सरकारी कॉन्ट्रैक्ट में विदेशी कंपनियों की एंट्री… ब्रिटेन के बाद अब US को मिलेगी हरी झंडी?
भारत ने ब्रिटिश कंपनियों को केवल गैर-संवेदनशील क्षेत्रों में सार्वजनिक खरीद में भाग लेने की अनुमति दी है। हालांकि, ब्रिटेन की कंपनियों को राज्य सरकार की संस्थाओं, स्थानीय निकायों द्वारा खरीद में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी।

अमेरिका समेत विदेशी कंपनियों को भारत के सरकारी कॉन्ट्रैक्ट के लिए बोली लगाने की अनुमति मिल सकती है। इस मंजूरी के बाद अमेरिकी कंपनियां, सरकारी संस्थाओं से 50 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के कॉन्ट्रैक्ट के लिए बोली लगा सकेंगी। हाल ही में भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत भारत ने ब्रिटेन को कुछ चुनिंदा सरकारी खरीद में हिस्सा लेने की अनुमति दी है। अब अमेरिका के लिए भी सरकारी कॉन्ट्रैक्ट में भारत के दरवाजे खुल सकते हैं।
अमेरिका से व्यापार समझौते में फैसला संभव
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दो सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत अपने संरक्षित सरकारी खरीद बाजार का एक हिस्सा विदेशी कंपनियों के लिए खोल रहा है। इसमें अमेरिका भी शामिल है। सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार, अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत के दौरान अमेरिकी फर्मों को 50 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के सरकारी कॉन्ट्रैक्ट के लिए बोली लगाने की अनुमति दे सकती है। हालांकि, इस पर वाणिज्य मंत्रालय की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सरकारी अनुमानों के अनुसार कुल ऑर्डर या कॉन्ट्रैक्ट 700 बिलियन-750 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष है। अधिकांश ऑर्डर घरेलू फर्मों के लिए रिजर्व है। हालांकि रेलवे और रक्षा जैसे क्षेत्र में विदेशी सप्लायर की एंट्री पर रोक नहीं है।
ब्रिटेन के साथ समझौता
बता दें कि ब्रिटेन ने पहली बार दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत अपनी सार्वजनिक खरीद प्रणाली में भारतीय कंपनियों के साथ बिना किसी भेदभाव के व्यवहार करने पर सहमति जताई है। दोनों देशों ने छह मई को एफटीए के लिए बातचीत पूरी होने की घोषणा की। इसे अगले साल लागू किया जाएगा। ब्रिटेन की सरकार के अनुसार, यह व्यापार समझौता ब्रिटिश कंपनियों को भारत के सार्वजनिक खरीद बाजार तक एंट्री देगा। इसमें प्रति वर्ष कम से कम 38 अरब पाउंड मूल्य की लगभग 40,000 निविदाएं शामिल हैं।