UPI करने वालों के लिए गुड न्यूज, सरकार लाई फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर, दूर हुई यूजर्स की बड़ी टेंशन DoT brings fraud risk indicator tool to curb digital payment fraud know all details, Gadgets Hindi News - Hindustan
Hindi Newsगैजेट्स न्यूज़DoT brings fraud risk indicator tool to curb digital payment fraud know all details

UPI करने वालों के लिए गुड न्यूज, सरकार लाई फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर, दूर हुई यूजर्स की बड़ी टेंशन

DoT ने साइबर फ्रॉड और पैसों से जुड़े स्कैम्स पर रोक लगाने के लिए एक नई सर्विस को लॉन्च किया है। इसका नाम Financial Fraud Risk Indicator (FRI) है। यह टूल फ्रॉड से लिंक्ड नंबर्स के बारे में पहले ही अलर्ट कर देगा।

Kumar Prashant Singh लाइव हिन्दुस्तानThu, 22 May 2025 01:47 PM
share Share
Follow Us on
UPI करने वालों के लिए गुड न्यूज, सरकार लाई फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर, दूर हुई यूजर्स की बड़ी टेंशन

शॉपिंग या पैसे ट्रांसफर करने के लिए UPI यूज करने वाले यूजर्स के लिए बड़ी खुशखबरी है। सरकार ने डिजिटल पेमेंट स्कैम को लेकर यूजर्स के मन में होने वाली टेंशन को दूर कर दिया है। भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन (DoT) ने साइबर फ्रॉड और पैसों से जुड़े स्कैम्स पर रोक लगाने के लिए एक नई सर्विस को लॉन्च किया है। इसका नाम Financial Fraud Risk Indicator (FRI) है। यह एक टूल है, जो डिजिटल इंटेलिजेंस प्लैटफॉर्म (DIP) का हिस्सा है। यह टूल फ्रॉड से लिंक्ड नंबर्स के बारे में पहले ही चेतावनी दे देगा। इस सर्विस को बैंक्स, यूपीआई सर्विस प्रोवाइडर्स और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन्स के साथ इंटेलिजेंस शेयरिंग को बेहतर बनाने के लिए लॉन्च किया गया है।

फ्लैग किए गए मोबाइल नंबर्स का वैलिडेशन चेक

यह सर्विस टेलिकॉम और फाइनेंशियल सेक्टर में होने वाले फ्रॉड्स पर लगाम लगाने के लिए फास्ट, टारगेटेड और कोलैबोरेटिव रिस्पॉन्स ऑफर करेगी। FRI डिजिटल पेमेंट्स करते वक्त फ्लैग किए गए मोबाइल नंबर्स का वैलिडेशन चेक करके साइबर प्रोटेक्शन देगा। FRI अलर्ट अलग-अलग डेटा सोर्स के मल्टी-लेयर्ड ऐनालिसिस पर आधारित होंगे। इसका मकसद स्टेकहोल्डर्स को ट्रांजैक्शन प्रोसेस करने से पहले मोबाइल नंबर्स के फ्रॉड रिस्क लेवल को ऐक्सेस करने में मदद मिलेगी।

मीडियम, हाई और वेरी हाई रिस्क कैटिगरी

फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर मोबाइल नंबर्स को तीन रिस्क कैटिगरी- मीडियम, हाई और वेरी हाई में क्लासिफाइ करता है। मोबाइल नंबर्स की रिस्क कैटिगरी को- NCRP के जरिए रजिस्टर हुए केस, DoT के Chakshu प्लैटफॉर्म से मिले इनपुट के साथ बैंक्स और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स से मिली इंटेलिजेंस के हिसाब से तय किया जाता है। ये अलर्ट बैंक, NBFC और यूपीआई सर्विस प्रोवाइडर्स को हाई रिस्क मार्क किए हुए नंबर्स को लेकर अलर्ट रहने में मदद करते हैं।

ऐसे करता है काम

दूरसंचार विभाग की डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) नियमित रूप से मोबाइल नंबर निरस्तीकरण यानी रिवोकेशन लिस्ट सर्कुलेट करती है, जिसमें साइबर अपराध में संलिप्तता, री-वेरिफिकेशन न हो पाना और यूसेज लिमिट से ज्यादा यूज जैसे कारणों के चलते डिस्कनेक्ट किए गए नंबरों का डिटेल होता है। इनमें से कई नंबर फाइनेंशियल फ्रॉड से जुड़े होते हैं। FRI जोखिम भरे मोबाइल नंबरों के बारे में पहले से चेतावनी देता है। जब किसी नंबर को कोई स्टेकहोल्डकर फ्लैग करता है, तो DIP सिस्टम इन-डेप्थ ऐनालिसिस करके उसके फ्रॉड रिस्क लेवल को तय करता है। यह जानकारी तुरंत सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ शेयर कर दी जाती है।

ये भी पढ़ें:7500mAh की बैटरी वाला रेडमी का नया फोन, मिल सकती है 100W की चार्जिंग

बताते चलें कि फोनपे FRI सिस्टम को यूज करने वाली पहली कंपनियों में से एक थी। फोनपे ने कहा कि वह 'वेरी हाई' रिस्क नंबर्स से जुड़े ट्रांजैक्शन्स को ब्लॉक करता है और अपने फोनपे प्रोटेक्ट फीचर के जरिए अलर्ट दिखाता है। वहीं, 'मीडियम रिस्क' वाले नंबर्स के लिए कंपनी ट्रांजैक्शन प्रोसेस करने से पहले वॉर्निंग को डिवेलप कर रही है।

(Photo: Paytm)

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।