BTech और इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारकों को नौकरी मिलने की रफ्तार बढ़ी, 4 लाख से 24 लाख का पैकेज
- BTech , Engineering Diploma Jobs : तकनीकी संस्थानों से उत्तीर्ण युवाओं को विभिन्न कंपनियों में औसतन चार लाख से 24 लाख सालाना पैकेज की नौकरी मिल रही है।

बिहार के इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों से पासआउट डिगी और डिप्लोमाधारी छात्र-छात्राओं को नौकरी मिलने की रफ्तार पिछले चार साल में चार गुनी बढ़ी है। राज्य के तकनीकी संस्थानों में प्लेसमेंट सेल के माध्यम से अलग-अलग कंपनियों को आमंत्रित कर योग्य अभ्यर्थियों को नौकरी दिलायी जा रही है। तकनीकी संस्थानों से उत्तीर्ण युवाओं को विभिन्न कंपनियों में औसतन चार लाख से 24 लाख सालाना पैकेज की नौकरी मिल रही है। उत्तीर्ण होने वालों में लगभग 20 प्रतिशत का कैंपस सेलेक्शन हो पाता है। अन्य छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा लेते हैं या फिर अन्य माध्यमों से नौकरी पाते हैं। राज्य में 2020-21 में पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग उत्तीर्ण 1700 छात्र-छात्राओं को नौकरी मिली थी। इसमें पॉलिटेक्निक उत्तीर्ण 1002 छात्र-छात्राओं को नौकरी मिली थी। उस साल इंजीनयरिंग कॉलेज से उत्तीर्ण 698 छात्र-छात्राओं को नौकरी प्राप्त हुई। 2021-22 में 4681 छात्र-छात्राओं को नौकरी मिली थी। इसमें पॉलिटेक्निक उत्तीर्ण 2788 और इंजीनियरिंग उत्तीर्ण 1893 छात्र-छात्राएं हैं।
2022-23 में कुल 4944 छात्र-छात्राओं को नौकरी मिली थी। इसमें पॉलिटेक्निक से डिप्लोमाधारी 2444 और इंजीनियरिंग संस्थान से डिग्रीधारी 2500 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। 2023-24 में 7897 छात्र-छात्राओं को नौकरी मिली। इसमें पॉलिटेक्निक के 4418 और इंजीनयरिंग के 3479 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। कंप्यूटर साइंस, मैकेनिकल सहित विभिन्न सेक्टर की बड़ी कंपनियों के माध्यम से यहां के पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग संस्थानों से उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को नौकरी मिलने लगी है। ऑटोमोबाइल और कंप्यूटर सेक्टर में सबसे अधिक नौकरी मिल रही है। साथ ही सीमेंट कंपनियों और वातानुकूलन वाली कंपनियां भी यहां के छात्र-छात्राओं को नौकरी ऑफर कर रही हैं।
राज्य में 38 इंजीनियरिंग कॉलेज तो 46 पॉलिटेक्निक
राज्य में 38 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। पॉलिटेक्निक संस्थान 46 हैं। इंजीनियरिंग कॉलेजों के छह विभिन्न ट्रेडों में नामांकन क्षमता 14 हजार 469 है। पॉलिटेक्निक संस्थानों में कुल नामांकन क्षमता 17 हजार 54 हैं। कुल सीटों में 15 से 20 प्रतिशत सीटें रिक्त रह जाती हैं। कुल नामांकित छात्र-छात्राओं में 80 से 90 प्रतिशत छात्र-छात्राएं उत्तीर्ण होती हैं।