ओला इलेक्ट्रिक की नई मुश्किल, इनसाइडर ट्रेडिंग मामले में सेबी कर रहा जांच
ओला इलेक्ट्रिक को कई नियामकीय दबावों का सामना करना पड़ रहा है। उपभोक्ता अधिकार नियामक सीसीपीए सहित कई प्राधिकरण कंपनी की सेवाओं और वाहनों में कथित 'खामियों' से संबंधित शिकायतों की जांच का आदेश दे रहे हैं।

इनसाइडर ट्रेडिंग के मामले में ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, बाजार नियामक सेबी अक्टूबर और दिसंबर 2024 के बीच इनसाइडर ट्रेडिंग के दो मामलों में भाविश अग्रवाल की अगुआई वाली ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड की जांच शुरू कर दी है। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ओला इलेक्ट्रिक द्वारा संबंधित पार्टी लेनदेन भी सेबी के रडार पर है। इस खबर के बीच ओला इलेक्ट्रिक के शेयर बिकवाली मोड में नजर आए। सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को शेयर एक फीसदी टूटकर 48 रुपये के स्तर पर आ गए।
कई दिन से निगेटिव खबरें
बीते कुछ दिनों से ओला को लेकर तरह-तरह की निगेटिव खबरें आ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो बाजार नियामक सेबी फरवरी बिक्री डेटा के बारे में ओला की ओर से दी गई जानकारी की सत्यता जांच रहा है।
क्या है आंकड़ों में अंतर का मामला
ओला इलेक्ट्रिक के वाहन पोर्टल आंकड़ों से पता चला है कि कंपनी ने फरवरी में 8,600 इकाइयां बेचीं, जिससे इसकी बाजार हिस्सेदारी जनवरी 2025 में 25 प्रतिशत से घटकर 11.4 प्रतिशत हो गई। हालांकि, स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में ओला इलेक्ट्रिक ने बताया कि उसने फरवरी में 25,000 इकाइयां बेचीं और इसकी बाजार हिस्सेदारी 28 प्रतिशत रही। इसके बाद, कंपनी को भारी उद्योग मंत्रालय और भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) से ईमेल प्राप्त हुए, जिसमें बिक्री आंकड़ों के बड़े अंतर के कारण पूछे गए।
ओला इलेक्ट्रिक को अपने कुछ स्टोरों के लिए व्यापार प्रमाणपत्रों के संबंध में चार राज्यों में नोटिस भी मिले और कंपनी ने बताया था कि वह इसका जवाब देने की प्रक्रिया में है। मीडिया रिपोर्ट में पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के अधिकारियों से ओला को एक नोटिस मिलने की भी खबरें आई थीं, जिसमें महाराष्ट्र में 100 से अधिक शोरूम को तत्काल बंद करने का आदेश दिया गया था। हालांकि, ओला इलेक्ट्रिक ने कहा कि उसे ऐसे किसी नोटिस के बारे में जानकारी नहीं है।