फायदे के बारे में बताया जाएगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान में पैक्स और अन्य सहकारी समितियों के महत्व बताए जाएंगे। अलग-अलग व्यवसाय से जुड़ी समितियों के बारे में भी बच्चे जानेंगे। उदाहरण के लिए मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, बुनकर, डेयरी आदि क्षेत्र के बारे में भी बताया जाएगा।
सामूहिक खेती के फायदे जानेंगे बच्चे
शहरों में अपार्टमेंट संस्कृति बढ़ रही है। यहां सामूहिक जीवन को कैसे बेहतर बनाया जाएग, इस बारे में भी सिखाया जाएगा। आने वाले दिनों में पारिवारिक बंटवारे के चलते कृषि जोत की भूमि छोटी होती जाएगी। छोटी जोत की भूमि कई बार लोग परती छोड़ देते हैं। इसका असर फसल उत्पादन पर पड़ता है। इसलिए बच्चों को स्कूली दिनों से ही बताया जाएगा कि सामूहिक खेती के फायदे क्या हैं? उन्हें सामूहिक व्यवसाय सिखाया जाएगा। इससे स्थानीय उत्पादों का बड़ी कंपनियों से मुकाबला करने में मदद मिलेगी। छात्र बड़े होकर किसानों को भी उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य दिला सकेंगे।