445 फर्रुखाबादी चांदी के सिक्कों से खरीदी गई थी जमीन
Hamirpur News - हमीरपुर गजेटियर के अनुसार 0 1821 में ब्रिटिश कलक्टर ने मेरापुर डांडा के चार कुर्मी बिरादरी के किसानों से किया था जमीन का सौदा 0 पहले 65 बीघा 19 बिस्वा

सैय्यद अतहर हमीरपुर, संवााददाता। डीएम-एसपी के बंगला और इससे संबद्ध जिस सरकारी जमीन 58.14 एकड़ को फर्जी अभिलेखों के जरिए हड़पने की तैयारी थी, उस जमीन को 1821 में ब्रिटिश सरकार के कलक्टर ने मेरापुर डांडा के किसानों से 445 फर्रुखाबादी चांदी के सिक्के अदा करके पट्टे पर ली गई थी। जिसमें बंगला, अस्तबल, बाग व अन्य मकान बनवाए गए थे। हमीरपुर के गजेटियर के अनुसार वर्ष 1823 में हमीरपुर को ब्रिटिश सरकार ने स्वतंत्र जिला बना दिया। इसके प्रथम ब्रिटिश शासक मि.एम.एंसले थे। जिले का प्रशासनिक पर्यवेक्षण सेंट्रल बोर्ड के अंतर्गत था जिसका मुख्यालय इलाहाबाद में था। मि. एंसले ने वर्ष 1821 में परगना हमीरपुर जिला नव बुंदेलखंड के राजस्व गांव मेरापुर डांडा के शिवदीन, हीरा, अचल और मान्धाता जो सभी कुर्मी सचान थे, से 65 बीघा 19 बिस्वा जमीन 70 रुपए चांदी के फर्रुखाबादी सिक्कों में पट्टे पर ली थी।
जिसमें बंगला, अस्तबल, बाग व अन्य मकान बनवाए गए। बाद में कुछ और जमीन सहित 375 रुपए चांदी के फर्रुखाबादी सिक्कों से इन्हीं लोगों से खरीदी गई थी। इसी जमीन पर वर्तमान में डीएम, एसपी का बंगला, पुलिस लाइन सहित अन्य सरकारी भवन बने हुए हैं। एक जुलाई 1857 में हमीरपुर पेशवा राज्य घोषित हुआ एक जुलाई 1857 की हमीरपुर में पेशवा राज्य घोषित कर दिया गया। इसी दौरान ब्रिटिश सेनाओं ने कानपुर पर पुन: अधिकार कर लिया। इस खबर सुनते हुए डिप्टी कलेक्टर वाहिद-उज-जमान मुख्यालय से फरार हो गए। पूरे जिले में संघर्ष चल रहा था। विदोखर थोक पुरई गांव (सुमेरपुर ब्लाक) के जमींदार ने गिरधारी नामक ठेकेदार की हत्या कर दी। सुरौली बुजुर्ग के गौर राजपूतों ने यमुना नदी पार कर रही अंग्रेजों की बंदूकों से भरी एक नाव को लूट लिया था। इस जुर्म के कारण अंग्रेजों ने पूरा गांव उजाड़ दिया। 1858 में ब्रिटिश सरकार ने जब्त की नारायण राव कोठी 10 मई 1858 को हमीरपुर को झांसी मंडल में मिला दिया गया। कालपी की पराजय के बाद अंग्रेज कलक्टर फ्रीलिंग ने 24 मई 1858 को पुन: जिला मुख्यालय पर कब्जा कर लिया। प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी पकड़ लिए गए तथा कारावास का दंड दिया गया। उनकी संपत्ति तथा रियासतें जब्त कर ली गई। हमीरपुर मुख्यालय पर पेशवाओं की कोठी ‘नारायण राव कोठी भी शत्रु संपत्ति घोषित कर जब्त कर ली गई थी। 1860 में हजारीबाग की जेल में हुई थी नारायण राव की मौत ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध विद्रोह करने वाले पेशवा नारायण राव और उनके नाबालिग भाई माधवराव को छह जून 1858 ई. को जनरल व्हाइटलाक द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाने के बाद नारायण राव को हजारीबाग (बिहार) भेजा गया। वहां एक बंदी की हैसियत से सन् 1860 ई. में उनकी मृत्यु हो गई। माधवराव की कम उम्र होने के कारण माफ कर दिया गया क्योंकि उस समय उनकी उम्र लगभग नौ वर्ष की थी। उन्हें बोर्स्टल जेल बरेली भेज दिया गया। नारायण राव की संपत्ति हड़पने को जमींदारों ने चला दांव कुल मिलाकर जिस संपत्ति को अंग्रेजों ने शत्रु संपत्ति घोषित करके कब्जा किया था वो सरकारी संपत्ति घोषित हो गइ। जिसे केसर-ए-हिंद के नाम से दर्ज किया गया। इसी संपत्ति को हड़पने के लिए सन् 1964 में कलेक्ट्रेट में तैनात एक लिपिक ने जमींदारों के साथ मिलकर पहले भूमि की प्रकृति बदलवाई और फिर उन्हीं दस्तावेजों के बूते एक केस शुरू हुआ, जो अभी तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सका है। 