पाकिस्तान में राफेल का खौफ, तूफान की तरह बढ़ रहे इस विमान कंपनी के शेयर
राफेल विमान बनाने वाली डसॉल्ट एविएशन एक फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी है। यह कंपनी सैन्य विमान, बिजनेस जेट और अंतरिक्ष प्रणालियों के डिजाइन और निर्माण में लगी हुई है।
Dassault aviation share: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान की नापाक हरकतों का भारत मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। भारत के जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान में खौफ का माहौल है। पाकिस्तान में खौफ बढ़ाने के लिए भारत के राफेल विमान काफी हैं। इस बीच, राफेल विमान को बनाने वाली कंपनी के शेयर में तेजी देखी जा रही है।
किस कंपनी के हैं शेयर
राफेल को बनाने वाली कंपनी फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन है। चालू कैलेंडर वर्ष में अब तक डसॉल्ट एविएशन के शेयरों में 66 प्रतिशत से अधिक की तेजी आई है। आंकड़ों के अनुसार, पेरिस में सूचीबद्ध यह कंपनी 2025 में अब तक करीब 67 प्रतिशत बढ़कर 325 यूरो के पार पहुंच गई है। 31 दिसंबर 2024 को यह शेयर 195.90 यूरो पर बंद हुई थे।
कंपनी के बारे में
डसॉल्ट एविएशन एक फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी है। यह कंपनी सैन्य विमान, बिजनेस जेट और अंतरिक्ष प्रणालियों के डिजाइन और निर्माण में लगी हुई है। इसकी पैरेंट फर्म ग्रुप इंडस्ट्रियल मार्सेल डसॉल्ट के पास कंपनी में 66.28 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि 22.94 प्रतिशत हिस्सेदारी फ्री-फ्लोट बनी हुई है। इसके अलावा एयरबस के पास कंपनी में 10.56 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बता दें कि भारत के अलावा, मिस्र और कतर के पास भी वायुसेना के बेड़े में राफेल विमान है।
भारत से नया समझौता
हाल ही में भारत और फ्रांस ने भारतीय नौसेना के लिए लगभग 64,000 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिये राफेल लड़ाकू विमानों के 26 नौसैनिक संस्करण खरीदने के वास्ते एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते में राफेल विमान के ढांचे के लिए उत्पादन सुविधा स्थापित करने के साथ-साथ भारत में विमान के इंजन, सेंसर और हथियारों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहालिंग सुविधाओं की स्थापना का प्रावधान है। इन विमानों की आपूर्ति 2028 में शुरू हो जाएगी और 2030 तक पूरी हो जाएगी, जिसके चालक दल को फ्रांस और भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
2016 में भी डील
सितंबर 2016 में, भारत ने 36 फ्लाई-अवे राफेल के लिए 7.8 बिलियन यूरो का कॉन्ट्रैक्ट किया। शुरुआती डिलीवरी 2019 तक और सभी 36 छह साल के भीतर होने की उम्मीद थी। इस सौदे में स्पेयर और मेटियोर मिसाइल जैसे हथियार शामिल थे।