हिमाचल में छोटी प्लास्टिक बोतलों पर बैन, वाहनों में कूड़ेदान अनिवार्य; नियम टूटा तो कितना फाइन?
हिमाचल प्रदेश सरकार ने सूबे में 500 मिलीलीटर तक की प्लास्टिक (पीईटी) पानी की बोतलों का उपयोग सरकारी आयोजनों और सभी होटलों में पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है।

हिमाचल प्रदेश सरकार ने पहली जून से सूबे में 500 मिलीलीटर यानी आधा लीटर तक की प्लास्टिक पानी की बोतलों का इस्तेमाल सरकारी आयोजनों और सभी होटलों में पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ ही 29 अप्रैल से हिमाचल प्रदेश के सभी सरकारी और निजी वाहनों में कार बिन यानी कूड़ेदान के इंस्टालेशन को अनिवार्य कर दिया है।
यह निर्णय हिमाचल प्रदेश जीव अनाशित कूड़ा-कचरा (नियंत्रण) अधिनियम, 1995 की धारा 3-ए (1) के तहत लिया गया है। पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक डीसी राणा ने बताया कि प्लास्टिक की बोतलों के अत्यधिक प्रयोग से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, इसे देखते हुए यह प्रतिबंध लागू किया जा रहा है। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि अब सरकारी एवं निजी संस्थानों को प्लास्टिक की जगह कांच की बोतलें, स्टील के कंटेनर या वाटर डिस्पेंसर जैसे वैकल्पिक और पर्यावरण-अनुकूल साधनों का उपयोग करना होगा। साथ ही सभी सरकारी संस्थाएं लोगों को प्लास्टिक बोतलों के इस्तेमाल से बचने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाएंगी।
डीसी राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अधिनियम का उल्लंघन करने पर सख्त जुर्माने का प्रावधान किया है। प्लास्टिक या बायोडिग्रेडेबल प्लेट्स को सार्वजनिक स्थानों, मंदिर परिसरों, जंगलों, ढाबों एवं दुकानों में फेंकने पर 5000 रुपये तक का जुर्माना लगेगा।
डीसी राणा ने कहा कि वाहनों में कचरा नहीं फैलाने के मकसद से सभी टैक्सी, बसों और अन्य सार्वजनिक वाहनों में कार बिन्स लगाना जरूरी कर दिया गया है। आरटीओ और एमवीआई अब केवल उन्हीं वाहनों को पास या रजिस्टर करेंगे जिनमें ये व्यवस्था होगी। बिना कार बिन के वाहन मिलने पर 10 हजार रुपये और कचरा सड़क या खुले स्थानों पर फेंकने पर 1,500 रुपये का जुर्माना लगेगा।
रिपोर्ट- यूके शर्मा
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