350 पेज की जांच रिपोर्ट में परत दर परत खुला गड़बड़झाला हमीरपुर। सालों से चले आ रहे सरकारी संपत्ति के इस हाईप्रोफाइल मामले की जांच करने वाली टीम ने डीएम को 350 पेज की रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पूरे गड़बड़झाले का विस्तृत ब्योरा दर्ज है। इस रिपोर्ट के बाद ही इस षड़यंत्र में शामिल अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ विपक्षियों के विरुद्ध जालसाजी का मुकदमा कायम कराया गया। उधर, पुलिस की टीम ने भी प्रकरण की जांच को तेजी से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। जल्द ही इसमें मुकदमे के वादी एसडीएम सदर के बयान होंगे ताकि जो चीजें छूट रही हो वो भी जुड़ती चली जाएं। इसके बाद विपक्षियों के कागजातों की जांच को लेकर राजस्व कोर्ट से सारे रिकार्ड निकाले जाएंगे। अरबों रुपए की संपत्ति को हथियाने के लिए तैयार कराए गए फर्जी दस्तावेजों के बूते कोर्ट में लगातार मजबूत साबित हो रहे विपक्षियों को नए खुलासे से तगड़ा झटका लगा है। विपक्षी कोर्ट के पूर्व के आदेशों का हवाला देकर अभी भी कानूनी लड़ाई को जारी रखने का मन बनाए हैं। दूसरी तरफ अभिलेख मिलने के बाद से प्रशासन फ्रंट फुट पर आ चुका है। मुकदमा दर्ज होने के बाद से पुलिस ने भी अपनी जांच की रफ्तार को तेज कर दिया है। राजस्व कोर्ट से निकाले जाएंगे दस्तावेज एसपी डॉ.दीक्षा शर्मा ने बताया कि उन्होंने एएसपी एमके गुप्ता के नेतृत्व में एक टीम गठित की हुई है, जिसमें सीओ, इंसपेक्टर सहित अन्य पुलिस कर्मियों को रखा गया है। इस मामले में प्रथम चरण में मुकदमे के वादी एसडीएम सदर के बयान होने हैं ताकि इस मुकदमे में जो भी चीजें और हर गई है, उन्हें जोड़ा जा सके। फिर टीम राजस्व कोर्ट वो दस्तावेज निकालेगी जो विपक्षियों ने कोर्ट में लगाए थे। इनकी जांच होगी। जिसमें इनके फर्जी होने की पुष्टि के बाद विधिक कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि पुलिस अभी सारे कागजी कार्रवाई में लगी हुई है। 32 प्लाटों के रिकार्डों को खंगालने में जुटे अधिकारी डीएम-एसपी के बंगले के ईद-गिर्द विपक्षियों द्वारा कुछ ही सालों में करीब 32 प्लाटों को बेचा गया था। जिनमें वर्तमान समय में ऊंची-ऊंची इमारतें तन चुकी हैं। लेकिन फर्जी दस्तावेजों के सहारे कोर्ट केस करने का खुलासा होने के बाद से प्रशासन ने विपक्षियों द्वारा बेची गई जमीनों की जांच भी शुरू कर दी है। एडीएम (वित्त एवं राजस्व) विजय शंकर तिवारी ने कल से लेकर अब तक की जांच में ऐसे 32 प्लाटों को खोज निकाला है, जिन्हें विपक्षियों ने बेचा था। अब इसकी जांच की जा रही है कि बेचे गए प्लाट पर मालिकाना हक विपक्षियों का था या नहीं। यदि उनका मालिकाना हक साबित नहीं होता है तो आने वाले समय में इन 32 प्लाटों पर मकान बनाकर रहने वालों की भी मुश्किलों में इजाफा हो सकता है। उक्त सभी मकान डीएम-एसपी के बंगले की बाउंड्री वॉल से लगे हुए हैं।
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